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बापू को श्रद्धांजलि देने के लिये आज पांच मिनट के लिए थम जाएगा पटना, सायरन बजते ही मौन हो जाएगा पूरा शहर

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर सोमवार को शहीद दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर भारत की स्वतंत्रता के लिए प्राणों की आहूति देने वाले सूरमाओं की पुण्य स्मृति में मौन धारण किया जाएगा। इस दौरान एक तरह से राजधानी थम सी जाएगी। सारे काम रुक जाएंगे। जो जहां रहेंगे, वहीं मौन रखकर अपनी श्रद्धा निवेदित कर सकते हैं। खास बात यह कि लोगों को मौन शुरू और खत्म करने की सूचना देने के लिए सारे शहर में सायरन बजाए जाएंगे।

दो बार बजाए जाएंगे सायरन

जिलाधिकारी सह नागरिक सुरक्षा के नियंत्रक डा. चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि शहीद दिवस के अवसर पर पूरे पटना शहर में 10.58 बजे सुबह में सायरन बजाए जाएंगे। यह दो मिनट के लिए बजेगा। फिर 11 बजे से आजादी की लड़ाई के हुतात्माओं की पुण्य स्मृति में दो मिनट का मौन धारण किया जाएगा। इस अवधि में सारे कार्यकलाप स्थिर रहेंगे। फिर 11.03 बजे सायरन बजाकर मौन भंग किया जाएगा। इसके बाद सारे कार्यकलाप पूर्ववत जारी हो जाएंगे।

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सामाजिक सुरक्षा विभाग के अनुदेशक अरविंद कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से मुख्य रूप से पांच जगहों पर सायरन बजाए जाएंगे। मुख्य कार्यक्रम एनआइटी के पास गांधी घाट पर है। वहां ऊपर में सायरन लगा है। इसके अलावा पटना विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी, सचिवालय, रिजर्व बैंक में भी सायरन बजाए जाएंगे। शहीद दिवस पर सायरन बजाकर लोगों को मौन रखने और तोड़ने की सूचना दी जाती है।

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आम लोग भी सायरन की आवाज सुनें तो स्वतंत्रता के लिए प्राणों की आहुति देने वाले बलिदानियों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए मौन धारण करें। इसकी आवाज सुनकर किसी तरह से दिग्भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। पटना में पूर्व में कई अन्य स्थानों पर भी सायरन की आवाज गूंजती थी। बुजुर्गों का कहना है कि सन 1962 में चीन से युद्ध के समय सायरन की आवाज सुनाई देती थी। कहीं- कहीं आर्मी गन से भी मौन शुरू और खत्म करने का संकेत दिया जाता है।

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बापू के दिल में बसता था पटना, कई दिन रुके थे

पटना बापू के दिल में बसता था। वे आंदोलनों की धार देने बार-बार यहां आते रहे। चंपारण के किसानों की मदद का वादा करने बापू पहली बार 10 अप्रैल 1917 को पटना पहुंचे थे। विद्यापीठ की स्थापना छह फरवरी 1921 को की थी। विद्यापीठ के अध्यक्ष डा. विजय प्रकाश के अनुसार बापू अपने सहयोगियों के साथ पांच मार्च 1947 को पटना पहुंचे थे। गांधी मैदान स्थित डा. सैयद महमूद के आवास पर 40 दिन रुके थे। आज इस आवास को एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता है। यहीं रहकर बापू के निर्देश पर गांवों में शांति स्थापना हेतु प्रयास चल रहा था।

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