हरिद्वार से भी सुंदर होगा सिमरिया धाम, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर; सीएम नीतीश बोले- राशि की कमी नहीं होगी
बिहार वासियों, खासकर मिथिला के लोगों की आस्था के प्रमुख केंद्र, उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थित पावन सिमरिया धाम के विकास एवं सौंदर्यीकरण का शिलान्यास मंगलवार को हो गया। बिहार सरकार का दावा है कि इस सिमरिया धाम को हर की पौड़ी (हरिद्वार) से भी सुंदर बनाया जाएगा। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि श्रद्धालुओं को आवाजाही में काफी सुविधा होगी। सिमरिया धाम के सौंदर्यीकरण का काम 2024 से पहले पूरा करने का टारगेट है। इस कार्य में राशि की कमी नहीं होगी। सीएम ने कहा कि यह हरिद्वार की तर्ज विकसित होगा। सिमरिया धाम में खानपान, सुरक्षा और आराम की व्यवस्था होगी।
हर की पौड़ी (हरिद्वार) से भी सुंदर बनाने का निर्देश
जल संसाधन सह सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय झा ने कहा कि 30 मई का दिन मिथिलावासियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा, जब उनकी आस्था के एक सबसे बड़े केंद्र के कायाकल्प का शुभारंभ होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिमरिया धाम को हर की पौड़ी (हरिद्वार) से भी सुंदर बनाने का निर्देश दिया है। सिमरिया धाम का विकास और सौंदर्यीकरण होने पर यहां धार्मिक पर्यटन का तेजी से विकास होगा, दूर-दूर से श्रद्धालु आएंगे, धर्मशाला में ठहरेंगे। बिहार के विभिन्न जिलों से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तो वृद्धि होगी। इलाके में होटल और परिवहन सहित कई तरह के कारोबार और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
‘गेटवे ऑफ मिथिला’ कहा जाता है सिमरिया धाम को
संजय झा ने कहा कि सिमरिया धाम मिथिला का प्रवेश द्वार भी है। इसे मिथिला के लोग ‘गेटवे ऑफ मिथिला’ की तरह मानते रहे हैं। यह स्थल रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। प्रस्तावित स्थल के दक्षिण में सिक्स-लेन पुल और हाईवे का निर्माण हो रहा है, जो पटना और खगड़िया को जोड़ेगा। दो बड़ा रेलवे स्टेशन बरौनी और मोकामा यहां से ज्यादा दूर नहीं है। यानी यहां कनेक्टिविटी का कोई इश्यू नहीं है।
30 मई को मां गंगा का अवतरण दिवस ‘गंगा दशहरा’ भी है
संजय झा ने कहा कि गंगा को सबसे पवित्र और पुण्यदायिनी नदी माना जाता है। 30 मई को मां गंगा का अवतरण दिवस ‘गंगा दशहरा’ भी है। कहा जाता है कि भगीरथ ऋषि द्वारा वर्षों की तपस्या के बाद आज ही के दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थीं। उत्तरवाहिनी गंगा तट पर अवस्थित प्राचीन सिमरिया गंगा धाम के कायाकल्प के शुभारंभ के लिए गंगा दशहरा से बेहतर दिन क्या हो सकता था? संजय झा ने कहा कि सिमरिया धाम में प्राचीन काल से ही हर साल कार्तिक मास में कल्पवास मेला लगता है, जिसमें बिहार ही नहीं, कुछ अन्य राज्यों तथा नेपाल तक से श्रद्धालु आते हैं। इनमें महिला श्रद्धालुओं और साधु-संतों की अच्छी संख्या होती है।






