झगड़ा माले से, ठीकरा फूटा आरजेडी पर, धरना से मनाकर लाई कांग्रेस, तब विधानसभा में लौटे भाजपाई विधायक
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बिहार विधानसभा में मंगलवार को दलीय राजनीति के कारण झगड़ा तो बुधवार को पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सुलह-सफाई और मान-मनौव्वल का नजारा देखने को मिला। आखिरकार बीजेपी के सारे विधायक वापस विधानसभा में लौटे जो अपने एक विधायक को स्पीकर द्वारा दो दिन के लिए सस्पेंड करने के बाद निलंबन वापसी तक सदन का बहिष्कार करके धरना पर बैठ गए थे। इस सबमें फजीहत आरजेडी की हुई जिस पर विपक्ष के नेता शुरू से हमलावर रहे और यहां तक कह दिया कि विधानसभा को आरजेडी का पार्टी दफ्तर नहीं बनने देंगे।
बवाल मंगलवार को शुरू हुआ सीपीआई-माले के विधायक सत्यदेव राम और बीजेपी के विधायक लखेंद्र पासवान के बीच झड़प से। बीत बढ़ी तो गुस्से में लखेंद्र पासवान ने अपने डेस्क पर लगी माइक को तोड़ दिया या नोंच दिया। बाद में स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने पासवान को सदन से दो दिन के लिए निलंबित कर दिया। बीजेपी के सारे विधायक और विधान पार्षद इसके खिलाफ धरना पर बैठ गए और तब तक सदन में ना जाने का ऐलान कर दिया जब तक लखेंद्र का निलंबन वापस ना हो।
बुधवार को सदन शुरू हुआ तो बीजेपी के विधायक और विधान पार्षद अंदर नहीं गए और मुख्य द्वार पर धरना पर बैठ गए। विपक्ष की गैर-हाजिरी में सदन चल रहा था। तभी दिल्ली में लालू यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती को रेलवे में नौकरी के बदले जमीन केस में जमानत मिलने की खबर आई। जोश में आरजेडी के एक विधायक लड्डू लेकर बीजेपी के विधायकों को खिलाने पहुंच गए। मामला बिगड़ गया। किसी का कुर्ती फटा तो किसी का कॉलर, लड्डू जमीन पर बिखरा सो अलग।
बीजेपी विधायक लखेंद्र पासवान का निलंबन वापस, सदन में माइक तोड़ने का था आरोप :
फिर कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा बाहर आए और नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा से आग्रह किया कि वो खेद प्रकट करके सदन की कार्यवाही में भाग लें। उन्हें स्पीकर ने बीजेपी के विधायकों को मनाकर लाने के लिए भेजा है। शर्मा ने बीजेपी के नेताओं से कहा कि माले के विधायक ने अगर अपशब्द कहा है तो उनको भी खेद प्रकट करना चाहिए।
अजीत शर्मा के मनुहार के बाद नेता विपक्ष पिघल गए और दोपहर 2 बजे के करीब भाजपा के विधायक सदन में लौट गए। संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी ने स्वागत करते हुए कहा कि आपके आने से सदन में रौनक लौट आई है। स्पीकर ने लखेंद्र पासवान को अपना पक्ष रखने को कहा जिसके बाद उनका निलंबन वापस ले लिया गया। माले के सत्यदेव राम ने भी खेद प्रकट किया लेकिन साथ ही कहा कि उन्होंने अपशब्द नहीं कहा था लेकिन सदन की भावना का सम्मान करते हुए खेद जताया है।