हीरो मत बनो; केके पाठक पर बरसे नीतीश के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, बोले- सैलरी कट, निलंबन से निगेटिविटी फैल रही
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अपने ही विभाग के एसीएस केके पाठक पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने पाठक को पीत पत्र जारी कर उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। मंत्री ने कहा कि आईएएस केके पाठक अपनी रॉबिनहुड छवि चमकाने, सुर्खियों में आने और राजनेताओं का ध्यान खींचने के लिए ऐसे काम कर रहे हैं, जिससे विभाग के बारे में निगेटिविटी फैल रही है। मंत्री चंद्रशेखर ने एसीएस को ‘हीरो बनने’ वाले कामों से दूर रहने की चेतावनी दी है।
मंत्री चंद्रशेखर की ओर से हाल ही में एक पीत पत्र जारी किया गया, इसमें उन्होंने एसीएस केके पाठक को हिदायत देते हुए कई निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मीडिया के साथ सूचना साझा करने के दौरान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की एसओपी का पालन किया जाए। बंद कमरों में होने वाली बैठकों की जानकारी लीक न की जाए। ऐसा कोई कृत्य न किया जाए, जिससे कि विभाग के बारे में नकारात्मकता फैले। कोई भी अधिकारी इसका उल्लंघन करते पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
मंत्री चंद्रशेखर के निजी सचिव द्वारा जारी पीत पत्र में कहा गया है कि महागठबंधन सरकार का ध्यान 10 लाख नौकरियां पैदा करना, सभी डिवीजनों और जिलों में सिमुलतला आवासीय विद्यालय-प्रकार के आवासीय विद्यालय स्थापित करना, प्रतिभाशाली छात्रों को विदेशों में उच्च अध्ययन के लिए प्रोत्साहन देना, छात्रवृत्ति सुनिश्चित करना, गरीबों की शिक्षा, स्कूलों में शैक्षणिक माहौल बनाना, बुनियादी ढांचे का विकास करना, विश्वविद्यालयों में सत्रों को सुव्यवस्थित करना आदि शामिल हैं। इन कामों का जनता से सीधा सरोकार होगा। मगर यह देखा जा रहा है कि जानकारी चुनिंदा तरीके से लीक की जाती है। अपनी छवि चमकाने के लिए विभाग की छवि खराब की जा रही है।
मंत्री ने शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों से यू-ट्यूब चैनलों, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप और पोर्टलों के माध्यम से मीडिया में ‘रॉबिनहुड’ छवि पेश करने से परहेज करने को कहा गया है।
पीत पत्र के मुताबिक शिक्षा मंत्री को लगता है कि पिछले कुछ दिनों से विभाग की छवि मीडिया में नकारात्मक बन रही है। विभाग द्वारा जारी पत्र मंत्री तक पहुंचने से पहले मीडिया के पास पहुंच जाते हैं। इन खबरों में पढ़ाई की बात नहीं होती, बल्कि सैलरी कट, निलंबन, ड्रेस कोड, नट बोल्ट टाइट करने जैसे शब्दों का डर पैदा करने के लिए इस्तेमाल हो रहा है। लोक प्रशासन में किसी भी काम का श्रेय राजनीतिक नेतृत्व को मिलता है, जबकि अधिकारी गुमनाम रहकर काम करते हैं। मंत्री लोक सेवकों द्वारा किए गए विभाग के काम की जिम्मेदारी लेता है। इसके लिए लोक सेवकों को अपने कर्तव्य के निर्वहन में निष्पक्ष और गुमनाम रहना आवश्यक है। इसके लिए एक प्रणाली विकसित करने की जरूरत है।
पीत पत्र में मंत्री चंद्रशेखर ने एक उदाहरण भी दिया है कि पिछले दिनों एक टीवी चैनल कार्यालय समय के बाद एक निदेशक के चैंबर से लाइव टेलीकास्ट कर रहा था और संबंधित अधिकारी से सवाल-जवाब भी चल रहा था। यह भी सामने आया है कि अधिकारियों के निरीक्षण और दौरों की जानकारी भी मीडिया तक पहले ही पहुंच जाती है। पत्र में कहा गया है, ऐसा लगता है कि कोई विशेष व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए मीडिया में ऐसी जानकारी प्रसारित करने और सरकार की छवि खराब करने में लिप्त है।
पत्र में कहा गया है कि विभाग को सरकार की घोषित नीति के अनुरूप जनता से संबंधित महत्वपूर्ण सूचनाओं के प्रचार-प्रसार में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी, लेकिन गोपनीय एवं नकारात्मक सूचनाओं को लीक करना बिहार सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1976 में निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन है। फिलहाल यह मुद्दा बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। शिक्षा मंत्री और एसीएस केके पाठक के बीच तनातनी की बात कही जा रही है।