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बिहार के कमल ने किया कमाल! जिस यूनिवर्सिटी में था चपरासी उसी में बना प्रोफेसर, लेकिन जॉइनिंग से रोका गया

बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, यहां के युवा हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहरा रहे हैं। वहीं कुछ लोगों को कामयाबी मिलने के बाद भी मंज़िल तक पहुंचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ताज़ा मामला बिहार के भागलपुर जिले तिलक मांक्षी विश्वविद्यालय का है। जहां आंबेडकर विचार विभाग में दरबान की नौकरी कर रहे फोर्थ ग्रेड कर्मचारी सहायक प्राध्यापक बने, लेकिन नौकरी ज्वॉइन नहीं कर पा रहे हैं। बिहार राज्य विश्व विद्यालय सेवा आयोग के की तरफ से कमल किशोर मंडल की नियुक्ति हुई। काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद ज्वॉइन करने से रोक दिया गया। जिससे कमल किशोर मंडल काफी मायूस हैं, हालांकि जांच रिपोर्ट के बाद उनकी ज्वॉइनिंग हो सकती है।

कमल किशोर मंडल की ज्वॉइनिंग पर रोक

कमल किशोर मंडल की ज्वॉइनिंग रोकने के पीछे दलील दी गई है कि वह इसी विश्विद्यालय में नौकरी कर रहे थे, तो उन्होंने रेगुलर पढ़ाई कैसे करी ली ? दरअसल सहायक प्राध्यापक नियुक्त होकर कमल किशोर मंडल की काउंसिलिंग जुलाई में हो गई थी। उन्हें दुर्गा पूजा से पहले ही विश्विद्यालय में ज्वॉइन करना था। उनके साथ वाले तीन अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग भी हो चुकी है, सिर्फ़ कमल किशोर मंडल को ही रोक दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने ज्वॉनिंग पर रोकते हुए सवाल किया कि विभाग में काम करते हुए उन्होंने पीजी और पीएचडी कैसे कर ली, विश्विद्यालय ने इस बात की इजाज़त दी थी?

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2003 में भागलपुर आए थे कमल किशोर

विश्विद्यालय के कुलपति ने इस पूरे मामले में जांच कमेटी का गठन किया है। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मामले में कार्रवाई की जाएगी। वहीं मीडिया से मुखातिब होते हुए कमल किशोर ने कहा कि डीजे कॉलेज मुंगेर से साल 2003 में वह भागलपुर आये थे। टीएमबीयू के आंबेडकर विचार विभाग में पोस्टिंग जहां वह नाइट गार्ड के तौर पर काम करते थे। तत्कालीन कुलसचिव से उन्होंने पढ़ाई करने के लिए इजाज़त ली थी। भागलपुर विश्वविद्यालय में नौकरी करते हुए वहीं से राजनीति विज्ञान से पीजी की, फिर पीएचडी की डिग्री हासिल।

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विभागाध्यक्ष से कमल ने ली थी सलाह

डॉ. विलक्षण रविदास ने (विभागा अध्यक्ष, आंबेडकर विचार विभाग) की मानें तो कमल किशोर मंडल उनसे सलाह मशवरा करते थे। उन्होंने कमल किशोर मंडल से कहा था कि विभाग की तरफ से विश्वविद्यालय जायें और इजाज़त ले लें। फिर कमल किशोर ने विश्वविद्यालय से इजाज़त भी ली थी। कुछ लोगों की गंदी सियासत की वजह से कमल किशोर जैसे लोगों को मौका नहीं मिल पाता है, वह लोग कमल किशोर जैसे लोगों को आगे आने का मौका नहीं देना चाहते हैं। वहीं डॉ. विलक्षण दास ने कहा कि उन्होंने कमल किशोर मंडल को रात में ड्यूटी कर दिन में क्लास करने की इजाज़त दी थी।

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जांच रिपोर्ट के बाद साफ होगा ज्वॉइनिंग का मामला

2018 में कमल किशोर मंडल ने नेट क्वालीफाई किया। इसके बाद विश्वविद्याल सेवा आयोग के जरिए सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए। यह पूरा मामला कुलपति के संज्ञान में आया तो उन्होंने चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर पूरे मामले की जांच रिपोर्ट तलब की है। हर कोर्स की पढ़ाई के लिये विश्वविद्यालय प्रशान को सूचना और एनओसी आदि कमल किशोर मंडल ने ली थी या नहीं इन सब पहलुओं पर जांच रिपोर्ट के बाद ही ज्वॉनिंग मामले का कोई रास्ता निकल पाएगा। अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया है। वहीं जवाहरलाल (टीएमबीयू के कुलपति) ने कहा कि अगर कमल किशोर को विश्वविद्यालय ने पढ़ने की इजाज़त दी थी तो उन्हें योगदान का मौका ज़रूर मिलेगा।

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