संसाधनों की कमी से जूझ रहे समस्तीपुर के फायर फाइटर्स, खराब पड़े है हाइड्रेंट, निजी भवन व होटलों से पानी भरने की मजबूरी
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समस्तीपुर [अविनाश कुमार राय] : आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड कर्मी हमेशा तत्पर रहते हैं। कई बार वे इस दौरान हादसे के शिकार भी हो जाते हैं। सबसे अधिक परेशानी फायर ब्रिगेड कर्मियों को घटनास्थल पर पहुंचने में होती है। जाम और संकरी सड़कों से होकर उन्हें तेजी से घटनास्थल के लिए निकलना पड़ता है। ऐसे में रास्ते में मिलने वाले जाम से उन्हें दो-चार होना पड़ता है। सायरन बजाने के बाद लोग दमकल की गाड़ियों को साइड नहीं देते हैं। इसका सबसे अधिक नुकसान फयर ब्रिगेड कर्मियों को उठाना पड़ता है। जाम के अलावा भी यदि लोग सड़क पर चल रहे हैं और उन्हें सायरन की आवाज सुनाई दे रही है तब भी वे सड़क छोड़ना मुनासिब नहीं समझते हैं।
सहायक जिला अग्निशमन पदाधिकारी सुरेन्द्र कुमार सिंह बताया कि अक्सर घटना होने पर लोग गलत पता बता देते हैं। इससे घटनास्थल पर पहुंचने में परेशानी होती है। समय से नहीं पहुंचने पर लोगों का सबकुछ जलकर राख हो जाता है। कई बार तो जर्जर सड़क व गलियों में गाड़ी नहीं जा पाती। इस कारण गंतव्य तक पहुंचने में समय लगता है। आग लगने पर लोगों को सही पता बताना चाहिए। साथ ही उन्हें उपस्थिति का मैप भी भेजना चाहिए। इससे कर्मियों को घटनास्थल पर पहुंचने में सुविधा होगी। वहीं मुक्तापुर, भोला टॉकीज समेत अन्य रेलवे फाटक पर देरी होने से घटनास्थल पर देरी से पहुंचने पर कर्मियों को लोगों का कोपभाजन बनना पड़ता है।
हाल ही में कल्याणपुर में मुक्तापुर गुमटी पर देर होने के कारण आक्रोश में लोगों ने अग्निशमन टीम पर हमला कर दिया व अग्निशमन वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। वहीं शिवबचन सिंह, अमरेंद्र कुमार, रानी कुमारी, नेहा कुमारी, संजीव चौधरी, संतोष कुमार शर्मा, रवि कुमार शर्मा आदि ने बताया कि पानी भरने के लिए हाईड्रेंड की कमी है। समस्तीपुर अग्निशमन कार्यालय में हाईड्रेंड हफ्तों से खराब है, लेकिन इसे नहीं बनाया जा रहा है। पानी भरने के लिये निजी बोरिंग व किसी होटल का सहारा लेना पड़ता है। हाईड्रेंड ठीक कराने को लेकर कई बार विभाग को लिखा गया है, लेकिन अब तक इसे नहीं बनाया गया है। हाईड्रेंड जब काम कर रहा था तो नगर निगम समेत अन्य लोग भी यहां आकर पानी भरकर ले जाते थे। सभी प्रखंडों में हाइड्रेंड बनाने का काम जल्द शुरू किया जाएगा तो आग लगने के बाद पानी खत्म होने पर परेशानी नहीं होगी। गाड़ियों में पानी भरने में भी समय लगता है। आग के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है।
दमकल कर्मियों के पहुंचने के बाद भी लोग आग में कूदने के लिए बेचैन हो जाते हैं। उन्हें दमकल कर्मियों की मदद करनी चाहिए। न कि खुद से आग बुझाने के लिए खतरा मोल लेना चाहिए। ऐसा करने से कई बार लोग झुलस जाते हैं। इसका गुस्सा लोग दमकल कर्मियों पर उतारते हैं। आग लगने के समय लोगों को संयम से काम लेना चाहिए। इसके लिए लोगों को प्रशिक्षण की दिया जा रहा है। आग लगने पर क्या करना चाहिए, बचाव के क्या उपाय हैं इसके बारे में लोगों को विभाग की तरफ से जानकारी भी दी जा रही है।
