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पीएम कुसुम योजना से सोलर प्लांट बढ़ाएगी किसानों की आमदनी, 10 साल में वसूल हो जाएगी लागत

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बिहार में पीएम कुसुम योजना के तहत बिजली कंपनी ने 843 विद्युत उपकेंद्रों से जुड़े 1235 कृषि/मिश्रित फीडरों के सोलराइजेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी ने इसके लिए निविदा जारी की है। इच्छुक किसान इसमें शामिल होकर आय प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना का उद्देश्य किसानों की आमदनी में वृद्धि करना और कृषि कार्यों हेतु राज्य में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।

सूबे के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि बिहार सरकार किसानों के हित में लगातार नई-नई योजनाएं ला रही है। सोलर प्लांट्स के माध्यम से न केवल किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी, बल्कि राज्य में स्वच्छ और हरित ऊर्जा का भी विस्तार होगा। ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और बिजली कंपनी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक संजीव हंस ने कहा कि पीएम कुसुम योजना के तहत किसान या कोई कंपनी 843 विद्युत उपकेंद्रों के लगभग 5 किमी दायरे के अंदर कृषि फीडर में मौजूद लोड के अनुसार फीडर के ऊर्जान्वयन हेतु सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकते हैं।

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एक मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में लगभग चार एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है। कुल लागत लगभग 4 करोड़ है। किसान/कंपनी को विद्युत उपकेंद्र के 5 किलोमीटर के दायरे के अंदर भूमि का स्वामित्व या पट्टा प्राप्त करना, संयंत्र का निर्माण करना और संयंत्र को 11 केवी ट्रांसमिशन लाइन द्वारा नजदीकी विद्युत उपकेंद्र से जोड़ना होगा। इस निविदा में कोई कंपनी अकेले या अधिकतम तीन सदस्यों के संघ के रूप में भाग ले सकती है।

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योजना में प्रत्येक निवेदक के लिए कम से कम एक करोड़ पांच लाख प्रति मेगावाट की न्यूनतम शुद्ध संपत्ति का वित्तीय मानदंड रखा गया है, परंतु किसान/किसानों के समूह सहकारिता/ पंचायत किसान उत्पादक संगठन/जल उपभोगकर्ता संघ/स्वयं सहायता संघ भी बिना किसी तकनीकी या वित्तीय मानदंड के भाग ले सकते हैं। नवीन एवं नवीकरणीय मंत्रालय, भारत सरकार प्रति मेगावाट 1 करोड़ 5 लाख की वित्तीय सहायता और बिहार सरकार प्रति मेगावाट 45 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

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वर्षों में वापस हो जाएगी मूल लागत

पूरी सोलर परियोजना की लागत 5 करोड़ 37 लाख है। लगभग 10 वर्षों में मूल लागत की वसूली हो जाएगी। किसानों या कंपनी को प्रति वर्ष 51 लाख, 59 हजार मिलेंगे। इसके बाद लगभग 50 लाख प्रति मेगावाट की दर से अगले 15 वर्षों के लिए आमदनी प्राप्त हो सकती है। सफल निवेदक को 15 महीने के अंदर सोलर प्लांट का निर्माण कर उसे 11 केवी लाइन द्वारा विद्युत उपकेंद्र से जोड़ना होगा। राज्य की दोनों वितरण कंपनियां, साउथ व नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड 25 वर्षों के लिए इस प्लांट से बिजली खरीदने का इकरारनामा करेंगी।

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