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आठ साल बाद ट्रेन से नेपाल जाएंगे भाई-बहन, उत्साह चरम पर; प्रतिदिन करीब 40 से 50 हजार रुपये के टिकट बिक रहे

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इस बार रक्षाबंधन पर भाई-बहन ट्रेन से भारत-नेपाल की यात्रा करेंगे। आठ साल पहले 2014 में भारत-नेपाल के बीच रेल परिचालन ठप होने से लोगों के लिए सड़क मार्ग ही आवागमन का जरिया था। वर्ष 2020 और 2021 में तो कोरोना संक्रमण के कारण वह भी बंद रहा। इस बार सीमा खुलने के साथ ही रेल सुविधा भी है। इससे भाइयों और बहनों में उत्साह है।

भीड़ से बचने के लिए जा रहे दो-तीन दिन पहले

भारत-नेपाल के बीच बेटी-रोटी का संबंध है। दोनों देशों की कई बेटियां सीमा पार ब्याही गई हैं। विभिन्न पर्व-त्योहारों में परस्पर आना-जाना होता है। रक्षाबंधन तो उनके लिए खास होता है। जनकपुर में भाई के घर जाने के लिए जयनगर स्टेशन पहुंचीं मधुबनी की मिताली चौधरी बताती हैं कि दो साल बाद रक्षाबंधन पर मायके जा रही हूं। आप सोच सकते हैं, कितना उत्साह होगा।

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दो-तीन दिन पहले ही जा रहे

खजौली के सीताराम यादव कहते हैं कि ट्रेन सेवा बंद होने के बाद सड़क मार्ग से नेपाल जाने में काफी परेशानी होती थी। आठ साल में काफी बदलाव आ गया है। भीड़ से बचने के लिए दो-तीन दिन पहले ही जा रहे हैं। जयनगर की संगीता कुमारी, लौकही की आराधना मिश्रा, लदनियां की सरिता चौधरी, मधुबनी के रीतेश कुमार, राजनगर के अरविंद मोहन समेत कई यात्रियों ने रक्षाबंधन को लेकर नेपाल के जनकपुर, कुर्था या अन्य जगहों पर जाने के लिए मंगलवार को जयनगर से ट्रेन पकड़ी।

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अगले दो दिनों में बढ़ेगी यात्रियों की संख्या

आमतौर पर जयनगर से नेपाल के कुर्था तक संचालित ट्रेन से प्रतिदिन एक हजार तक लोग आना-जाना करते हैं। रक्षाबंधन में यह संख्या बढऩे की उम्मीद है। नेपाल जाने के लिए दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर तक के यात्री यहां आते हैं। जयनगर स्थित नेपाली रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन करीब 40 से 50 हजार रुपये के टिकट बिक रहे हैं। अगले दो दिनों में यह आंकड़ा 70 से 75 हजार तक पहुंच सकता है।

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