बिहार: पूर्व IAS एसएम राजू गया जेल, छात्रों का फर्जी दाखिला कराकर स्कॉलरशिप के नाम पर करोड़ों ऐंठने का आरोप
सरकारी राशि में गबन और भ्रष्टाचार के आरोप में निगरानी की विशेष अदालत ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी एसएम राजू की नियमित जमानत याचिका रद करते हुए उन्हें 30 जनवरी तक के लिए बेउर जेल भेज दिया है।
राजू ने 18 जनवरी को निगरानी कोर्ट में आत्मसमर्पण कर नियमित जमानत की मांग की थी। 17 जनवरी को इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। इस वजह से आरोपित को 20 जनवरी तक के लिए अंतरिम राहत दी गई थी। राजू पर महादलित विकास मिशन के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर रहते हुए सरकारी राशि में गबन के आरोप में मुकदमा चल रहा था।
करीब 13 वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने महादलित विकास मिशन का गठन किया था। मिशन ने 2010 से अपने कार्य प्रारंभ किए। इस मिशन के प्रमुख कार्य विकास मित्रों की नियुक्ति, सहायता काल केंद्रों की स्थापना, सामुदायिक भवन सह शेड का निर्माण, विशेष विद्यालय सह छात्रावास का निर्माण, दशरथ मांझी कौशल विकास योजना का संचालन, महादलित बस्तियों में रेडियो वितरण जैसे कार्य थे।
आइएएस अधिकारी एसएम राजू को सरकार ने महादलित विकास मिशन का मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी नियुक्ति किया था। आरोप है कि महादलित विकास मिशन का मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बनने के बाद एसएम राजू व अन्य आरोपियों ने मिलकर एक षड्यंत्र के तहत प्रशिक्षण लेने वालों का गलत आंकड़ा और खर्च दिखा 2010 से 2016 के बीच मिशन के अंतर्गत चल रही योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपये डकार लिए।
घोटाला उजागर होने के बाद मिशन की ओर से मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया। पत्र के आलोक में सरकार ने जांच का जिम्मा निगरानी को सौंपा। जिसके बाद निगरानी ब्यूरो ने मामले की जांच शुरू की आरोपियों के खिलाफ निगरानी ने कांड संख्या 181/2017 दर्ज किया। आरोपियों पर आइपीसी की धारा 406, 409, 420, 467, 478, 471, 477 (ए) एवं 120 (बी) लगाई गई।
इस घोटाले में एसएम राजू के साथ केपी रमैया, रामाशीष पासवान, प्रभात कुमार, उमेश मांझी व अन्य अन्य को आरोपी बनाया गया। लंबे समय तक चली जांच के बाद निगरानी ने आरोपित के खिलाफ 25 अप्रैल 2019 को आरोप पत्र दाखिल किया था। इसी मामले में राजू नियमित जमानत के लिए विशेष निगरानी कोर्ट गए थे। जहां उनकी याचिका को रद करते हुए जेल भेज दिया गया।