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समस्तीपुर कोर्ट परिसर में हुए गोलीकांड मामले का पुरा घटनाक्रम यहां जानें, कैसे रची गयी साजिश! घटना को अंजाम देने के बाद सभी किस रास्ते से कहां हुए फरार…

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समस्तीपुर : समस्तीपुर पुलिस ने 7 दिन बाद शुक्रवार को आखिरकार कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े फायरिंग कर दो बंदियों को घायल कर दिए जाने मामले का खुलासा कर दिया। घटना के मास्टरमाइंड सहित तीन अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उनके पास से पुलिस ने कांड में प्रयुक्त एक पिस्टल और दो गोली बरामद किया है। कोर्ट परिसर में मामले का खुलासा करते हुए एसपी विनय तिवारी ने बताया कि पूरी घटना की योजना डेढ़ महीने पहले तैयार की गई थी। घटना की गंभीरता को देखते हुए सदर डीएसपी संजय कुमार पाण्डेय एवं मुख्यालय डीएसपी अमित कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया था।

एसआईटी की अलग-अलग टीम ने झारखण्ड, दिल्ली और बिहार में छापेमारी कर घटना के मास्टरमाइंड सहित 3 अपराधियों को गिरफ्तार किया है। जिनकी पहचान वैनी ओपी के अख्यिारपुर चंदौली निवासी मो. ओवैस खान, कल्याणपुर थाना क्षेत्र के कल्याणपुर निवासी रामबाबू राय एवं वैनी ओपी के रेपुरा निवासी अमन कुमार उर्फ कारगिल के रूप में हुई है।

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झारखंड से आए शूटरों ने दिया था घटना को अंजाम

एसपी विनय तिवारी ने बताया कि कल्याणपुर थाना क्षेत्र के कल्याणपुर पंचायत के मुखिया पति रामबाबू राय, रायबहादुर, नीरज एवं डबलू आपस में मिलकर शराब का कारोबार करते थे। इन लोगों ने ही मिलकर घटना के लिए रुपए और हथियार उपलब्ध कराए थे। वहीं गोलू ने कुख्यात अपराधी कारगिल, टेनी और विजय ड्राइवर के साथ मिलकर घटना को अंजाम देने, गाड़ी उपलब्ध कराने और कैसे घटना को अंजाम देकर फरार होना है कि योजना तैयार की थी। घटना को झारखंड से आए दो शूटरों सहित तीन शूटरों ने अंजाम दिया था और वहीं एक अपराधी रेकी का काम कर रहा था।

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डेढ़ साल पहले पड़ी थी घटना की नींव, डेढ़ महीने पहले हुई थी घटना की योजना तैयार

इस घटना की नींव डेढ़ साल पहले पड़ी थी। रघुवर राय की हत्या के बाद कल्याणपुर और चकमेहसी क्षेत्र में अपना दबदबा स्थापित करने के लिए प्रभात चौधरी ने अपना गैंग बनाकर शराब के कारोबार में कदम रखा। शमशेर हत्याकांड में प्रभात चौधरी के जेल में जाने के बाद रामबाबू राय ने क्षेत्र में शराब कारोबार में अपना साम्राज्य स्थापित किया था। क्षेत्र में शराब की कोई भी बड़ी खेप और आपराधिक वारदात रामबाबू के बगैर नहीं हो रहा था। इसी को लेकर दोनों गिरोह के बीच तनातनी बनी हुई और बीच के दिनों में दोनों गिरोह के बीच जबरदस्त फायरिंग की घटना भी की गई थी। क्षेत्र में शराब कारोबार में कंपटीशन दे रहे प्रभात चौधरी को रास्ते से हटाने को लेकर 15 जुलाई को रामबाबू राय के घर पर आयोजित बैठक में इसकी योजना तैयार की गई थी।

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दो थानाध्यक्ष भी निलंबित :

एसपी ने बताया कि कांड अनुसंधान के दौरान पाया गया कि डेढ़ वर्ष में रामबाबू राय का शराब धंधा का बड़ा नेटवर्क था। लेकिन कहने के बावजूद कल्याणपुर थानाध्यक्ष गौतम कुमार व चकमेहसी थानाध्यक्ष चंद्रकिशोर टुडू ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा रहा है। उनके स्थानों पर नए थानाध्यक्ष की पोस्टिंग की जाएगी। एसपी ने कहा कि अपने-अपने क्षेत्र में शराब के अवैध धंधे पर नियंत्रण नहीं करने के कारण निलंबन की कार्रवाई की गयी है। अगर समय रहते कार्रवाई की जाती तो शायद कोर्ट कैंपस में हुई गोलीबारी की घटना नहीं होती।

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रामबाबू पर नहीं है कोई केस दर्ज :

