फिर निकला मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड का जिन्न, CBI के रडार पर मास्टरमाइंड ब्रजेश ठाकुर के कई करीबी

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बिहार के चर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड को लेकर सीबीआई ने एक बार फिर शहर के कई लोगों को रडार पर लिया है। ब्रजेश ठाकुर और उसके एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति से जुड़े करीबियों पर सीबीआई की नजर है। एनजीओ से जुड़े रहे कई लोगों से मामले में सीबीआई पूछताछ कर सकती है।
मामला बालिका गृह से हजारीबाग की किशोरी को रहस्यमय ढंग से गायब कर देने का है। बच्ची मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग थी। ऐसे में साजिश के तहत मानव अंग तस्करों के द्वारा बच्ची को गायब करने की आशंका है। इसमें ब्रजेश की एनजीओ और उसके कर्मियों की भी मिलीभगत की आशंका है।

सीतामढ़ी सीडब्ल्यूसी के फर्जी रिलीज ऑर्डर पर बालिका गृह से 10 नवंबर 2015 को हजारीबाग की बच्ची को गायब किया गया था। जिस दिन फर्जी रिलीज ऑर्डर जारी हुआ था, उसी दिन बच्ची को लेने उसके फर्जी माता-पिता बालिका गृह मुजफ्फरपुर पहुंचे थे। फर्जी वोटर आई कार्ड बालिका गृह में दिया गया। माता-पिता की पहचान करने वाला हजारीबाग का नथुनी मुखिया भी फर्जी था। सीबीआई को यह तथ्य बालिका गृह कांड की जांच के दौरान मिली थी। इसको लेकर बाद में 29 जुलाई 2023 को पटना सीबीआई थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी।

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, जांच में पाया गया है कि जिस फर्जी रिलीज ऑर्डर पर बच्ची को बालिका गृह से उसके फर्जी पिता को दिया गया था, उस पर सीतामढ़ी सीडब्ल्यूसी की तत्कालीन अध्यक्ष मानसी समदर और सदस्य रेणु कुमारी सिंह का फर्जी हस्ताक्षर किया गया था। रिलीज ऑर्डर असली था या नकली इस संबंध में किसी तरह की जांच बालिका गृह का संचालन कर रही एनजीओ के कर्मचारियों ने नहीं की थी। उसी दिन बच्ची को उनके फर्जी अभिभावकों को सौंप दिया गया था। नौ साल पहले गायब हुई दिव्यांग बच्ची का सीबीआई का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।

फरार बताई गईं दो किशोरियों का भी नहीं मिला सुराग
बालिका गृह कांड की जांच के दौरान में पता चला था कि गृह से 24 नवंबर 2013 को चार किशोरियां फरार हो गई थीं। लेकिन, ये बच्चियां कहां और कैसे गायब हुईं इसकी जांच नहीं हुई थी। बालिका गृह कांड के खुलासे के बाद पुलिस ने 2018 में इसकी जांच की। पुलिस ने चार में दो का सुराग ढूंढ़ा, लेकिन फुलपरास और नई दिल्ली के पहाड़गंज की दो किशोरी का कोई सुराग नहीं मिला।

कांड में 18 दोषियों को सुनाई जा चुकी है सजा
बालिका गृह की जांच के दौरान किशोरियों ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष यह बयान दिया था कि वहां किशोरी की हत्या कर शव को गायब कर दिया गया था। इसके बाद बालिका गृह को खोदवा कर देखा गया और सिकंदरपुर श्मशान घाट के साथ बूढ़ी गंडक नदी में भी शव की तलाश मेंजांच की गई। लेकिन, सीबीआई को कहीं कोई सुराग नहीं मिला था। बता दें कि बालिका गृह कांड में 18 दोषियों को दिल्ली विशेष कोर्ट से सजा सुनाई गई है। ब्रजेश ठाकुर समेत अन्य आरोपित तिहाड़ जेल में मौत होने तक आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।