कई बार पुलिस कर्मी घटनास्थल पर देरी से पहुंचते हैं। उनके रहने पर हमलोगों काे आग बुझाने में सहूलियत होती है। पुलिस कर्मी लोगाें की भीड़ को अलग रखते हैं। इससे काम करने में सुविधा होती है और काम जल्दी निपट जाता है। लोग हमलोगों के साथ दुर्व्यवहार करने लगते हैं। पुलिस की उपस्थिति में हमलोग अपना काम बेहतर तरीके से कर पाते हैं। जागरूक करने के लिए लोगों को मॉक ड्रिल प्रदर्शनी आदि कार्यक्रम से भी हम लोग जागरूक कर रहे है। आग लगने पर 101, 112 एवं जिला अग्निशमन कंट्रोल समस्तीपुर के मोबाइल नंबर पर 7485805936 पर अविलम्ब कॉल किया जाना चाहिए। ताकि समय रहते लोगों को राहत पहुंचायी जा सके।
23 गाड़ियों पर 22 ड्राइवर :
जिला मुख्यालय समेत रोसड़ा, दलसिंहसराय और पटोरी अनुमंडल में फायर स्टेशन बनाया गया है। इसमें सिर्फ दलसिंहसराय में गाड़ी रखने के लिये शेड है, अन्य जगहों पर खुले में ही वाहनों को रखा जाता है। जिले भर में छोटे बड़े वाहन मिलकर कुल 23 वाहन उपलब्ध हैं, जिसमें 8 बड़े और 15 छोटे वाहन हैं। हालांकि इन वाहनों के संचालन के लिए जिले में मात्र 22 चालक ही उपलब्ध है। अगर सभी चालक ड्यूटी पर तैनात रहे उसके बावजूद भी एक वाहन का परिचालन नहीं हो पाएगा। जबकि कई कर्मचारी छुट्टी पर भी रहते हैं। जिले भर में 130 फायर कर्मी हैं। जिसमें चार एएसआई के अलावा दो दारोगा और एक इंस्पेक्टर उपलब्ध हैं।
समस्तीपुर अग्निशमन विभाग के पास आग पर काबू पाने के लिए सिर्फ पानी ही सहारा है। आग पर काबू के लिए विभाग के पास फोम उपलब्ध नहीं है। न ही पाउडर उपलब्ध है, ऐसी स्थिति में आग पर काबू सिर्फ पानी से ही करने की मजबूरी है। हालांकि विभाग के पास फायर सूट उपलब्ध है। जिस सूट को पहनकर विकट स्थिति में कर्मी मौके पर पहुंच सकते हैं। जिला अग्निशमन पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि समस्तीपुर मुख्यालय में दो बड़े वाहन के साथ ही साथ छोटे वाहन भी उपलब्ध हैं, जबकि रोसड़ा में एक बड़ा वाहन और दो छोटे वाहन, पटोरी में एक बड़ा वाहन और पांच छोटे वाहनों को उपलब्ध कराया गया है। वहीं अन्य थानों पर भी छोटी अग्निशमन की गाड़ी उपलब्ध रहती है।

वहीं बैरक की स्थिति भी ठीक नहीं, इस कारण महिला कर्मियों को काफी परेशानी होती है। बरसात में बैरक में पानी भर जाता है, वहीं शौचालय की भी दयनीय स्थिति है। इस कारण पुरूष कर्मी तो जैसे-तैसे गुजारा कर लेते है, लेकिन महिला कर्मियों को काफी परेशानी होती है। समस्तीपुर कार्यालय में 8 महिला कर्मी है, मजबूरी में वह लोग बाहर किराये का कमरा लेकर रहती है, जिस कारण आग लगने की सूचना पर निकलने में देरी होने की संभावना बनी रहती है। कहीं भी आग लगने की सूचना के 30 सेकेंड के अंदर हमारी टीम रवाना हो जाती है, महिला कर्मियों के अगर बैरक में ही रहने की व्यवस्था करा दी जाए और सुविधा उपलब्ध करा दी जाए तो आग लगने वाले स्थल पर वह लोग भी जा सकेंगी। हरपुर एलौथ में नया भवन बनाने की प्रक्रिया शुरू भी हुई, लेकिन महिनों से काम बंद है। संबंधित संवेदक को कई बार लिखा गया है, बाबजूद नये भवन का काम दुबारा शुरू नहीं हो सका है। जमीन अधिग्रहण कर फाउंडेशन तक काम कर के संवेदक ने छोड़ दिया है।
