कल्याणपुर विधानसभा सीट: दलित वोट होंगे निर्णायक, नीतीश के मंत्री महेश्वर हजारी के सामने बिखराव रोकने की चुनौती

समस्तीपुर : जिले के कल्याणपुर विधानसभा सीट बिहार की उन गिनी-चुनी सीटों में से एक है जहां जदयू का वर्चस्व दशकों से है। कल्याणपुर सीट 1967 के विधानसभा चुनाव में पहली बार अस्तित्व में आई थी। यहां से वर्तमान में बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के मंत्री व जदयू के वरिष्ठ नेता महेश्वर हजारी विधायक है। इस सीट का कई बार महिला विधायकों ने भी प्रतिनिधित्व किया है। यह सीट हर चुनाव में अपनी जातीय संरचना और सामाजिक समीकरणों के कारण सियासी चर्चा में बनी रहती है।
यहां 2020 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता महेश्वर हजारी ने भाकपा-माले के रंजीत राम को हराकर सीट पर कब्जा बरकरार रखा था। 2010 के विधानसभा चुनाव से पहले यह एक सामान्य सीट थी। 2008 में हुए परिसीमन के बाद इस अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। आरक्षित सीट बनने से पहले इस सीट से जीते ज्यादातर उम्मीदवार भूमिहार या कोइरी जाति से थे। 2010 में आरक्षित सीट होने के बाद यहां से तीन चेहरे जीते इनमें रामसेवक हजारी, मंजू कुमारी और महेश्वर हजारी शामिल हैं। महेश्वर हजारी 2020 में भी यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे। तीनों ही जदयू के सिंबल पर जीतकर ही सदन पहुंचे। यानी की परिसीमन के बाद से लगातार ही जदयू इस सीट पर अपना कब्जा बनाए हुए है। इसके बावजूद 2020 में भाकपा-माले जैसी वामपंथी पार्टी ने राजद-कांग्रेस की सहायता से जदयू को मजबूत टक्कर दी थी, जहां जदयू को 38.5 प्रतिशत तो वहीं माले को 33 प्रतिशत वोट मिले थे। अब 2025 के चुनाव को लेकर हलचल शुरू हो चुकी है।

कल्याणपुर में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 3.24 लाख है, जिनमे अनुसूचित जाती के मतदाता करीब 21 प्रतिशत है, मुस्लिम मतदाता लगभग 10 प्रतिशत है और बाकी वोटर ओबीसी और कुछ फॉरवर्ड जातियों से आते है। यहां पासवान, रविदास, यादव और कुशवाहा समुदायों का खास प्रभाव है। चूंकि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, इसीलिए दलित वोट निर्णायक भूमिका निभाता है।

परिसीमन के बाद हजारी परिवार का रहा है दबदबा :
बिहार सरकार में मंत्री महेश्वर हजारी के पिता रामसेवक हजारी समाजवादी राजनीतिज्ञ थे और बिहार विधानसभा में आठ बार विधायक रहे और वे छठे आम चुनाव में लोकसभा सांसद के रूप में चुने गए। परिसीमन के बाद 2010 में रामसेवक हजारी यहां से विधायक चुने गये। जदयू के टिकट पर उतरे रामसेवक हजारी ने लोजपा के विश्वनाथ पासवान को 30,197 वोट से हरा दिया। यह रामसेवक हजारी की बहुत बड़ी जीत थी। 2012 में उनके निधन के बाद कल्याणपुर सीट पर उपचुनाव हुए। इस उपचुनाव में जदयू के सिंबल पर रामसेवक हजारी की बहु और महेश्वर हजारी की भाभी मंजू देवी को जीत मिली। इसके बाद से 2015 और 2020 में महेश्वर हजारी यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचते रहे और मंत्रीमंडल में भी शामिल होते रहे। शहरी विकास, भवन निर्माण, और उद्योग जैसे अहम विभागों में मंत्री पद संभाला है। 2021 से 2024 तक वे बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे है। इससे पहले वह 2009 में समस्तीपुर लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके थे।

सबसे अधिक जदयू का रहा है दबदबा :
मुजफ्फरपुर और दरभंगा की सीमा को छूते कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक संरचना जितनी जटिल है, उससे ज्यादा राजनीति। यहां से सबसे अधिक पांच बार जदयू, तीन बार कांग्रेस, दो बार राजद, दो बार संशोपा और जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल व समता पार्टी दल के एक-एक बार विधायक रहे।

