समस्तीपुर Town

नजर हर खबर पर…

SamastipurNEWS

समस्तीपुर में निजी डॉक्टर लिख रहे अपनी दुकान की दवाइयां, मनमाना रेट लेकर खुद ही मरीजों से बेच रहे

बाहर से दवाएं खरीदने वाले तीमारदारों को क्लिनिक संचालक करते हैं परेशान 

IMG 20210427 WA0064 01

व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े 

समस्तीपुर :- शहर के निजी क्लीनिकों पर संचालित मेडिकल स्टोर से जेनेरिक दवाइयां मरीजों को महंगे रेट में बेची जा रही हैं। डॉक्टर मरीज के पर्चे पर ऐसी मेडिसिन लिख रहे हैं जो सिर्फ क्लीनिक के मेडिकल स्टोर के अलावा दवा बाजार में कहीं ओर नहीं मिलती। इसके चलते मरीजों व उनके परिजन से कम रेट की दवाईयों के मनमाने रेट वसूले जा रहे हैं। यह आलम इसलिए जोर पकड़े हुए हैं क्योंकि सीएमएचओ स्तर से कोई कार्रवाई नियम तोड़ने वाले प्राइवेट चिकित्सकों पर नहीं की जा रही है।

लगभग 15 साल पहले तक डॉक्टरों का काम मरीज का चेकअप कर उसके पर्चा पर दवा लिखना होता है। उनकी लिखी दवाएं किसी भी मेडिकल स्टोर पर मिल जाती थीं। दवाओं को बेचने का काम पूरी तरह से दवा व्यापारियों के हाथों में था।अब दवा बनाने वाली कंपनियों ने मरीज और दवा के बीच की कड़ी व्यापारी को हटाना शुरू कर दिया।

कंपनियों ने सीधे डॉक्टरों से संपर्क साधा और अपनी दवाएं लिखने के बदले महंगे उपहार डॉक्टरों को देने लगे। अधिकतर डॉक्टरों को यह कारोबार भा गया और कंपनियों की पसंद की दवाएं ही डॉक्टरों ने मरीजों को लिखनी शुरू कर दी। वहीं कंपनियों ने डॉक्टरों को विदेशी टूर पर भी भेजना शुरू कर दिया।

IMG 20220728 WA0089

झोलाछाप डॉक्टरों का भी खुद का अस्पताल खुद की दवाई

सरकारी एवं अन्य चिकित्सकों के साथ-साथ दवाओं के जरिए कमाई करने में झोलाछाप चिकित्सक भी पीछे नहीं है। झोलाछाप चिकित्सकों ने जगह-जगह अपनी क्लीनिक संचालित कर रखी हैं। खास बात यह है कि इन झोलाछाप चिकित्सकों का खुद का अस्पताल है और खुद की दवाई हैं। यहां पर फीस के नाम पर मरीजों से मात्र 20 या 50 रुपए लिए जाते हैं किंतु दवाइयों के जरिए मरीजों को बुरी तरह से ठगा जा रहा है। अनभिज्ञता के चलते मरीज चिकित्सक की बातों में आकर महंगे दामों पर दवाइयां खरीद रहे हैं।

IMG 20220828 WA0028

अस्पतालों में ही खुल गए मेडिकल स्टोर

दवा बिक्री में मोटा मुनाफा देखकर डॉक्टरों ने अपनी क्लिनिक में अपने परिजनों और चहेतों को मेडिकल स्टोर खुलवा दिए है। भर्ती मरीजों को उनके मेडिकल स्टोर से ही दवाएं खरीदनी पड़ती है। बाहर से दवाएं खरीदने वाले तीमारदारों को क्लिनिक संचालक परेशान करते हैं। दिन दूनी रात चौगुनी कमाई की दौड़ में शामिल कुछ दवा कारोबारी और डॉक्टर मरीजों की जेब से मनमाना पैसा निकाल रहे हैं, इसका अंदाजा बाजार में उपलब्ध जीवन रक्षक और अन्य महत्वपूर्ण दवाओं की कीमतें देखकर लगाया जा सकता है।

एक साल्ट और एक ही फार्मूला होने के बावजूद बाजार में उपलब्ध अलग-अलग कंपनियों की दवाओं की कीमतों में जमीन-आसमान का अंतर है। डॉक्टरों का मरीजों को ऐसी दवाएं प्रिस्क्राइब करने का पूरा जोर रहता है जिसमें मोटे कमीशन के साथ उन्हें फायदा पहुंचाने वाली स्कीमें भी ज्यादा हों। ब्लड प्रेशर, शुगर, ताकत, हृदयरोग, एंटीबायोटिक, एलर्जी, जुकाम- सर्दी आदि रोगों की दवाओं का पूरे साल ज्यादा कारोबार होता है। उनका निर्माण करने वाली कंपनियां उन पर मनमानी कीमतें प्रिंट करती हैं।

IMG 20211012 WA0017

किसी तरह का ड्रग लाइसेंस जरुरी नहीं

दवा कारोबार की बारीकी समझने के बाद कुछ डॉक्टरों ने इससे भी आगे चलकर अपने ब्रांड की दवाएं कंपनियों से बनवानी शुरू कर दी हैं। दवाईयों पर डॉक्टर की पसंद का मूल्य छपवाया जाने लगा है। ऐसी दवाओं को प्राइवेट डॉक्टर अपने ही क्लीनिक में रखकर मरीजों को बेच रहे हैं। इससे होने वाला सारा मुनाफा डॉक्टरों की जेब में ही जाने लगा है। देखा देखी अधिकतर डॉक्टरों ने इस धंधे को अपना लिया है। आज समस्तीपुर शहर में कई डॉक्टर इस धंधे में लिप्त हैं और मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। इन डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाएं उनके क्लीनिक के अलावा कहीं नहीं मिलती, क्योंकि ये डॉक्टर केवल दवा का नाम लिखते हैं उसकी ड्रग नहीं।

1 840x760 1

JPCS3 01

IMG 20220928 WA0044

IMG 20220915 WA0001

Picsart 22 09 15 06 54 45 312

IMG 20220331 WA0074

20201015 075150