सुझाव :
1. आग लगने की घटना होने पर सूचना देने के साथ लोग सही पता बताएं। सटीक पता से ही जल्द पहुंचा जा सकता है।
2. शहरी क्षेत्र समेत सभी जगहों की जर्जर सड़कों की मरम्मत की जाय ताकि दमकल को पहुंचने में आसानी हो।
3. अगलगी की घटना वाले स्थल पर पुलिस का सहयोग मिलना चाहिए। लोगों का आक्रोश कर्मियों को झेलना पड़ता है।
4. पानी भरने के लिए जगह-जगह हाइड्रेंड लगाये जाएं। खास कर शहरी क्षेत्र में यह अतिआवश्यक है।
5. सड़कों से अतिक्रमण हटे, ठेला-खोंमचा न लगे और लोग दमकल के सायरन पर तत्काल साइड दें।
शिकायतें :
1. अगलगी की घटना होने पर लोग सूचना तो देते हैं लेकिन पता सटीक नहीं बताते हैं, इससे पहुंचने में दिक्कत होती है।
2. शहरों में सबसे ज्यादा परेशानी जाम के कारण होती है। चाहकर भी दमकल गाड़ी तेजी से आगे नहीं बढ़ पाती है।
3. शहरी क्षेत्र में पानी भरने के लिए परेशान होना पड़ता है। अधिकतर जगहों पर पानी की व्यवस्था नहीं है।
4. टूटीं व जर्जर सड़कें होने के कारण समय पर घटनास्थल की ओर जाने में समस्या होती है।
5. सायरन सुनने के बाद भी लोग दमकल वाहनों को साइड नहीं देेते हैं, अतिक्रमित सड़क के कारण भी दिक्कत होती है।

अग्निशमन कर्मियों ने क्या कुछ कहा देखें :
अक्सर घटना होने पर लोग गलत पता बता देते हैं। इससे घटनास्थल पर पहुंचने में परेशानी होती है। समय से नहीं पहुंचने पर लोगों का सबकुछ जलकर राख हो जाता है। कई बार तो जर्जर सड़क व गलियों में गाड़ी नहीं जा पाती। इस कारण गंतव्य तक पहुंचने में समय लगता है। आग लगने पर लोगों को सही पता बताना चाहिए।
– सुरेन्द्र कुमार सिंह, सहायक जिला अग्निशमन पदाधिकारी, समस्तीपुर
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कई बार पुलिस कर्मी घटनास्थल पर देरी से पहुंचते हैं। उनके रहने पर हमलोगों काे आग बुझाने में सहूलियत होती है। पुलिस कर्मी लोगाें की भीड़ को अलग रखते हैं। इससे काम करने में सुविधा होती है और काम जल्दी निपट जाता है। लोग हमलोगों के साथ दुर्व्यवहार करने लगते हैं।
– अमरेंद्र कुमार
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मुक्तापुर, भोला टॉकीज समेत अन्य रेलवे फाटक पर देरी होने से घटनास्थल पर देरी से पहुंचने पर कर्मियों को लोगों का कोपभाजन बनना पड़ता है। हाल ही में कल्याणपुर में मुक्तापुर गुमटी पर देर होने के कारण आक्रोश में लोगों ने अग्निशमन टीम पर हमला कर दिया व अग्निशमन वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
– रवि कुमार शर्मा
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समस्तीपुर पानी भरने के लिए हाईड्रेंड की कमी है। समस्तीपुर अग्निशमन कार्यालय में हाईड्रेंड हफ्तों से खराब है, लेकिन इसे नहीं बनाया जा रहा है। पानी भरने के लिये निजी बोरिंग व किसी होटल का सहारा लेना पड़ता है।
