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iPhone ऑर्डर किया, डिब्बे से साबुन निकला, FlipKart पैसे भी वापस नहीं कर रहा था; अब कंज्यूमर कोर्ट ने ये फैसला सुनाया

ऑनलाइन सामान खरीदने पर कई बार ग्राहकों को परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला कर्नाटक से सामने आया है, जहां एक कस्टमर को फ्लिपकार्ट से मोबाइल फोन मंगाने पर साबुन डिलीवर हुआ। फ्लिपकार्ट ग्राहक (Flipkart) ने ऑनलाइन आईफोन (iPhone) मंगाया लेकिन उसकी जगह कंपनी ने निरमा साबुन भेज दिया। जिसके बाद अब कोर्ट ने ई कॉमर्स वेबसाइट को अब रिफंड के साथ एक्स्ट्रा राशि देने का आदेश दिया है।

अदालत ने Flipkart को दिया 74,000 रुपये भुगतान करने का आदेश

कर्नाटक की एक उपभोक्ता अदालत ने ई-कॉमर्स फर्म फ्लिपकार्ट को एक व्यक्ति को 74,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है क्योंकि उसने आईफोन खरीदने पर उसे डिटर्जेंट साबुन भेजा था। दरअसल, कोप्पल जिले के एक छात्र हर्ष ने जनवरी 2021 में फ्लिपकार्ट पर 48,999 रुपये के आईफोन 11 का ऑर्डर दिया था। जिसके बदले में उसे एक छोटा कीपैड फोन और 140 ग्राम निरमा डिटर्जेंट साबुन मिला। हर्ष ने टोल-फ्री नंबर पर संपर्क किया और फ्लिपकार्ट के प्रतिनिधियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को हल कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब उन्होंने ऐसा नहीं किया तो हर्ष ने कंपनी को लीगल नोटिस भेजा।

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iPhone की जगह साबुन मिलने पर शख्स ने दायर किया था मुकदमा

जिसके बाद जुलाई 2022 में हर्ष ने फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और तीसरे पक्ष के विक्रेता साने रिटेल्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक के खिलाफ एक उपभोक्ता अदालत के समक्ष मामला दायर किया। अदालत में कार्यवाही के दौरान फ्लिपकार्ट ने तर्क दिया कि यह लेन-देन की सुविधा के लिए विक्रेताओं और उत्पादों के खरीदारों के बीच केवल एक ऑनलाइन बाज़ार / मंच है। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा, “यह दावा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि यह बिना किसी विचार के अपने ग्राहकों को पूरी तरह से मुफ्त सेवा प्रदान कर रहा है। यह निश्चित रूप से ऐसा नहीं है कि विरोधी पक्ष चैरिटी संगठन हैं और बिना किसी बिजनेस रिटर्न के ई-कॉमर्स में शामिल हैं।”

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अदालत ने कहा कि ऐसी कंपनी से इस तरह के व्यवहार और रवैये की उम्मीद नहीं की जा सकती जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए अपने उत्पाद बेच रही है। अदालत ने 17 मार्च को 48,999 रुपये (मोबाइल फोन की कीमत) रिफ़ंड करने का आदेश दिया और सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए 10,000 रुपये और मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी की लागत के लिए 15,000 रुपये का मुआवजा भी दिया।

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