EWS कोटे पर SC ने लगाई 3-2 से मुहर, जारी रहेगा गरीबों को 10 फीसदी का आरक्षण; क्या बोले जज

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मिलने वाले EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने इस 10 फीसदी आरक्षण को वैध करार दिया है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने ईडल्ब्यूएस आरक्षण को सही करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोटा संविधान के मूलभूत सिद्धांतों और भावना का उल्लंघन नहीं करता है। माहेश्वरी के अलावा जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने EWS कोटे के पक्ष में अपनी राय दी। उनके अलावा जस्टिस जेपी पारदीवाला ने भी गरीबों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण को सही करार दिया।

जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने कहा कि मेरा फैसला जस्टिस माहेश्वरी की राय से सहमत है। उन्होंने कहा कि EWS कोटा वैध और संवैधानिक है। हालांकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रवींद्र ने EWS कोटे को अवैध और भेदभावपूर्ण करार दिया। इस तरह सामान्य वर्ग के गरीब तबके को मिलने वाले 10 फीसदी EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 से मुहर लगा दी है।

IMG 20220723 WA0098

5 जजों की संवैधानिक बेंच में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट ही ऐसे थे, जिन्होंने इस कोटे को गलत करार दिय़ा। उन्होंने कहा कि यह कानून भेदभाव से पूर्ण है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। बता दें कि संविधान में 103वें संशोधन के जरिए 2019 में संसद से EWS आरक्षण को लेकर कानून पारित किया गया था। इस फैसले को कई याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने आज फैसला सुनाया है।

IMG 20220728 WA0089

जस्टिस पारदीवाला बोले- आखिर कब तक जारी रहेगा आरक्षण

EWS कोटे पर वैधता को लेकर फैसला सुनाते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला ने अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह भी विचार करने की जरूरत है कि आरक्षण कब तक जरूरी है? उन्होंने कहा कि गैर-बराबरी को दूर करने के लिए आरक्षण कोई अंतिम समाधान नहीं है। यह सिर्फ एक शुरुआत भर है। इस बीच एक्सपर्ट्स का कहना है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण की वैधता को सुप्रीम कोर्ट से मंजूर किए जाने के बाद इस तर्ज पर राज्यों में भी कुछ जातियों को आरक्षण प्रदान करने पर विचार हो सकता है।

JPCS3 01

Banner 03 01IMG 20221021 WA0064 011 840x760 1IMG 20211012 WA0017IMG 20220915 WA0001IMG 20221017 WA0000 01IMG 20220331 WA0074

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *