एक अध्यापक के लिए आवश्यक है कि वह शिक्षण कौशलों का अर्थ समझे
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समस्तीपुर : एक अच्छा ‘शिक्षण-प्रशिक्षक’ सदैव अपने प्रशिक्षार्थियों में विशिष्ट शिक्षण-कौशलों में निपुणता प्रदान करता है। अतः एक अध्यापक के लिए आवश्यक हो जाता है कि वह शिक्षण कौशलों का अर्थ समझे, उनकी धारणाओं से परिचित हो और उन पर पूर्ण अधिकार प्राप्त करने में समर्थ हो। तभी वह एक अच्छा, निपुण शिक्षक बन सकता है। उक्त बाते सोमवार को दादपुर स्थित गुरूकुल सीनियर सेकेंड्री स्कूल में आयोजित इन हाउस ट्रेनिंग को संबोधित करते हुए लव कुमार ने कही।
उन्होंने क्रिएटिव एंड सॉफ्ट स्किल्स विषय पर प्रशिक्षण देते हुए बताया कि सॉफ्ट स्किल्स, जिसे सामान्य कौशल या मुख्य कौशल के नाम से भी जाना जाता है। यह वह स्किल्स है जिसे बिना एकेडमिक ज्ञान के प्राप्त किया जाता है। सॉफ्ट स्किल हमारी प्रोफेशनल लाइफ में काम आने वाले विशिष्ट कुशलता है।
एकेडमिक डिग्री या तकनीकी अनुभव से परे यह कौशल सभी इंडस्ट्री और हर नौकरी के क्षेत्र में काम आती है। सॉफ्ट स्किल्स हर करियर के लिए उपयोगी है। सॉफ्ट स्किल्स एक व्यापक क्षेत्र है, जिसमें संप्रेषण, व्यवसायिकता, धैर्य, रचनात्मकता, उत्साह, आत्मविश्वास, समर्पण आदि स्किल्स शामिल हैं।
प्रशिक्षक ने बताया कि रचनात्मकता शिक्षण की एक ऐसी रणनीति है जिसमें विद्यार्थी के पूर्व ज्ञान, आस्थाओं और कौशल का इस्तेमाल किया जाता है। रचनात्मक रणनीति के माध्यम से विद्यार्थी अपने पूर्व ज्ञान और सूचना के आधार पर नई किस्म की समझ विकसित करता है। इस शैली पर काम करने वाला शिक्षक प्रश्न उठाता है और विद्यार्थियों के जवाब तलाशने की प्रक्रिया का निरीक्षण करता है, उन्हें निर्देशित करता है तथा सोचने-समझने के नए तरीकों का सूत्रपात करता है।
मौके पर प्राचार्य नीरज कुमार, उप प्राचार्य नीलाद्री सरकार, मुकेश कुमार सिंह, सुशील कुमार, आनंद कुमार सिंह, राजेश कुमार राॅय, मो. गुलाब, अंशु कुमारी, बुलबुल सिंह, सुप्रिया रानी, रूणा कुमारी, शबनम कुमारी, मधुमिता सहित दर्जनों शिक्षक उपस्थित थे।