नीतीश के ये दो अचूक हथियार, छीनने के लिए है बीजेपी बेकरार; जानिए क्या है लव-कुश समीकरण…

IMG 20221030 WA0023

व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े 

उपेंद्र कुशवाहा के जेडीयू से अलग होने के बाद बिहार की सियासत में उठापटक तेज हो गई है। उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही उनका और नीतीश का बरसों पुराना साथ छूट गया है। कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा ने यह कदम भाजपा के इशारे पर उठाया है और इसके बहाने भाजपा की निगाह नीतीश कुमार के दो अचूक हथियारों पर हैं। यह दोनों हथियार हैं, लव-कुश और महादलित। आइए जानते हैं बिहार की सियासत में क्या है इनकी अहमियत और इनके उभार की कहानी…

लव-कुश की ऐसे हुई शुरुआत

बिहार की सियासत में लव-कुश समीकरण की शुरुआत हुई साल 1994 से। लव कुश में आते हैं, कोइरी कुशवाहा वोट, जिन्हें नीतीश कुमार का बेस माना जाता है। साल 1994 में कुर्मी-कोइरी सम्मेलन के साथ लव-कुश समीकरण पर बात शुरू हुई थी। बाद में इसी आधार पर समता दल की नींव पड़ी, जिसमें नीतीश कुमार के अलावा, जॉर्ज फर्नांडीज, उपेंद्र कुशवाहा, दिग्विजय सिंह, शकुनी चौधरी, पीके सिन्हा आदि शामिल थे।

new file page 0001 1

कुर्मी समाज के पहरुआ बने नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा ने कोइरी समाज का झंडा बुलंद किया। इसके साथ नीतीश का इजाद किया महादलित भी इस वोट बैंक में शामिल हुआ। इस समीकरण ने बिहार में नीतीश कुमार की सियासत को नई ऊंचाइयां दीं। इसी का नतीजा रहा कि एक लंबे अरसे से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री की गद्दी पर बने हुए हैं।

IMG 20230109 WA0007

अब भाजपा की है नजर

जब तक बिहार में जेडीयू और भाजपा की साझेदारी चलती रही तब तक सबकुछ ठीक था। लेकिन जैसे ही यह गठबंधन टूटा है, भाजपा अतिरिक्त सावधान हो गई है। ऐसे में वह नीतीश कुमार को लगातार सियासी तौर पर कमजोर करने की कोशिशों में लगी हुई है। उपेंद्र कुशवाहा का नीतीश कुमार से अलगाव इसी का नतीजा माना जा रहा है। लव-कुश वोट बैंक पर उपेंद्र कुशवाहा के प्रभाव के बारे में भाजपा को भी बखूबी अंदाजा है। उसे बहुत अच्छी तरह से पता है कि अगर लव-कुश समीकरण नीतीश के हाथ से फिसला तो नीतीश का बिहार में सियासी सफर भी मुश्किलों से भर जाएगा।

1 840x760 1

लगातार बदल रहा समीकरण

अभी तक नीतीश कुमार लव-कुश, महादलित समीकरण के साथ-साथ शराबबंदी के फैक्टर पर अपना सिक्का चला रहे थे। नीतीश को इस बार भी उनके यह सिक्के चल जाएंगे, लेकिन जिस तरह से बिहार में सियासी समीकरण लगातार बदल रहे हैं, उसने सुशासन बाबू की राह मुश्किल कर दी है। बीते कुछ वक्त में बिहार में शराब से लोगों की मौतों ने भी नीतीश की छवि को नुकसान पहुंचाया है। वहीं, भाजपा बिहार में बेड़ा पार लगाने के लिए कोई भी कसर उठाने से पीछे नहीं हटना चाहती। ऐसे में बिहार में आने वाले वक्त में सियासी गतिविधियां काफी दिलचस्प होंगी।

IMG 20221203 WA0074 01

IMG 20230217 WA0086

20x10 Hoarding 11.02.2023 01 scaled

Post 193 scaled

20201015 075150

Leave a Reply

Your email address will not be published.