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समस्तीपुर: स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कानून की सरेआम उड़ रही धज्जियां, कतिपय साक्षर यहां कहलाते हैं डॉक्टर

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समस्तीपुर/विद्यापतिनगर [पदमाकर सिंह लाला] :- स्वास्थ्य विभाग के सकारात्मक प्रयास एक ओर विभिन्न तरह की सुविधाओं से रोगी के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हैं। वहीं जिला स्वास्थ्य विभाग के आदेश को धत्ता बताते हुए प्रखंड में अवैध नर्सिंग होम व अस्पताल मरीजों का शोषण कर रहे हैं। ऐसे अवैध नर्सिंग होम व अस्पताल दलालों के माध्यम से रोगी को स्थानीय पीएचसी जाने के बजाय अपने यहां खींच लाते है। इसमें आशा की भूमिका भी संदिग्ध देखी जा रही है।

लाइसेंस न डिग्री वाले ऐसे अवैध नर्सिंग होम व अस्पताल में धड़ल्ले से ठगी का धंधा जारी है। नतीजतन रोज यहां कई मौतें ईलाज के दरम्यान हो रहीं हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि नीम हकीम खतरे जान वाली कहावत यहां चरितार्थ हो रहीं हैं। अवैध नर्सिंग होम व अस्पताल के चर्चा के बीच इसकी पड़ताल मंगलवार को की।

विदित हो कि यहां के एक अस्पताल में अपेंडिक्स के ऑपरेशन के दौरान रविवार को एक महिला संजू देवी की मौत हो गई थी। मौत के बाद मृतका के गांव में हंगामा मचा था। तब आरोपी अस्पताल का संचालक आनन-फानन में अस्पताल के बाहर लगें बोर्ड को उखाड़ कर भाग निकला। इस घटना में मृतका के पति टुनटुन पासवान ने अपनी पत्नी के दोनों किडनी गायब होने की बात कही थी।

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आखिरकार यह मामला डॉक्टर के 1 लाख 51 हजार रुपए दंड भरने के बाद शांत हुआ। इस घटना के प्रकाश में आते ही दर्जनों हॉस्पिटल में रोज होने वाली मौत की चर्चा सरेआम हो रहीं है। हालात यह हैं कि महज साक्षर कहें जानें वाले भी ऐसे नर्सिंग होम व अस्पताल में रोगियों का ईलाज करते देखें जा रहें हैं।

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इनका सेटिंग शहर के एमबीबीएस डॉक्टरों से होता है। जहां इनके द्वारा की गई चिकित्सा उपरांत गंभीर खतरे का आभास होने पे ये झोला छाप डॉक्टर बड़े डॉक्टर के यहां जानें का सलाह दे देते हैं। पड़ताल में पाया गया कि कई अस्पताल व नर्सिंग होम के आगे लगें बोर्ड में दूर पदस्थापित एमबीबीएस, आयुष चिकित्सक के नाम का इस्तेमाल किया जाता है। एक एमबीबीएस डॉक्टर के नाम के बोर्ड का इस्तेमाल आधे दर्जन निजी अस्पताल में देखा गया। उक्त डॉक्टर से संपर्क करने जानकारी मिली कि बिना अनुमति एमबीबीएस डॉक्टर के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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ऐसे में मऊ बाजार स्थित मुस्कान सेवा सदन, निदान सेवा सदन, शिव जी इमरजेंसी हॉस्पिटल पर बिना अनुमति वाले डॉक्टर का नाम लिखा था। वहीं हरपुर बोचहा चौक पर सोनम इमरजेंसी हॉस्पिटल में पड़ताल के दौरान हॉस्पिटल के बेड पर कई मरीज ईलाज करवाते देखें गए जहां चकला गांव की मरीज सुमित्रा देवी पूछने पर बताती है कि कल ही मेरा बंध्याकरण का ऑपरेशन हुआ है। इसके लिए 25 हजार रुपए दिए जाने की बात कहीं।

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बजरंग बली चौक के समीप दिव्या भारती हेल्थ केयर हॉस्पिटल भी मरीजों से भरा हुआ था। यही हाल कांचा चौक के पिंकी इमरजेंसी हॉस्पिटल में देखा गया। प्रखंड के अलग अलग चौदह पंचायत में ऐसे फर्जी नर्सिंग होम व अस्पताल की भरमार हैं। पूछे जाने पर पीएचसी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. मदन कुमार ने कहा कि प्रखंड क्षेत्र में एक भी निजी नर्सिंग होम व अस्पताल निबंधित नहीं है। वहीं स्वास्थ्य मानकों का पालन नहीं किया जाता है।

