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जानें क्या है उजियारपुर लोकसभा सीट का समीकरण; आलोक मेहता इस बार नित्यानंद राय को देंगे कड़ी चुनौती, केंद्रीय गृह राज्य-मंत्री के लिए आसान नहीं है राह !

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समस्तीपुर/उजियारपुर :- लोकसभा चुनाव 2024 का विगुल बज चुका है। चौथे चरण में 13 मई को मतदान होना है। महागठबंधन से आरजेडी के बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता मैदान में खड़े है। इस सीट पर एनडीए से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानन्द राय प्रत्याशी हैं। वह यहां से लगातार दो बार सांसद रहे हैं। भाजपा और राजद दोनों के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट है। एक तरफ जहां नित्यानंद राय जीत की हैट्रिक को लेकर आश्वस्त हैं वहीं पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता अपनी जीत को लेकर क्षेत्र में लगातार पसीना बहा रहे हैं।

वर्ष 2009 में अस्तित्व में आया उजियारपुर लोकसभा सीट :

वर्ष 2009 के परिसीमन में उजियारपुर लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद से यहां एनडीए का ही कब्जा रहा है। 2009 में जदयू की अश्वमेध देवी ने राजद के आलोक मेहता को हराया था। भाजपा-जदयू का गठबंधन टूटने के बाद 2014 के चुनाव में भाजपा ने नित्यानंद राय को मैदान में उतारा। तब आलोक मेहता को दोबारा यहां से शिकस्त मिली।

2019 के चुनाव में नित्यांनद राय का मुकाबला तत्कालीन रालोसपा (अब रालोमो) के सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा से हुआ था। तब कुशवाहा एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। तब आलोक मेहता ने उपेन्द्र कुशवाहा के पक्ष में अभियान भी चलाया था। लेकिन नित्यानंद न केवल जीत गए, बल्कि वोटों के ध्रुवीकरण में जीत का फासला भी बढ़ा। उपेंद्र कुशवाहा अब एनडीए में हैं और काराकाट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस चुनाव में राजद ने यह सीट अपने पास रखी है। लोकसभा में छह विधानसभा सीटें हैं। उनमें तीन पर एनडीए और तीन पर महागठबंधन का कब्जा है।

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कुल मतदाता- 15,88,209

पुरुष मतदाता- 8,47,704

महिला मतदाता- 7,40,454

जानें आलोक कुमार मेहता के बारे में :

बात अगर महागठबंधन से आरजेडी उम्मीदवार आलोक कुमार मेहता की करें तो आलोक कुमार मेहता तुलसीदास मेहता के पुत्र है। आलोक मेहता इंडस्ट्रियल एन्ड प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। आलोक कुमार मेहता राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्यों में से एक है। वह तेजस्वी यादव के राजनीतिक गुरु भी माने जाते हैं। वर्ष 2005 से 2006 के बीच युवा राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष की भी भूमिका निभाई। वह वर्ष 2004 में समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए।

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वहीं वर्ष 2009 में परिसीमन के बाद उजियारपुर लोकसभा अस्तित्व में आया। जहां इस चुनाव में उन्हें जदयू की अश्वमेघ देवी से हार का सामना करना पड़ा। वे फिलहाल उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। 2015 में वह यहां से विधायक बनें। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी अपनी सीट को बरकार रखते हुए उन्होंने भाजपा के शील कुमार राय को लगभग 23 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया। महागठबंधन की सरकार में वो मंत्री भी रहे।

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उजियारपुर है कृषि प्रधान क्षेत्र :

यह पूरा क्षेत्र कृषि प्रधान है। यहां के किसान मुख्य रूप से गेहूं, तंबाकू, मक्का और सब्जी की खेती करते हैं। कृषि प्रधान क्षेत्र होने के बावजूद भी यहां कृषि आधारित कोई उद्योग नहीं है। जिस कारण किसानों को अपने फसल के पैदावार को औने पौने दम में बेचना पड़ता है। लोगों के रोजगार के लिए कोई भी कल कारखाने नहीं है। जिस कारण बड़ी संख्या में लोग रोजी रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों के लिए पलायन करते हैं। उच्च शिक्षा की बात करें तो पिछले वर्ष सरायरंजन के नारघोघि में इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई। हालांकि मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की शुरुआत नहीं की गई है। फिलहाल अस्पताल में इमरजेंसी और ओपीडी सेवा की शुरुआत हुई।

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छह विधानसभा सीट हैं क्षेत्र में :

● उजियारपुर

● मोरवा

● सरायरंजन

● मोहिउद्दीनगर

● पातेपुर

● विभूतिपुर

किस विधानसभा पर कौन विधायक :

समस्तीपुर के उजियारपुर से राजद के आलोक मेहता खुद ही विधायक हैं। इसके अलावा मोरवा से राजद के ही रणविजय साहू, सरायरंजन से जदयू के विजय चौधरी, मोहिउद्दीनगर से भाजपा से राजेश कुमार सिंह, वैशाली जिले की पातेपुर विधानसभा सीट से भाजपा के लखेंद्र पासवान विधायक और विभूतिपुर से सीपीएम के अजय कुमार विधायक हैं।

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क्या है जातीय समीकरण :

उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में वोटर्स की संख्या 16 लाख के करीब है। सबसे ज्यादा यादव समुदाय के वोटर हैं। इनकी संख्या करीब 15.29 फीसदी है। जबकि मुस्लिम वोटर्स की संख्या 9.26 फीसदी है। अगर बात सवर्ण की करें तो ब्राह्मण 6.78 फीसदी और राजपूत 4.41 फीसद हैं। इसके अलावा भूमिहार 3.06 फीसदी हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में कोइरी 8.09 फीसदी और कुर्मी 4.46 फीसदी हैं। मल्लाह मतदाताओं की संख्या 4.46 फीसदी और पासवान मतदाताओं की संख्या 9.05 फीसदी है। बनिया 2.28 फीसदी और रविदास समुदाय के वोटर 5.78 फीसदी है। इसके अलावा मुसहर जाति के मतदाताओं की संख्या 2.01 फीसदी है।

एनडीए की जीत का अंतर बढ़ा :

उजियारपुर में बीते तीनों लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत का अंतर बढ़ा है। 2009 के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जदयू की अश्वमेध देवी को कुल मतदान का 14.65 प्रतिशत मत मिला था। 2014 के चुनाव में भाजपा के नित्यानंद राय ने 22.25 प्रतिशत मत प्राप्त किये थे जबकि 2019 में नित्यानंद राय ने कुल मतदान का 56.08 प्रतिशत मत हासिल किया था।

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आलोक मेहता BJP को दे सकते हैं कड़ी टक्कर :

आलोक मेहता अपने प्रतिद्वंद्वी केंद्रीय गृह राज्य-मंत्री नित्यानंद को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। पिछले तीनों चुनाव में यहां से माकपा अलग-अलग ही लड़ी थी जो इस बार महागठबंधन में खुद है। वहीं अगर यादव व्यक्तिगत कारणों से नित्यानंद राय की तरफ ना झुके तो उजियारपुर सीट का मुकाबला बेहद ही दिलचस्प देखने को मिलेगा।

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