– संतोष कुमार शर्मा
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हाईड्रेंड ठीक कराने को लेकर कई बार विभाग को लिखा गया है, लेकिन अब तक इसे नहीं बनाया गया है। हाईड्रेंड जब काम कर रहा था तो नगर निगम समेत अन्य लोग भी यहां आकर पानी भरकर ले जाते थे।
– अशोक कुमार
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सभी प्रखंडों में हाइड्रेंड बनाने का काम जल्द शुरू किया जाए। इससे आग लगने के बाद पानी खत्म होने पर परेशानी नहीं होगी। गाड़ियों में पानी भरने में भी समय लगता है।
– शिवबचन सिंह
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आग के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। दमकल कर्मियों के पहुंचने के बाद भी लोग आग में कूदने के लिए बेचैन हो जाते हैं। उन्हें दमकल कर्मियों की मदद करनी चाहिए। न कि खुद से आग बुझाने के लिए खतरा मोल लेना चाहिए। ऐसा करने से कई बार लोग झुलस जाते हैं। इसका गुस्सा लोग दमकल कर्मियों पर उतारते हैं।
बिपीन कुमार
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आग लगने के समय लोगों को संयम से काम लेना चाहिए। इसके लिए लोगों को प्रशिक्षण की दिया जा रहा है। आग लगने पर क्या करना चाहिए, बचाव के क्या उपाय हैं इसके बारे में लोगों को विभाग की तरफ से जानकारी भी दी जा रही है।
हिमांशु कुमार
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कई बार पुलिस कर्मी घटनास्थल पर देरी से पहुंचते हैं। उनके रहने पर हमलोगों काे आग बुझाने में सहूलियत होती है। पुलिस कर्मी लोगाें की भीड़ को अलग रखते हैं। इससे काम करने में सुविधा होती है और काम जल्दी निपट जाता है। लोग हमलोगों के साथ दुर्व्यवहार करने लगते हैं। पुलिस की उपस्थिति में हमलोग अपना काम बेहतर तरीके से कर पाते हैं।
– जमेजर तिवारी
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जागरूक करने के लिए लोगों को मॉक ड्रिल प्रदर्शनी आदि कार्यक्रम से भी हम लोग जागरूक कर रहे है। आग लगने पर 101, 112 एवं जिला अग्निशमन कंट्रोल समस्तीपुर के मोबाइल नंबर पर 7485805936 पर अविलम्ब कॉल किया जाना चाहिए। ताकि समय रहते लोगों को राहत पहुंचायी जा सके।
संजीव चौधरी
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जिले भर में छोटे बड़े वाहन मिलकर कुल 23 वाहन उपलब्ध हैं, जिसमें 8 बड़े और 15 छोटे वाहन हैं। हालांकि इन वाहनों के संचालन के लिए जिले में मात्र 22 चालक ही उपलब्ध है। अगर सभी चालक ड्यूटी पर तैनात रहे उसके बावजूद भी एक वाहन का परिचालन नहीं हो पाएगा।
नेहा कुमारी
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बैरक की स्थिति ठीक नहीं है, इस कारण हम महिला कर्मियों को काफी परेशानी होती है। बरसात में बैरक में पानी भर जाता है, वहीं शौचालय की भी दयनीय स्थिति है। इस कारण पुरूष कर्मी तो जैसे-तैसे गुजारा कर लेते है, लेकिन महिला कर्मियों को काफी परेशानी होती है।
रानी कुमारी
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प्रस्तुति : अविनाश कुमार