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नीतीश ने आरएस भट्टी को DGP बनाकर एक तीर से दो निशाने साधे, ये 2024 चुनाव की प्लानिंग है

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी राजविंदर सिंह उर्फ आरएस भट्टी को डीजीपी बनाया है। बिहार पुलिस की कमान भट्टी के हाथों में सौंपकर सीएम नीतीश ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। इसे 2024 के लोकसभा चुनाव की प्लानिंग के तौर पर देखा जा रहा है। बिहार में कानून व्यवस्था पर उठ रहे सवालों के बीच सीएम नीतीश विपक्षी पार्टी बीजेपी का मुंह बंद कराना चाहते हैं। साथ ही इनके जरिए सत्ता में आने के बाद अतिउत्साही आरजेडी कार्यकर्ताओं पर भी लगाम लगाए जाने की योजना है।

आईपीएस एसके सिंघल के डीजीपी पद से रिटायरमेंट से ठीक पहले तक आलोक राज की इस पद पर नियुक्ति होने की चर्चा थी। यहां तक कि सरकार और पार्टी के बड़े नेता भी IPS आलोक राज को नए डीजीपी बनाए जाने की बधाई दे चुके थे। आलोक ने भी बधाई स्वीकार कर ली थी। हालांकि, फिर अचानक सीएम नीतीश ने सबको चौंकाते हुए डीजीपी के पद पर आरएस भट्टी के नाम की मुहर लगा दी। जबकि आलोक राज, पुलिस सेवा में भट्टी से सीनियर हैं।

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आरएस भट्टी ही क्यों?

कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर सीएम नीतीश कुमार ने आरएस भट्टी को ही बिहार पुलिस की कमान क्यों सौंपी है। जबकि उनका नाम इतना चर्चा में नहीं था। दरअसल, आरएस भट्टी तेजतर्रार आईपीएस अफसर माने जाते हैं। वे पटना, सीवान, पूर्णिया समेत कई जिलों के एसपी रह चुके हैं। उनकी कार्यशैली से बड़े से बड़े क्रिमिनल भी थर्राते हैं।

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बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को 2005 में दिल्ली से गिरफ्तार करके बिहार लाने वाले आरएस भट्टी ही थे। इसके अलावा उन्होंने छपरा के दबंग नेता प्रभुनाथ सिंह और मोकामा से बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह पर भी शिकंजा था। लालू यादव जब मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने कुछ बड़े पेचीदे केस सुलझाने के लिए भट्टी को ही काम पर लगाया था। इसमें छपरा का चर्चित डॉक्टर राम इकबाल प्रसाद के बेटे का अपहरण का मामला शामिल है। भट्टी ने जो केस हाथ में लिया या जिस मामले की जांच की, उसे अंजाम तक पहुंचाया। यही बात नीतीश कुमार को पसंद आई।

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नीतीश की 2024 चुनाव की प्लानिंग

बताया जा रहा है कि आरएस भट्टी को डीजीपी बनाकर नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव की प्लानिंग की है। आम चुनाव में करीब 15 महीनों का वक्त बचा है। नीतीश के महागठबंधन के नेतृत्व में सरकार बनाने के बाद से बीजेपी उनपर हमलावर है और कानून व्यवस्था के मुद्दे को उठाकर जंगलराज की वापसी के आरोप लगा रही है। नीतीश कुमार इस छवि को बदलना चाहते हैं।

विपक्ष का दावा है कि बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही आपराधिक घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। शराब तस्कर बेलगाम हो गए हैं। अगर ये ही चलता रहा तो 2024 के चुनाव में नीतीश के खिलाफ यह बीजेपी के लिए बड़ा मुद्दा होगा। सीएम नीतीश आरएस भट्टी के जरिए विपक्ष का मुंह बंद कराना चाहते हैं। भट्टी के कार्यकाल में अगर बिहार में लूट, मर्डर, शराब तस्करी, रंगदारी जैसी आपराधिक घटनाओं में कमी आती है तो बीजेपी के पास नीतीश को घेरने के लिए ये मुद्दे नहीं बचेंगे।

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आरजेडी के अतिउत्साही कार्यकर्ताओं पर लगाम लगाने की कोशिश?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरएस भट्टी के जरिए एक तीर से दो निशाने साधे हैं। कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष की बोलती बंद करने के साथ ही वह अपनी सहयोगी पार्टी आरजेडी पर भी लगाम कसना चाहते हैं। दरअसल, नीतीश को डर है कि सत्ता में आने के बाद आरजेडी के कार्यकर्ताओं को खुली छूट मिल गई है। कहीं वे उत्पात न मचाने लगे, इसलिए उनपर लगाम जरूरी है।

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आरएस भट्टी ऐसा चेहरा हैं जिनकी काम को लेकर सख्त छवि है। उनसे छोटे-बड़े नेता भी फोन करके काम निकलवाने से कतराते हैं। भट्टी अपनी शैली से काम करते हैं और किसी प्रेशर में नहीं रहते हैं। इसकी एकबानगी बुधवार को सभी जिलों के एसपी के साथ हुई बैठक में भी देखने को मिली। इसमें भट्टी ने सभी एसपी से कहा कि वे बेझिझक होकर अपराधियों को पकड़ें। किसी से डरने की जरूरत नहीं है। साथ ही यह भी चेतावनी दी कि किसी को भी गलत केस में न फंसाएं। उन्होंने सभी जिलों के टॉप 10 क्रिमिनल्स की लिस्ट भी मंगाई और जिला पुलिस अधिकारियों को उन्हें दौड़ाते रहने की बात कही।

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