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समस्तीपुर : राज्य सरकार मसालों की खेती को देगी बढ़ावा, बीज खरीद पर मिलेगी सब्सिडी

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समस्तीपुर : राज्य में समस्तीपुर कुछ ही वर्षों में मसालों की खेती के लिए जाना जाएगा। यहां पहले से ही हल्दी, धनिया, अजवाइन, मेथी, मंगरेल (कलौंजी) की खेती हो रही है। अब यहां सौंफ की खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत सौंफ का चयन किया गया है। मसालों की खेती औषधीय एवं पौष्टिक गुणों को ध्यान में रखते हुए उसकी खेती के कुल उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाकर किसानों की आय में वृद्धि करना है।

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत समस्तीपुर में हल्दी का चयन पहले ही किया गया था। राज्य सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत जिला स्तर पर प्रमुख फसलों का चयन किया है। इसमें खरीफ और रबी मौसम के लिए एक-एक फसल निर्धारित की गई है। हल्दी के साथ ही सौंफ का चयन किया गया है। इन्हें न केवल योजनाओं का लाभ मिलेगा, बल्कि इनके उत्पाद को जिले से बाहर एक व्यापक बाजार भी मिलेगा।

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जिले में फिलहाल पांच हजार हेक्टेयर में हल्दी की खेती होती है। इससे करीब 10 हजार किसान जुड़े हैं। हर साल करीब पांच लाख टन हल्दी का उत्पादन होता है। अब धनिया के लिए 40 हेक्टेयर, मेथी के लिए 30 हेक्टेयर, सौंफ व मंगरैल के लिए पांच-पांच व अजवाइन के लिए 10 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य है। जिले में मसाला व्यापार का बड़ा केंद्र मथुरापुर बाजार समिति की मसाला मंडी है। यहां दूसरे राज्यों के व्यापारी भी पहुंचते हैं। अब जिले में मसाले की खेती होने से किसानों को भी लाभ होंगे और देश भर में मसालों की बिक्री भी सुनिश्चित हो सकेगी।

हल्दी की पत्तियों का भी व्यावसायिक लाभ

औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी का सामान्य इस्तेमाल तो मसाले में ही किया जाता है। इसके अलावा कई अन्य खाद्य पदार्थो, सौंदर्य प्रसाधनों के साथ-साथ बीमारियों और जख्म आदि में भी इसका आयुर्वेदिक इस्तेमाल होता है। अब हल्दी मसाले और दवाओं के साथ लोगों को लाभ भी पहुंचाएगी।

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बेहतर बाजार व प्रोसेसिंग सुविधा देना उद्देश्य

कृषि विभाग के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही जिले में प्रोसेसिंग यूनिट, भंडारण केंद्र और निर्यात सुविधा विकसित की जाएगी। जिससे कृषि को व्यवसायिक स्वरूप दिया जा सकेगा। कृषि विभाग के अनुसार यह चयन जिले की जलवायु व पारंपरिक कृषि प्रणाली को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस संबंध में कृषि विभाग के अपर सचिव ने पत्र जारी किया है। योजना के क्रियान्वयन को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की जानी है।

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मसाला फसलों के बीज पर मिलेगा 40 फीसदी अनुदान

एकीकृत बागवानी मिशन के तहत बीज मसाला फसलों हेतु लागत 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से निर्धारित किया गया है। योजना के तहत बीज मसाला फसल हेतु प्रति हेक्टेयर का 40 फीसद अर्थात 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान मिलेगा। पहले किस्त के रूप में 12 हजार रुपये बीज एवं अन्य सामग्री के क्रय हेतु मिलेंगे। जबकि, दूसरे किस्त के रूप में 8 हजार रुपये भौतिक सत्यापन के उपरांत अनुदान दिया जाएगा।

बीज की उपलब्धता राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान पटना एवं बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड पटना के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। योजना का लाभ एक किसान को न्यूनतम 0.10 हेक्टेयर एवं अधिकतम 5 हेक्टेयर तक मिलेगा। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को डीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण के साथ ही आवेदन करना होगा। इसके बाद किसान इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इससे मसाले की खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।

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जिले में हल्दी के अलावा सौंफ, धनिया, अजवाइन, मेथी, मंगरेल की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराने की योजना है। इसके लिए किसान डीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण कराने के साथ ही आवेदन कर सकते हैं। हल्दी की खेती के लिए 50 फीसदी और अन्य मसाला की खेती के लिए 40 फीसद अनुदान मिलेगा।

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