रशियन यूना ने वृंदावन के गौ-सेवक राजकरन से की शादी, वायरल हुई लव स्टोरी…
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वृंदावन (मथुरा) : रूस की यूना आई तो थी वृंदावन घूमने। कृष्ण की भक्ति और गोसेवक राजकरन के प्रेम का ऐसा रंग चढ़ा कि अपना देश भूल वृंदावन को ही घर बना लिया। वह दिनभर पति के साथ गोसेवा में व्यस्त रहती हैं। शाम को इस्कॉन मंदिर के आसपास पति के साथ श्रद्धालुओं को चंदन लगाती हैं। चंदन लगाने पर जो भी भेंट मिलती है, उससे जीवन चल रहा है।
पढ़े लिखे नहीं हैं राजकरन :
चित्रकूट के 35 वर्षीय राजकरन पिछले 20 साल से वृंदावन में रह रहे हैं। राजकरन पढ़े लिखे नहीं हैं और उन्हें हिंदी के अलावा कोई भाषा समझ नहीं आती। वह वृंदावन आए तो कोई काम नहीं था। परिक्रमा मार्ग में बीमार व घायल गोवंशी की सेवा करने लगे। उनकी इस सेवा ने विदेशी भक्तों को प्रभावित किया। प्रोत्साहन के लिए आर्थिक मदद करने लगे। राजकरन ने इसे ही अपने जीवनयापन का साधन बना लिया।
गोसेवा के दौरान यूना की मुलाकात राजकरन से हुई :
वह चैतन्य विहार क्षेत्र स्थित निजी गोशाला में भी गायों को चारा डालने जाने लगे। मास्को से आईं 36 वर्षीय यूना भी यहीं पर गोसेवा करने आती थीं। उसकी मुलाकात राजकरन से हुई। राजकरन को न तो यूना की रशियन समझ में आती और न टूटी-फूटी अंग्रेजी। यूना को हिंदी नहीं आती। मगर, प्रेम ने बिना भाषा मूक बात की। धीरे-धीरे यूना टूटी-फूटी हिंदी में भाव व्यक्त करने लगीं। प्रेम बढ़ा तो इसी वर्ष अप्रैल में दिल्ली में दोनों ने हिंदू रीतिरिवाज के साथ विवाह कर लिया।
साड़ी पहनती हैं यूना, मांग में भरती हैं सिंदूर :
राजकरन ने बताया कि यूना ने शादी के बाद वृंदावन में ही रहने का निश्चय किया है। यूना दो साल पहले टूरिस्ट वीजा पर वृंदावन आईं थीं। अभी टूरिस्ट वीजा की अवधि खत्म नहीं हुई है। शादी के दो साल बाद वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेंगी। शादी के बाद यूना का जीवन और रहन-सहन पूरी तरह के बदल गया है। वह साड़ी पहनने लगी हैं। मंगलसूत्र व मांग में सिंदूर भरती हैं। यूना को भारतीय परंपरा हमेशा से ही आकर्षित करती रही है।
घर से निकाल दी गईं थी यूना :
राजकरन ने बताया कि मास्को का चलन है परिवार का हर सदस्य कमाता है। यूना ने नौकरी नहीं की तो माता-पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया। वह किसी इस्कॉन भक्त के साथ वृंदावन आ गईं। छह महीने पहले यूना ने ही शादी का प्रस्ताव रखा तो मैंने तुरंत हां कर दी।