बिहार: 11 सालों में भव्य इस्कॉन मंदिर बनकर तैयार, ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के वंशजों ने किया निर्माण कार्य
बिहार की राजधानी पटना में इस्कॉन का देश में चौथा सबसे बड़ा बांके बिहार का मंदिर बनकर तैयार हो गया है। 11 सालों में 100 करोड़ रुपए की लागत से मंदिर का निर्माण हुआ है। बिहार के इस मंदिर का ताजमहल से कनेक्शन है। मंदिर को ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के वंशज ने बनाया है। 84 खंभे वाले इस मंदिर में एक साथ 5000 लोग बैठ सकते हैं। 3 मई को इस मंदिर का उद्घाटन होना है। मंदिर के पुजारी राममूर्ति दास के अनुसार, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांके बिहारी मंदिर का उद्घाटन करेंगे।
पटना के बुद्ध मार्ग पर यह मंदिर बना है। नागर शैली में बने मंदिर में राजस्थान से लाया गया मकराना का संगमरमर लगा है, जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ाता है। मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है, इसमें 84 खंभे हैं। दो एकड़ में बने श्री राधा बांके बिहारी जी की 4 मंजिला मंदिर को सेमी अंडर ग्राउंड बनाया गया है। जिसमें एक भक्ति कला क्षेत्र है। फर्स्ट फ्लोर पर प्रसादम हॉल है, जहां 1000 तक लोग एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। सेकेंड फ्लोर पर बांके बिहारी का गर्भ गृह है। गर्भगृह के एक तरफ राम दरबार तो दूसरी चैतन्य महाप्रभु का दरबार बना है।
पटना का यह मंदिर इस्कॉन का देश में चौथा सबसे बड़ा मंदिर है। इसके अलावे बंगलुरु का इस्कॉन मंदिर देश का सबसे बड़ा मंदिर है। इसके बाद वृंदावन का श्रीकृष्ण बलराम इस्कॉन टेंपल है। वहीं तीसरे स्थान पर मुंबई के जुहू में बना इस्कॉन मंदिर है।
84 खंभों वाला देश का तीसरा मंदिर
मथुरा के नंद भवन की तरह मंदिर का निर्माण 84 खंभों पर किया गया है। इसी के साथ 84 खंभों पर बनने वाला यह देश का तीसरा मंदिर हो गया है। पटना के इस्कॉन मंदिर के अलावा राजस्थान के भरतपुर जिले के कामां का मंदिर और मथुरा का नंद भवन मंदिर 84 खंभों पर बना है। राममूर्ति दास ने बताया कि – 84 खंभों का एक खास कारण है। हिंदू धर्म में 84 योनि का वर्णन है। इसलिए मंदिर में 84 खंभे बने हैं, इनकी एक बार परिक्रमा करने पर जीवन के 84 योनि के चक्र से बाहर निकला जा सकता है।
मकराना के कारीगरों की कला से बना भव्य मंदिर
राममूर्ति दास बताते हैं कि 2004 में बुद्ध मार्ग में मंदिर के लिए जमीन ली गयी। वहीं 2007 में मंदिर का भूमि पूजन किया गया। इसके बाद 2010 में मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ। मंदिर को बनकर तैयार होने में लगभग 11 साल लगे। मंदिर का उद्घाटन 2021 में ही होना था लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के कारण इसमें विलंब हुआ। उन्होंने बताया कि राजस्थान के मकराना के कारीगरों द्वारा वहां से संगमरमर से मंदिर का निर्माण कराया गया है। निर्माण करने वाले कारीगर आगरा के ताजमहल बनाने वाले कारीगर के वंशज हैं।
मंदिर में गोशाला, जिसमें 500 से अधिक गाय
मंदिर में एक गोशाला भी बनायी गयी है, जहां 500 से अधिक गाय रखी जाएंगी। उन्हीं गायों के दूध से भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाएगा। उसी दूध से महा प्रसाद भी बनाया जाएगा।