2020 में लोजपा अकेले चुनाव लड़ी, चिराग के जीजा अरुण भारती इस बयान से क्या जताना चाहते हैं

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए ने पूरी ताकत झोंक दी है। घटक दलों बीजेपी, जेडीयू, लोजपा(रामविलास), राष्ट्रीय लोक मोर्चा(आरएलएम) और जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा(हम) के बीच सीट शेयरिंग कोई फार्मूला अभी सामने नहीं आया है। इस बीच चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती का एक खास सोशल मीडिया पोस्ट सामने आया है जिसकी सियासी गलियारे में चर्चा हो रही है। रविवार को जमुई के सांसद अरुण भारती ने एक पोस्ट डाला जिसमें 2020 की याद दिलाई जब उनकी पार्टी बिहार में अकेले लड़ गई। सीट बंटवारे के बीच अंदरुनी मंथन के बीच लोजपा प्रभारी की हैसियत से अरुण भारती का यह पोस्ट सामान्य उद्गार नहीं है।
अरुण भारती ने यह भी जताया है कि 137 सीटों पर लड़कर लोजपा(रा) ने 6 प्रतिशत वोट हासिल किया। अगर पार्टी सभी 243 सीटों पर लड़ती को उपलब्धि 10 प्रतिशत से अधिक होती। उन्होंने लिखा है कि 2020 में जब गठबंधन धर्म के कारण हम अपने कार्यकर्ताओं की इस भावना और उम्मीदों को पूरा नहीं कर सके, तब हमने अकेले चुनाव लड़ने का साहसिक निर्णय लिया। यह केवल चुनावी राजनीति नहीं थी, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान था।

रविवार को एक्स पर पोस्ट कर उन्होंने कहा कि भले ही उस चुनाव में हम केवल एक सीट जीत पाए, लेकिन सच्चाई यह है कि 137 सीटों पर चुनाव लड़कर हमें 6 फीसदी वोट मिला था। अगर हम पूरे 243 सीटों पर चुनाव लड़ते, तो हमारा वोट प्रतिशत 10% से भी अधिक होता। यह हमारे कार्यकर्ताओं की ताक़त और जनता के विश्वास का जीता-जागता सबूत था। उन्होंने कहा कि असल में, यह हमारी रणनीतिक चाल और राजनीतिक चरित्र का हिस्सा रहा है।
2020 ने साफ कर दिया कि अगर बिहार की राजनीति में कोई पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का माद्दा रखती थी, तो वह केवल लोक जनशक्ति पार्टी थी। सियासत के जानकार अरुण भारी के सोशल मीडिया पोस्ट को एक संकेत के रूप में देख रहे हैं। चिराग पासवान और उनकी पार्टी अक्सर सम्मानजनक सीटों की संख्या का दावा करते हैं। वे केंद्र की राजनीति छोड़ बिहार की पॉलिटिक्स में आने की बात करते हैं। उनकी सभाओं में सीएम बनाने को लेकर नारेबाजी होती है।