समय-समय पर विभागीय जांच पड़ताल के क्रम में संचालक नर्सिंग होम व अस्पताल बंद हो फरार हो जाते हैं। पूर्व में हुए जांच की रिपोर्ट वरीय पदाधिकारी को भेजी जा चुकी है। पुनः आदेश मिलने पर ऐसे नर्सिंग होम व अस्पताल पर कार्रवाई करने के लिए वरीय पदाधिकारी को रिपोर्ट भेजी जायेगी। बिना निबंधन के ही पूरे प्रखंड क्षेत्र में करीब पचास से अधिक नर्सिंग होम व अस्पताल का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। बिना पंजीकरण के चल रहे इन अस्पतालों में ओपीडी के साथ प्रसव भी कराएं जाते हैं। इनमें गांव की दाईयां प्रसव कराती हैं। हालांकि कई बार असुरक्षित प्रसव होने के कारण जच्चा बच्चा की मौत के भी कई मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा फर्जी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड के नाम पर भ्रूण परीक्षण भी धड़ल्ले से जारी है। इन अस्पताल के बोर्डों पर एमबीबीएस डॉक्टरों के नाम तो अंकित हैं, लेकिन मरीजों का इलाज झोलाछाप ही करते हैं।

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किराए पर डिग्री दे रहे डॉक्टर :

एमबीबीएस डॉक्टर ही अस्पताल का पंजीकरण करा सकता है। ऐसे में संचालक एमबीबीएस डॉक्टर की डिग्री बोर्ड पर अंकित कर बदले में डॉक्टर को अस्पताल संचालक द्वारा महीने व साल में मोटी धन राशि डॉक्टरों को दे कर धड़ल्ले से नर्सिंग होम व अस्पताल का संचालन कर रहें हैं। जबकि प्रसव आदि कराने के लिए एमबीबीएस महिला डॉक्टर का होना अनिवार्य है। हालांकि प्रशिक्षित स्टाफ नर्स से भी काम चल सकता है।

संकीर्ण कमरे में चल रहे मेडिकल स्टोर और अस्पताल : 

कई मेडिकल स्टोर छोटे- छोटे संकीर्ण कमरे में चल रहे हैं। इसके संचालक उसी में बैठकर मरीजों का इलाज भी करते हैं। बताते हैं कि यह मेडिकल स्टोर मानकों को भी पूरा नहीं कर रहे हैं, और न ही उनका लाइसेंस है।

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आशाओं की भी रहती है संलिप्तता :

आशाओं को भले ही गर्भवती महिलाओं की देखरेख करने के लिए रखा गया हो, लेकिन मोटे कमीशन के लालच में आशाएं गांव की भोली- भाली गर्भवती महिलाओं को बेहतर इलाज का झांसा देकर इन फर्जी अस्पतालों में ले जाती है, जिसमें उन्हें मोटा कमीशन मिलता है।

यह है अस्पताल का मानक :

रजिस्ट्रेशन एमबीबीएस डिग्री धारक डॉक्टर के नाम पर होता है। प्रसव के लिए एमबीबीएस महिला डॉक्टर या फिर प्रशिक्षित स्टाफ नर्स, फायर ब्रिगेड और प्रदूषण बोर्ड से एनओसी, बिल्डिंग का नक्शा, किराया नामा या मालिकाना हक, कचरा प्रबंध के लिए अलग- अलग रंग की बाल्टी आदि होनी चाहिए। मेडिकल स्टोर होने की स्थित में उसका भी पंजीकरण होना चाहिए।

संचालित हॉस्पिटल : 

सोनम इमरजेंसी हॉस्पिटल हरपुर बोचहा, केयर हॉस्पिटल कांचा, पिंकी इमरजेंसी कांचा, मुस्कान सेवा सदन मऊ बाजार, कृष्णा हेल्थ केयर हॉस्पिटल बाजिदपुर, चाइल्ड केयर हॉस्पिटल बोचहा, निदान सेवा सदन मऊ बाजार, लक्ष्मी नारायण सेवा सदन मऊ बाजार सहित दर्जनों, नारायण हॉस्पिटल बजरंगी चौक, साइन हॉस्पिटल बजरंगी चौक, शिव सेवा सदन हेल्थ केयर विद्यापतिनगर सहित दर्जनों निजी नर्सिंग होम बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा रहा है।

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