भ्रष्टाचार पर शिकंजाः दाखिल-खारिज के आवेदन रद्द करने का बताना होगा कारण, मंत्री ने दिया यह आदेश
व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े
बिहार में दाखिल-खारिज को लेकर राज्य सरकार ने अंचलों की जिम्मेवारी तय कर दी है। अब कोई दाखिल-खारिज का आवेदन बगैर कारण बताए रद्द नहीं होगा। अंचल अधिकारियों को हर हाल में आवेदन रद्द करने का कारण स्पष्ट बताना होगा। आनन-फानन में कोई आवेदन अस्वीकृत नहीं किया जा सकेगा। अगर आवेदन अस्वीकृत किया गया तो वह मान्य नहीं होगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस संबंध में सभी अंचलों को निर्देश जारी कर दिया है।
दरअसल, इस समय दाखिल-खारिज को लेकर राज्य सरकार बेहद गंभीर है। बड़ी संख्या में ऐसे मामले लगातार लंबित हो रहे हैं। उनके निष्पादन की रफ्तार बेहद धीमी है। यही नहीं इसके स्वीकृत करने और अस्वीकृत करने का भी कोई कारण नहीं बताया जाता है। इससे आवेदकों को समझ ही नहीं आता कि आखिर उनका आवेदन क्यों नामंजूर हो गया।
एक दिन में 612 आवेदन ठंडे बस्ते में
पिछले दिनों एक ही दिन में 4200 आवेदन निष्पादित कर दिया गया, जिसमें 3600 आवेदन अस्वीकृत हो गए। इस घटना के बाद विभाग बेहद गंभीर हो गया। दाखिल खारिज की स्थिति कितनी खराब है, इसका अंदाजा से लगाया जा सकता है कि हर दिन दाखिल-खारिज के औसतन 612 मामले ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। इनका निपटारा नहीं हो पाता है।
5 सालों में 33 लाख आवेदन रद्द
पिछले पांच वर्षों में 93 लाख दाखिल-खारिज के आवेदन अंचल कार्यालयों को मिले। इनमें से केवल 49 लाख मामलों में ही लोगों को सेवा मिल पायी। हैरत की बात यह है कि लगभग एक तिहाई मामलों को नामंजूर कर दिया गया। 33 लाख मामले खारिज हो गए। इनमें से अधिसंख्य लोगों को पता ही नहीं है कि उनका आवेदन रद्द क्यों किया गया।
11 लाख से अधिक मामले अभी भी पेंडिंग
इस समय दाखिल-खारिज के जो मामले लंबित हो रहे हैं, उनको लेकर जब आवेदक विभाग का चक्कर लगाते हैं और बार-बार दफ्तर पहुंचते हैं तो अंचल कार्यालय दबाव में आवेदन को ही अस्वीकृत कर पल्ला झाड़ लेता है। इससे अनावश्यक रूप से परेशानी बढ़ती है। यदि आवेदक इंतजार करते हैं तो लंबित मामले लगातार बढ़ते जाते हैं। इस समय दाखिल-खारिज के 11 लाख से अधिक मामले लंबित पड़े हैं।
क्या कहते हैं मंत्री?
बगैर कारण बताए दाखिल-खारिज के आवेदनों को रद्द नहीं किया जा सकेगा। अंचल को हर हाल में आवेदन अस्वीकृत करने का कारण बताना होगा। बगैर कारण बताए आवेदन रद्द करना किसी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगा।
– आलोक कुमार मेहता, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री