ट्रेन की बोगियां आपस से कैसे जुड़ी रहती है? बिहार में चलती ट्रेन से कैसे अलग हुई बोगी, समझिए…
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Explainer: बिहार में फिर एकबार बड़ा रेल हादसा टला है. चलती ट्रेन में ही सत्याग्रह एक्सप्रेस की कुछ बोगियां अलग हो गयी जिससे अफरातफरी का माहौल बन गया. जिसके बाद अब आपके भी अंदर एक सवाल चल रहा होगा कि आखिर ट्रेन की बोगियां आपस में कैसे जोड़ी जाती है. यूं तो आप भी अक्सर दो बोगियों को आपस में जुड़ा देखते ही होंगे लेकिन इसे आज अच्छी तरह समझिए कि इसकी प्रक्रिया क्या है.
कपलिंग सिस्टम से जुड़ती है बोगियां
ट्रेन की बोगियों को एक-दूसरे से कपलिंग सिस्टम के तहत जोड़ा जाता है. स्क्रू कपलिंग (Screw Coupling) से ही अधिकतर ट्रेनों की बोगियों को जोड़ा जाता है. स्क्रू कपलिंग (Screw Coupling) अधिकतर यात्री ट्रेनों में बोगियों को जोड़ने के काम आता है. भारत में अधिकतर इसका ही उपयोग किया जाता है. यह एक तरह का मेन्युअल प्रोसेस है.
इड बफर का काम
दो कोच स्क्रू कपलिंग की मदद से आपस में जुड़े रहते हैं और इसके दोनों तरफ साइड बफर दिया जाता है. एक हुक की तरह इस्तेमाल में आने वाली इस कपलिंग को स्क्रू की मदद से मजबूती से टाइट किया जाता है जिसका काम दोनों बोगियों को आपस में जोड़ना है. वहीं साइड बफर इसलिए दिया जाता है ताकि दोनों बोगी आपस में नहीं टकराए.
वाइव्रेशन को रोकने के लिए उपाय
स्क्रू कपलिंग के दो मुख्य पार्ट होते हैं. एक स्क्रू और दूसरा ड्रॉ गियर एसेंबली(Draw Gear Assembly). स्क्रू (Screw) का यूज कपलिंग को टाइट करने के लिए होता है. इस कपलिंग के अन्य पार्ट Shackle Link, Screw और Trunnion nut, Toggle, Ferrule, Link के अलावा पीछे के हिस्से में स्प्रिंग और रबर भी लगा होता है. ये स्प्रिंग व रबर वाइव्रेशन को रोकता है. इसमें लगा ड्रा हुक ही दो बोगियों को जोड़ता है. यह कपलिंग 22.5 टन के लोड लेने की क्षमता रखता है.
स्क्रू कपलिंग का फायदा
स्क्रू कपलिंग का फायदा यह होता है कि अगर ट्रेन की किसी बोगी को अचानक बदलने की जरुरत पड़ती है. तो किसी बड़े जंक्शन पर इसे आसानी से बदला जा सकता है. अगर कोई बोगी दुर्घटनाग्रस्त हो गयी हो तो उसे फौरन आसानी से अन्य बोगियों से अलग कर दिया जा सकता है.