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बिहार के मंत्री सुमित सिंह करेंगे नेत्रदान, IGIMS पहुंचकर नेत्र विभाग में ‘आई डोनेट’ के लिए दी सहमति

मानव शरीर में आंख भी ऐसा अंग है, जो मृत्यु के बाद भी दूसरे व्यक्ति के काम आता है. सभी को नेत्रदान का संकल्प लेना चाहिए. यह पुण्य का काम है. यह कहना है विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह का. शुक्रवार को वह आइजीआईएमएस के क्षेत्रीय चक्षु संस्थान स्थित आइ बैंक पहुंचे और उन्होंने मरीज व परिजनों को जागरूक करते हुए खुद नेत्रदान करने के लिए संकल्प पत्र फॉर्म भरा.

चक्षु संस्थान के अध्यक्ष के कार्यों की सराहना की

मंत्री सुमित ने आइजीआईएमएस के पूर्व निदेशक व क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के अध्यक्ष डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा व डॉ नीलेश मोहन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आइ बैंक नेक काम कर रहा है. बिहार के सैकड़ों लोगों को नयी रोशनी मिली है. वर्तमान में अधिक-से-अधिक कोर्निया की आवश्यकता है. ऐसे में नेत्रदान के लिए जागरूकता की आवश्यकता है. इस दौरान सुमित सिंह ने नेत्र व आइ बैंक को देखा और सभी कर्मचारियों की हौंसला अफजाई करते हुए प्रशंसा की.

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आई बैंक के द्वारा अब तक 661 से अधिक लोगों को मिल चुकी है

रोशनी आइजीआईएमएस के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि पटना सहित पूरे राज्य में अब तक 737 से अधिक लोगों ने कॉर्निया दान दी है. इनमें 661 लोगों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट कर उनको नयी रोशनी भी दी जा चुकी है.

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623 से अधिक लोगों भर चुकें है नेत्रदान का संकल्प पत्र

623 से अधिक लोगों ने नेत्र दान के लिए आई बैंक में आकर संकल्प पत्र भी भरा है. डॉ. विभूति ने कहा कि किसी व्यक्ति के मृत्यु के छह घंटे के अंदर आंख को दान दिया जा सकता है. वहीं, डॉ नीलेश मोहन ने कहा कि पांच से 75 साल की उम्र तक कोई भी व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है. यदि किसी को चश्मा लगा हाे, या मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ हो, वह भी नेत्रदान कर सकता है. नेत्रदान के लिए मृत्यु के बाद किसी तरह का ऑपरेशन नहीं होता. इस दौरान नेत्र रोग विभाग के मारुति नंदन, नीरज कुमार समेत कई डॉक्टर व अन्य कर्मचारी उपस्थित थे.

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