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तब लालू के कारण PM बनने से रह गए थे मुलायम सिंह यादव, शरद को भी मानते थे जिम्‍मेदार

मुलायम सिंह यादव नहीं रहे। आज सुबह उनका निधन हो गया। अब रह गई हैं तो उनकी यादें। ऐसी ही एक याद है उनके प्रधानमंत्री बनते-बनते रह जाने की। साल 1997 में जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार गिरी, तब संयुक्त मोर्चा की मिली-जुली सरकार में प्रधानमंत्री पद के लिए मुलायम सिंह यादव के नाम पर सहमति बनती दिखी थी, लेकिन तत्‍कालीन जनता दल से अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव के विरोध के कारण ऐसा हो नहीं सका था। एक बार मुलायम सिंह यादव ने भी कहा था कि लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह ने उन्‍हें प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। हालांकि, कालक्रम में लालू प्रसाद यादव से उनके संबंध मधुर हो गए।

16 दिनों में ही गिर गई वाजपेई की सरकार

वह 90 के दशक का राजनीतिक अस्थिरता का माहौल था। कांग्रेस के एकछत्र राज वाला दौर समाप्‍त हो चुका था। भारतीय जनता पार्टी धीरे-धीरे उभर रही थी। साल 1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 161 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। कांग्रेस को 141 सीटें ही मिलीं। सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा किया और अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन वे लोकसभा में बहुमत सिद्ध नहीं कर सके। इस कारण केवल 16 दिनों में ही उनकी सरकार गिर गई।

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लालू के कारण चली गई देवगौड़ा की कुर्सी

इसके बाद संयुक्‍त मोर्चा की सरकारों का अस्थिर दाैर आया। एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने। इस दौर में लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाला में ​सीबीआइ का शिकंजा कस रहा था। प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने उन्‍हें इस मामले में कोई राहत नहीं दी। पत्रकार व लेखक संकर्षण ठाकुर अपनी किताब ‘बंधु बिहारी’ में बताते हैं कि 1997 में चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव ने देवगौड़ा को फोन लगाकर खरी-खोटी सुनाई थी। तब देवगौड़ा ने भी दो-टूक कह दिया था कि भारत सरकार और सीबीआइ कोई जनता दल नहीं है कि जब चाहा जिसे चाहा भैंस की तरह हांक दिया। तब 22 सासंदों वाले लालू प्रसाद यादव के कारण देवगौड़ा की कुर्सी चली गई।

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पीएम के लिए सामने आया मुलायम का नाम

देवगौड़ा के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए किसी नए चेहरे की तलाश थी। तब लालू प्रसाद यादव के नाम की भी चर्चा हुई, लेकिन चारा घोटाला में सीबीआइ का शिकंजा आड़े आ गया। मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के ज्योति बसु ने उनकी उम्मीदवारी पर ​वीटो लगा दिया। चंद्र बाबू नायडू का नाम सामने आया, लेकिन वे संयुक्त मोर्चा की अस्थिरता में फंसना नहीं चाहते थे। इसी दौरान मुलायम सिंह यादव का नाम भी सामने आया।

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मुलायम के विरोध में अड़ गए लालू यादव

अपनी किताब ‘बंधु बिहारी’ में संकर्षण ठाकुर बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव के नाम पर चंद्रबाबू नायडू व वाम दल सहमत थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव अड़ गए कि एक यादव को ही प्रधानमंत्री बनना है तो वे खुद क्यों नहीं हो सकते? जब उनके खिलाफ चारा घोटाला में जांच चल रही थी तो मुलायम सिंह यादव पर भी तो भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। लालू ने फिर चंद्र बाबू नायडू और वाम दलों के सामने साफ छवि वाले इंद्र कुमार गुजराल का नाम आगे किया। उनके नाम पर सहमति बन गई। इसके साथ मुलायम प्रधानमंत्री बनने से रह गए।

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खुद मुलायम ने भी कही थी ये बात…

खुद मुलायम सिंह यादव की बात करें तो एक बार उन्‍होंने कहा था कि लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह ने उन्‍हें प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया था। हालांकि, तब से अब तक राजनीति के कई दौर आ-जा चुके हैं। कालक्रम में लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव के संबंध मधुर हो गए।

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