जीतन राम मांझी को महागठबंधन नहीं छोड़ना चाहिए था, लेफ्ट उनकी बात उठाता: दीपांकर
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बिहार की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई-माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पर अगर उनकी पार्टी हम का जेडीयू में विलय करने का दबाव नीतीश कुमार बना रहे थे तो उन्हें सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों से बात करनी चाहिए थी। भट्टाचार्य ने कहा कि छोटे दलों पर गठबंधन की ही बड़ी पार्टी द्वारा इस तरह का दबाव बनाना गलत है और अगर मांझी लेफ्ट पार्टियों के साथ बात करते तो हम लोग उनकी बात को उठाते।
माले महासचिव ने इस बात पर नाखुशी जाहिर की है कि दस महीने बीत जाने के बाद भी महागठबंधन की कोर्डिनेशन कमिटी नहीं बनाई गई है जिसकी मांग लगातार लेफ्ट और हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कर रही थी। बताते चलें कि मांझी के बेटे संतोष सुमन मांझी ने नीतीश कुमार की सरकार से इस्तीफा दे दिया है और उनकी जगह जेडीयू के रत्नेश सदा को नया मंत्री बनाया गया है। दोनों महादलित समुदाय से आते हैं।
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें अखबारों के जरिए पता चला कि मांझी पर पार्टी का जेडीयू में विलय करने का दबाव बनाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि मांझी को अपनी पार्टी के विलय का दबाव नहीं मानते हुए महागठबंधन में ही बने रहना चाहिए था। कोई जबर्दस्ती तो विलय नहीं करा सकता था।
माले महासचिव ने कहा कि बीजेपी जिस तरह से देश को बर्बाद कर रही है उसका जवाब देने और उसे रोकने के लिए महागठबंधन एक राजनीतिक जरूरत के तौर पर बना है। अब मांझी को यह तय करना होगा कि उनके राजनीतिक सवाल बदल गए हैं या वही हैं। अगर सवाल नहीं बदले तो गठबंधन कैसे बदल सकता है। उन्हें तय करना होगा कि वो राजनीति में किधर हैं।
माले महासचिव ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वो खुद को राजा समझ रहे हैं और देश में बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था की हत्या करने पर तुले हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस के जीतने के बाद बदले की भावना से केंद्र सरकार चावल देने से मना कर रही है जो गलत है। उन्होंने याद दिलाया कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पटना में ही आकर बोला था कि क्षेत्रीय दल खत्म हो जाएंगे जिसके बाद नीतीश कुमार ने उनका साथ छोड़ दिया था।
मांझी के महागठबंधन सरकार छोड़ने पर सीपीआई के बिहार सचिव राम नरेश पांडेय ने भी कहा कि जीतन राम मांझी को अलग नहीं होना चाहिए था और महागठबंधन में रहना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मांझी ने तो कसम भी खाई थी कि वो नीतीश कुमार का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। तीसरी वामपंथी पार्टी सीपीएम के बिहार सचिव ललन चौधरी ने कहा कि मांझी को महागठबंधन में कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन वो बीजेपी के साथ एनडीए में जाना चाहते थे इसलिए सरकार छोड़कर चले गए।