बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन 16 साल बाद जेल से रिहा: सुबह 4 बजे हुई रिहाई; डीएम की हत्या केस में हुई थी उम्रकैद
बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को गुरुवार सुबह 4 बजे ही सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। बताया जा रहा है कि भीड़ जमा होने की आशंका की वजह से यह रिहाई कर दी गई। इसके लिए रात में ही सारी कागजी प्रक्रिया पूरी कर दी गई थी। डीएम जी कृष्णैया की हत्या के केस में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी। 16 साल बाद उनकी रिहाई हुई है।
26 अप्रैल को उन्होंने 15 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद सरेंडर किया था। पैरोल सरेंडर होते ही जेल में रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। वहीं, बाहुबली आनंद की रिहाई को भव्य बनाने की तैयारी है। जेल से बाहर निकलने के बाद वे 15 से 20 किमी तक रोड शो भी करेंगे।
नीतीश सरकार ने गलत उदाहरण पेश किया- डीएम की बेटी
आनंद मोहन की रिहाई पर डीएम जी कृष्णैया की बेटी पदमा ने नाराजगीजताई है। हैदराबाद में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को अपने इस फैसले पर दोबारा सोनचा चाहिए। सरकार ने एक गलत उदाहरण पेश किया है। ये सिर्फ एक परिवार के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि देश के साथ अन्याय है। उनकी बेटी ने रिहाई के खिलाफ अपील करने की भी बात कही है।
आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में उतरा IAS एसोसिएशन
गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई से बिहार की ब्यूरोक्रेसी में खलबली है। IAS एसोसिएशन भी विरोध में उतर आया है।
वहीं, जी कृष्णैया की पत्नी उमा सदमे में हैं। वह कहती हैं- ऐसा वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है। वह रिहाई को खुद के साथ अन्याय बताती हैं। पहले दोषी को फांसी की सजा हुई थी, फिर उसे उम्रकैद में बदल दिया गया। अब सरकार उसकी रिहाई करा रही है। ये बिल्कुल सही नहीं है।
आनंद मोहन ने खुद लिया तैयारियों का जायजा
जेल में पैरोल सरेंडर करने से पहले आनंद मोहन ने खुद पूरे दिन तैयारियों का जायजा लिया। बुधवार को वे सबसे पहले नगरपालिका चौक स्थित कार्यालय पहुंचे और फ्रेंड्स ऑफ आनंद के समर्थकों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने वहां की तैयारियों को देखा। यहां से निकलने के बाद वे दोपहर 2 बजे अपने गांव पंचगछिया पहुंचे। मां भद्र काली के मंदिर में मत्था टेका और तैयारियों की समीक्षा। इसके बाद वे 4.20 बजे जेल जाने के लिए रवाना हुए।
आनंद मोहन को जेल से निकालने के लिए नियमों में बदलाव
जनवरी में नीतीश कुमार ने एक पार्टी इवेंट में मंच से कहा था कि वो आनंद मोहन को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। जिसके बाद आनंद का नाम फिर से अखबारों की सुर्खियां बना। हालांकि, उसकी रिहाई में कानून आड़े आ रहा था। बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को कानून में संशोधन कर उस अड़चन को भी दूर कर दिया।
नीतीश सरकार ने बिहार जेल मैनुअल, 2012 के नियम 484 (1) में बदलाव किया। इस नियम में लिखा है कि कुछ खास क्राइम वाले कैदियों की समय से पहले रिहाई नहीं हो सकती।
सरकार ने इसमें से सिर्फ 5 शब्द हटाए- a civil servant on duty यानी ऑन ड्यूटी सरकारी कर्मचारी की हत्या वाली धारा हटा दी क्योंकि आनंद मोहन इसी के तहत दोषी थे। नियमों में इस बदलाव की वजह से आनंद मोहन के अलावा 26 अन्य कैदी भी समय से पहले रिहा हो सकते हैं।