मक्के की बाली में दाना नहीं आने पर कृषि वैज्ञानिकों की 4 सदस्यी टीम जांच में पहुंची, Samastipur Town पर चली थी खबर
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समस्तीपुर/विभूतिपुर :- समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड अंतर्गत भुसवर, साख मोहन आदि गांव में मक्के की बाली में दाना नहीं आने के मामले में Samastipur Town मीडिया की खबर का असर दिखा है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की चार सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम मंगलवार को विभूतिपुर पहुंची।
टीम के सदस्यों में शामिल डॉ राजेंद्र केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार के अलावा डॉ आर के तिवारी, डॉ गौरी शंकर गिरी, डॉ दिवेश कुमार शामिल हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने खेत में पहुंचकर 25 से 30 स्थानों पर उपजे मक्के की बाली का संग्रह किया। इसके अलावा विभिन्न जगहों से मिट्टी का सैंपल भी लिया।
इसके साथ ही उन्होंने 2 दर्जन से अधिक किसानों से खेती करने के तरीका, खाद डालने की जानकारी, पटवन का तरीका आदि विषयों पर बात की। बाद में डॉ राजेंद्र केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अधीन केवीके बिरौली के मक्का विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉक्टर आरके तिवारी ने बताया कि मक्के की बाली, मिट्टी का संग्रह किया गया है। जिसे केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के लैब में जाकर जांच की जाएगी। जांच उपरांत ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि किस कारण से मक्के की बाली में दाना नहीं आया है।
तापमान का उतार-चढ़ाव भी बन सकता है कारण
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि मौसम का उतार-चढ़ाव के कारण भी मक्के की बाली में दाना नहीं आने का कारण हो सकता है। हालांकि यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। उन्होंने बताया कि दिसंबर महीने में तापमान अधिक था। जबकि जनवरी में तापमान काफी गिर गया था। ऐसी स्थिति में भी दाना नहीं आ सकता है। इन सब बिंदुओं पर विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों के बीच आकलन किया जाएगा। जिसके बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि दाना किस कारण से नहीं आया है।
किसानों ने आवश्यकता से अधिक डाला है खाद
किसी वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार ने बताया कि पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई है कि क्रॉप में जितना खाद देना चाहिए था किसानों ने उससे ज्यादा खाद का प्रयोग किया है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति बेहतर है। बावजूद मक्के की बाली में दाना नहीं आना सवाल खड़ा करता है।
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