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समस्तीपुर में इंश्योरेंस और प्रदुषण फेल सरकारी वाहनों पर चल रहे बड़े अफसर, DM की गाड़ी का ओवर स्पीड चालान एक वर्ष से है पेंडिंग

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समस्तीपुर [अविनाश कुमार] : ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर पुलिस गाड़ी मालिक और ड्राइवर से जुर्माना वसूलती है। इंश्योरेंस, प्रदूषण, फिटनेस, रोड टैक्स आदि फेल होने पर जुर्माना वसूला जाता है, लेकिन पुलिस और प्रशासनिक महकमे की ज्यादातर गाड़ियों का प्रदूषण और इंश्योरेंस अपडेट नहीं है। इतना ही नही थाने में चल रही जीप से लेकर स्कार्ट गाड़ी तक का यही हाल है। वहीं डायल 112 की ईआरवी गाड़ी खरीदारी के एक वर्ष बाद उसका प्रदुषण नहीं बन सका है।

Samastipur Town ने जब एम परिवहन एप से सरकारी गाड़ियों की पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। एम परिवहन एप पर डीएम की गाड़ी का जहां प्रदुषण फेल बता रहा है, वहीं एसपी की गाड़ी का इंश्योरेंस फेल बता रहा है। डीएम की गाड़ी का तो एक ओवर स्पीड का चालान भी कटा हुआ है जो अब तक पेंडिंग है।

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एम परिवहन एप से मिली जानकारी के अनुसार समस्तीपुर डीएम की गाड़ी संख्या बीआर 33 आर 0011 का चालान उत्तर प्रदेश प्रदेश के अयोध्या में 25 अप्रैल 2024 को ओवर स्पीड के कारण कटा हुआ है। अधिकतम 100 किलोमीटर प्रति धंटे की स्पीड के बदले डीएम की गाड़ी का स्पीड 126.30 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड डिडक्ट किय गया और दो हजार का चालान कट गया। वहीं एम परिवहन एप पर एसपी की महिंद्रा की स्कार्पियो बीआर 33 वाई 9000 का इंशोरेंस फेल बताया गया।

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चेक करने पर पता चला की उनके गाड़ी का इंशोरेंस 22 फरवरी 2018 से ही फेल है, जिसे अब रिन्यूअल नहीं कराया जा सका है। यानि पिछले 7 साल से वह गाड़ी बिना इंश्योरेंस के चल रही है, जिस पर समस्तीपुर के पुलिस कप्तान चल रहे हैं। इसके अलावे एडीएम की गाड़ी बीआर 01 पीएल 5876 का एक ओवर स्पीड का चालान कटा हुआ है। वहीं मुख्यालय डीएसपी की गाड़ी बीआर 01 पीके 9000 का प्रदुषण भी फेल है।

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बता दें कि देश में लागू मोटर वाहन कानून के तहत किसी व्यक्ति को बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है। 2019 में देश में लागू हुए मोटर वाहन कानून के तहत इंश्योरेंस पॉलिसी के बिना गाड़ी चलाना अवैध है। भारत सरकार ने सभी मोटर वाहनों के लिए रोड पर कानूनी रूप से ड्राइव करने के लिए थर्ड पार्टी लायबिलिटी इंश्योरेंस अनिवार्य कर रखा है। बगैर इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने पर पकड़े जाने पर पहली दफे 2 हजार रूपये का जुर्माना या 3 साल की कैद का प्रावधान है। वहीं दूसरी दफे पकड़े जाने पर जुर्माने की राशि 4 हजार हो जायेगी।

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लोगों ने कहा :

आम लोगों की तरह अफसरों की गाड़ियों की भी जांच होनी चाहिए। इंश्योरेंस फेल और प्रदूषण फेल निजी वाहनों को सड़क पर चलने के दौरान जिला परिवहन पदाधिकारी, एमवीआई या ट्रैफिक पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर भारी जुर्माना वसूला जाता है। जांच के क्रम में एमवीआई के आगे से निकलने वाले सरकारी वाहन पर नजर तक नहीं दिया जाता है। ऐसे में जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा आम और खास में भेदभाव किए जाने को लेकर कई तरह के सवाल लोग उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि पहले सरकारी वाहन को ही सरकारी नियम पर चलना चाहिए। उन्हें परिवहन विभाग के हर दिशा निर्देश का पालन करना चाहिए। जिसकी देखा देखी निजी वाहन चालक भी कागजात दुरुस्त रखेंगे।

वर्जन :

सरकारी गाड़ी का इंशोरेंस कराना जरूरी नहीं है। अगर निजी गाड़ी कोई अधिकारी उपयोग कर रहे हैं और इंश्योरेंस फेल है, तो यह नहीं होना चाहिए। इसमें फाइन की प्रक्रिया है। वहीं डीएम की गाड़ी के पेंडिंग फाइन को भरना होगा। इसके अलावे प्रदुषण फेल वाली गाड़ी का फाइन टाॅल प्लाजा पर आटोमेटिक कट जाता है। हमारे विभाग के द्वारा भी इसको लेकर फाइन किया जाता है।

विवेक चंद्र पटेल, डीटीओ, समस्तीपुर

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