बिहार के सरकारी अस्पताल में मोबाइल की रोशनी में हुआ पोस्टमार्टम, CS बोले- चोर बिजली के तार काट ले जाते हैं
बिहार की सरकार, स्वास्थ्य विभाग को सही करने का भले ही लाख दावे कर ले, लेकिन यह दावा बिल्कुल ही खोखला साबित हो रहा है। एक बार फिर बिहार के आईएसओ प्रमाणित अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार के भोजपुर जिले के आरा सदर अस्पताल की, जहां एक बार फिर से लापरवाही बरती गई है। सदर अस्पताल में नियम के विरुद्ध डॉक्टर ने पोस्टमार्टम किया है। डॉक्टर ने मोबाइल की रोशनी में मृत नाबालिग लड़की का पोस्टमार्टम किया है। इसपर मृत लड़की के परिजन भी नाराज हैं। हालांकि सदर अस्पताल ऐसी गलतियां कई बार कर चुका है। इसपर कोई कार्रवाई नहीं होती है। बार-बार केवल जांच कमेटी बनाकर मामले की खानापूर्ति की जाती है। इस बार भी शायद यही होगा।
दरअसल जिले के सहार थाना क्षेत्र के बरुही गांव के वार्ड नंबर 4 के निवासी राजू राय की दस वर्षीय पुत्री शिखा कुमारी की नदी में नहाने के दौरान डूब गई थी। इसके बाद शिखा को नदी से निकालने के बाद उसे सहार पीएचसी ले गए थे, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था। उसके बाद परिजन बॉडी का पोस्टमार्टम कराने के लिए आरा सदर अस्पताल ले आए थे।
डॉक्टर ने मोबाइल और टॉर्च की रोशनी में किया पोस्टमार्टम
सदर अस्पताल के कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मृतक नाबालिग के परिजनों ने बताया कि लगभग तीन घंटों से सदर अस्पताल में पोटमार्टम कराने का इंतजार कर रहे थे। तीन घंटे बाद डॉक्टर पोस्टमार्टम करने के लिए आए। लेकिन पोस्टमार्टम के दौरान सदर अस्पताल में बिजली नहीं थी। इसके बाद डॉक्टर ने मोबाइल की लाइट और टॉर्च की रोशनी में पोस्टमार्टम कर दिया।
इमरजेंसी के तहत पोस्टमार्टम किया गया: डॉक्टर
इसको लेकर डॉक्टर ने कहा कि लाइट नहीं है। लेकिन इमरजेंसी के तहत पोस्टमार्टम किया गया है। हालांकि विशेष परिस्थिति में पोस्टमार्टम जिलाधिकारी से आदेश लेकर ही रात को किया जाता है। लेकिन वह भी पर्याप्त रोशनी का इंतजाम करके कराया जाता है।
पहले भी मोबाइल की रोशनी में टांके और इंजेक्शन लगा चुके हैं डॉक्टर
यह कोई पहली बार नहीं है, जब सदर अस्पताल नियमों के खिलाफ जाकर काम कर रहा है। पहले भी मोबाइल की टॉर्च जलाकर टांके लगाए गए, इंजेक्शन दिया गया है। अब तो सदर अस्पताल के डॉक्टर ने पोस्टमार्टम भी मोबाइल की रोशनी में कर दिया है।
इस मामले पर जब आरा के सिविल सर्जन रामप्रीत सिंह से बात की गई तो उन्होंने जो तर्क दिया वह भी हैरान करता है। सिविल सर्जन ने कहा कि पोस्टमार्टम रूम में लगे बल्ब, बिजली के तार और तमाम उपकरणों को चोर चुराकर ले जाते हैं। इसलिए वहां लाइट की व्यवस्था नहीं है। वहीं रात के अंधेरे में पोस्टमार्टम कराने के सवाल पर उन्होंने अपनी सफाई देते हुए कहा कि यह केवल डीएम साहब की अनुमति से ही होता है। चूंकि रात को अस्पताल में हंगामे का डर था, इसलिए विशेष परिस्थिति में पोस्टमार्टम को कराया गया।