जातीय गणना पर SC में आज सुनवाई:पटना हाईकोर्ट ने हटाई थी रोक, गणना का लगभग काम हो चुका है पूरा
जातीय गणना पर आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसला पर रोक लगाने से मना कर दिया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जातीय गणना का काम 80 फीसदी पूरा हो चुका है। यह काम 90 प्रतिशत भी हो जाएगा तो क्या फर्क पड़ेगा। पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एनजीओ एक सोच एक प्रयास की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
हाईकोर्ट से फैसले के बाद सरकार ने जातीय गणना का बचा काम पूरा करने के आदेश दिए थे। बचा हुआ काम लगभग काम पूरा हो चुका है। हर दिन 2 से तीन लाख परिवारों का डाटा ऑनलाइन अपडेट किया जा रहा है।
एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने दिया था फैसला
बता दें कि एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। इसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था। सरकार ने सभी डीएम को आदेश दिया कि हाईकोर्ट के फैसले के आलोक में जातीय गणना के बचे काम पूरा करें। पिछले एक सप्ताह से यह काफी तेजी से हो रहा है। पटना जैसे बड़े जिले का काम लगभग पूरा होने वाला है।
पटना जिलाधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार 13.69 लाख परिवारों में से 10,63,040 परिवारों का डाटा BIJAGA App पर एंट्री और सिन्क्रोनाइज किए गए हैं। जिले का 77.65 प्रतिशत डाटा एंट्री का कार्य पूरा हो चुका है।
500 करोड़ खर्च करने की योजना
राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुसार बिहार सरकार जातीय गणना नहीं, सिर्फ सिर्फ लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी लेना चाहती है। जिससे उनकी बेहतरी के लिए योजना बनाई जा सके। सरकार उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए एक ग्राफ तैयार कर सके।
पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार का यह काम नियम संगत है। पूरी तरह से वैध भी। राज्य सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। हाईकोर्ट ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को ‘वैध’ करार दिया था। बिहार सरकार ने भी इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना भी बनाई है।
सात जनवरी को शुरू हुई थी गणना
बिहार में जातीय गणना की शुरुआत सात जनवरी से हुई थी। प्रथम चरण का सर्वेक्षण पुरा हो चुका था। इसके बाद दूसरे फेज का काम 15 अप्रैल से शुरू किया गया था। दूसरा चरण का काम 15 मई तक चलता लेकिन, चार मई को पटना हाईकोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
देश में जातीय जनगणना 1931 में हुई थी
भारत में सबसे पहले जातीय जनगणना 1931 में हुई थी। 1941 में भी इसका डेटा इकट्ठा किया गया, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। 2011 में जातीय व सामाजिक-आर्थिक गणना हुई, लेकिन कई विसंगतियों के चलते इसके आंकड़े जारी नहीं किए गए।