पूसा और कल्याणपुर दो प्रखंडों वाला क्षेत्र :
कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र में कल्याणपुर के अलावे पूसा प्रखंड भी आता है। मुख्य रूप से लोग इस क्षेत्र में खेती करते हैं। यह विधानसभा क्षेत्र बाढ़ पीड़ित इलाके में आता है। दक्षिण की तरफ जहां बूढ़ी गंडक नदी है, वहीं उत्तर की तरफ बागमती नदी से यह घिरी है। क्षेत्र में सड़क, पुल-पुलिया के निर्माण से विकास तो दिखता है, लेकिन पलायन रोकने के लिए उद्योग-धंधे लगाने का काम नहीं हुआ। विधानसभा क्षेत्र के सुदूरवर्ती बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में जाने वाली क्लौंजर पंचायत में आज सड़क और पुल निर्माण ने लोगों के आवागमन की राह आसान की है। हर वर्ष नामापुर गांव में पूल नहीं रहने के कारण बाढ़ के समय नाव पलटने से दर्जनों लोगों की मौत होते रही है। पूल का काम शुरू होने से लोगों में खुशी है।

केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और रामेश्वर जूट मिल क्षेत्र की पहचान :
उत्तर बिहार का एकलौता जूट मिल और डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय इसी विधानसभा क्षेत्र में हैं। कृषि अनुसंधान को लेकर विश्वविद्यालय की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। लेकिन, यह भी देखना होगा कि विधानसभा क्षेत्र के कई हिस्से हर साल बागमती और बूढ़ी गंडक की बाढ़ की चपेट में आते हैं। जूट मिल में उत्पादन की स्थिति अब नगण्य के बराबर हो चुकी है।

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कब-कब कौन रहे विधायक :
वर्ष : नाम : दल
1967 : ब्रह्मदेव नारायण सिंह : संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1969 : ब्रह्मदेव नारायण सिंह : संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1972 : राम नरेश त्रिवेदी : कांग्रेस
1977 : बशिष्ठ नारायण सिंह (आपातकाल के बाद चुनाव) : जनता पार्टी
1980 : सुकुमारी देवी : कांग्रेस
1985 : बशिष्ठ नारायण सिंह : लोकदल
1990 : दिलीप कुमार राय : कांग्रेस
1995 : सीता सिन्हा : जनता दल
2000 : अश्वमेध देवी : समता पार्टी
2005 : अशोक प्रसाद वर्मा : राजद
2005 : अश्वमेध देवी : जदयू
2009 : अशोक प्रसाद वर्मा : राजद
2010 : रामसेवक हजारी : जदयू
2012 : मंजू कुमारी : जदयू
2015 : महेश्वर हजारी : जदयू
2020 : महेश्वर हजारी : जदयू

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जीत- हार का अंतर
2010
प्रत्याशी – दल – प्राप्त मत
रामसेवक हजारी – जदयू : 62124
विश्वनाथ पासवान – लोजपा : 31927
जीत का अंतर : 30,197
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2015
प्रत्याशी – दल – प्राप्त मत
महेश्वर हजारी – जदयू : 84904
प्रिंस राज – लोजपा : 47218
जीत का अंतर : 37,686

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2020
प्रत्याशी – दल – प्राप्त मत
महेश्वर हजारी – जदयू : 72,279
रंजीत राम – भाकपा(माले) : 62,028
जीत का अंतर : 10,251
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पांच साल में दिखा यह बदलाव :
*सड़क एवं पुल पुलियों का जाल बिछा दिया
*आर्म्स-दरभंगा एक्सप्रेस वे से कई पंचायतो को होगा फायदा
*सरकारी योजनाएं सुदुर गांव तक पहुंची
*तीन नए बड़े पुल का निर्माण हो रहा है
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वादे जो पूरे नहीं हुए :
*हर वर्ष नामापुर और कलौंजर बाढ़ से डूबती है, कटाव का स्थायी समाधान नहीं हुआ।
*युवाओं की मांग स्टेडियम का निर्माण नहीं हुआ है।
*नये उद्योग की स्थापना नहीं की गयी है।
*जूट मिल के जीर्णोद्धार के लिये कुछ भी पहल नहीं की गयी है।