एसपी ने बताया कि कल्याणपुर में प्रभात चौधरी, डब्ल्यू व रामबाबू राय द्वारा शराब के अवैध धंधा संचालित किया जा रहा था। प्रभात चौधरी के जेल जाने के बाद रामबाबू व डब्ल्यू मिलकर अपना वर्चस्व स्थापित करने लगे। रामबाबू के शराब धंधे की सूचना पर कई बार कल्याणपुर व चकमेहसी थानाध्यक्ष को कार्रवाई करने को कहा गया, लेकिन रामबाबू के खिलाफ एक भी मामला अब तक दर्ज नहीं हुआ। जबकि डब्ल्यू के खिलाफ कुछ मामला दर्ज है।

60 लाख रुपए में हुई थी डील :

एसपी ने बताया कि प्रभात चौधरी की हत्या करने के लिए 60 लाख रुपए में डील की गयी थी। इसका मास्टरमाइंड रामबाबू राय है। इसको लेकर 15 जुलाई को रामबाबू राय के घर पर छह सात लोगों की बैठक हुई थी। जिसमें गोलू से शूटर की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए 60 लाख रुपए में डील की गयी थी। इसके बाद 25 जुलाई से दस अगस्त के बीच गोलू ने मो. औवैस व टेनी के साथ घटना को अंजाम देने का तीन बार प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। इसके बाद गोलू ने विजय ड्राइवर की मदद से झारखंड से दो शूटर को बुलाया और 26 अगस्त को कोर्ट में गोलीबारी की। इस दौरान प्रभात चौधरी की जांघ में व उसके साथ दूसरे कैदी के हाथ में गोली लगी थी।

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डब्लू को देना था 30 लाख रुपए :

एसपी ने बताया कि 60 लाख के डील में 30 लाख रुपए डब्लू को देना था। इसके बाद झारखंड दो शूटर बुलाया गया और 26 अगस्त को मोहनपुर के एक अपार्टमेंट में शूटर को ठहराया गया था। इसके बाद कोर्ट परिसर में तीन स्तर पर अपराधियों ने हत्या की प्लानिंग की थी। जिसमें तीनों शूटर कोर्ट परिसर में लगभग डेढ घंटे तक हथियार के साथ रहे। जैसे ही प्रभात चौधरी पेशी के बाद बाहर निकला, शूटरों ने फायरिंग कर दी थी।

एक गोली हो गयी थी मिस :

एसपी ने बताया कि प्रभात चौधरी पर गोली फायर करते ही एक गोली मिस कर गया। जिसके बाद सुरक्षा कर्मी ने रस्सी को नीचे कर दिया। जिसके बाद दूसरी गोली प्रभात चौधरी के जांघ में वह तीसरी गोली दूसरे कैदी के हाथ में लगी। इस दौरान होमगार्ड जवान ने रस्सी की मदद से एक अपराधी के गले में फंसा कर पकड़ लिया था, लेकिन अफरातफरी ऐसी मची कि अपराधी फरार हो गया। यह सीसीटीवी फुटेज में भी है।

घटना के बाद रामबाबू गया मुंगेर :

कोर्ट में गोलीबारी की घटना के दिन रामबाबू राय समस्तीपुर पहुंचा था। जिसके बाद वह मुंगेर चला गया और रात में घर पहुंचा, ताकि पुलिस को संदेह नहीं हो। वहीं डब्ल्यू दस दिन पूर्व शराब पीकर पटना पुलिस के हाथों गिरफ्तार हो गया, चाहता तो वह जुर्माना देकर छूट भी सकता था, लेकिन वह जेल चला गया, ताकि इस घटना में पुलिस को उसकी कोई भूमिका नहीं मालूम हो सके।

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इन पुलिस कर्मियों की रही बेहतर भूमिका :

एसपी ने बताया कि कोर्ट गोलीबारी की घटना के बाद सदर डीएसपी व मुख्यालय डीएसपी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया था। इनके नेतृत्व में नगर थानाध्यक्ष विक्रम आचार्या, कर्पूरीग्राम थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह, पूसा थानाध्यक्ष चंद्रकांत गौरी, डीआईयू प्रभारी मुकेश कुमार, दलसिंहसराय थानाध्यक्ष अनिल कुमार, मुसरीघरारी थानाध्यक्ष पंकज कुमार व ताजपुर थानाध्यक्ष ब्रजकिशोर सिंह व डीआईयू के अरविंद कुमार की भूमिका काफी सराहनीय रही। यह टीम चार दिनों तक लगातार छापेमारी करते हुए कांड में गिरफ्तारी सुनिश्चित की।

यहां देखें पूरा वीडियो और समझे घटनाक्रम… 

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