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कोरोना से निपटने को लेकर समस्तीपुर सदर अस्पताल में मॉक ड्रिल, चालू भी नहीं हो सका ऑक्सीजन प्लांट

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समस्तीपुर : देशभर में एक बार फिर कोरोना संक्रमण ने धीरे-धीरे अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। विभिन्न राज्यों से नए मामलों की पुष्टि हो रही है, जिससे स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। संभावित आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। इसी क्रम में समस्तीपुर सदर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट की मॉक ड्रिल की गई। इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य यह जांचना था कि अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति प्रणाली आपात स्थिति में कितनी सक्षम है। हालांकि इस दौरान ऑक्सीजन प्लांट चालू नहीं हो सका। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गिरीश, नर्सिंग स्टाफ और टेक्निकल टीम की मौजूदगी में प्लांट को स्टार्ट करने की काफी कोशिशें की गई लेकिन वर्षों से बंद प्लांट कंप्रेसर नहीं बना सका।

आपात स्थिति से निपटने के लिए उपलब्ध संसाधनों की स्थिति दयनीय :

सदर अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में आपात स्थिति से निपटने के लिए उपलब्ध संसाधनों की स्थिति दयनीय है। सदर अस्पताल की स्थिति कुछ ठीक भी कही जा सकती है लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कई जरूरी दवाइयों का स्टॉक खत्म है तो कहीं मास्क तक उपलब्ध नहीं है। ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर निष्क्रिय पड़े हैं। उसके अलावे कुछ ऑक्सीजन कंसेंटेटर मशीन को छोड़ सभी ऑक्सीजन कंसेंटेटर मशीन खराब पड़े हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न के दर्जे से हटाए जाने के बाद पूर्व के सभी उपकरण अब खराब हो रहे हैं।

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अब जब संक्रमण का खतरा फिर से मंडरा रहा है तो विभाग की उदासीनता चिंताजनक है। जिले में मरीजों की संख्या बढ़ने से रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है। शनिवार को सदर अस्पताल में माॅक ड्रील किया गया। इस दौरान सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गिरीश ने दावा करते हुए बताया कि हम सभी तैयारी में हैं। लोगों को पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है। अभी जिले में एक भी कोविड का मरीज नहीं है। अभी आरटीपीसीआर लैब में 500 किट उपलब्ध है। प्रयाप्त मात्रा में जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर भी उपलब्ध है।

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करोड़ों की लागत से लगा सामान हुआ खराब :

कोरोना के दूसरे लहर के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सदर अस्पताल में कोरोना मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन पाइपलाइन, ऑक्सीमीटर, वेंटिलेटर सहित कई तरह की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के बाद उक्त सभी सुविधाएं रख रखाव के अभाव में जर्जर स्थिति में है।

सदर अस्पताल में लगा ऑक्सीजन प्लांट वर्षों से विभागीय लापरवाही से खुद वेंटिलेटर पर है। लोगों की जिंदगी बचाने वाला ऑक्सीजन प्लांट खुद ही बीमार अवस्था में पड़ा हुआ है। सदर अस्पताल में कोरोना के समय नीति आयोग के फंड से लगा ऑक्सीजन प्लांट में आई खराबी अबतक ठीक नहीं हो सकी है। प्लांट का कंप्रेसर खराब होने से ऑक्सीजन सप्लाई बंद है।

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80 लाख की लागत से बना ऑक्सीजन प्लांट ठप :

करीब 80 लाख की लागत से सदर अस्पताल में बनाया गया ऑक्सीजन प्लांट ठप पड़ा हुआ है। इसको लेकर 250 केबी का जेनरेटर सेट भी लगाया गया, लेकिन यह सिर्फ शोभा की बस्तु बनकर रह गयी है। इसके अलावे अनुमंडलीय अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट बनाया गया। लेकिन विडंबना यह है कि इसका भी समुचित संचालन के लिए आज तक टेक्नीशियन की व्यवस्था नहीं हो पायी।

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वर्जन :

लोगों को पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है। अभी जिले में एक भी कोविड का मरीज नहीं है। अभी आरटीपीसीआर लैब में 500 किट उपलब्ध है। प्रयाप्त मात्रा में जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर भी उपलब्ध है। राज्य के निर्देश पर माॅक ड्रील किया गया है। बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति को पत्राचार कर समस्या से अवगत कराया गया है।

डॉ. गिरीश, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल समस्तीपुर

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