समस्तीपुर: केले की खेती और पौधे के रख-रखाव के लिए किसानों को मिलेगी राशि, इस तरह योजना का उठाएं लाभ
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समस्तीपुर :- समस्तीपुर जिले में अब किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर केले की खेती पर जोर दे रहे हैं। इससे उनको अपना मुनाफा भी अच्छा खासा होने की संभावना दिखाई दे रही है। इसके लिए सरकार किसानों को अनुदान भी दे रही है। पौधे के रखरखाव के लिए द्वितीय किस्त किसान को उनके खाते पर दी जायेगी। लेकिन किसान के खेत में 90 प्रतिशत केला का पौधा जिंदा रहना चाहिए। तभी उन्हें 15 हजार 625 रुपए उनके खाते पर जायेगी। इसका आवेदन किसान को ऑनलाइन करना होगा। विभाग पोर्टल से आवेदन प्राप्त कर आगे की प्रक्रिया करेगा। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को डीबीटी पोर्टल पर अपना पंजीयन करना अनिवार्य होगा।
डीबीटी पोर्टल पर पंजीयन करने के बाद किसानों को किसान पंजीयन संख्या प्राप्त होगा। जिसके मदद से वह आवेदन कर सकते हैं। केले की खेती करने के लिए किसान के पास कम से कम 25 डिसमिल एवं अधिकतम 4 हेक्टेयर जमीन होना अनिवार्य है। वर्ष 2023- 24 में जिले के ताजपुर, वारिसनगर, विभूतिपुर, खानपुर प्रखंडों में टीशू कल्चर के माध्यम से 150 हेक्टेयर में केले की खेती की गई है।
प्रशिक्षण में लोकल केले की खेती पर भी जोर :
ग्रेड-9 टीशू कल्चर का पौधा खेती के लिए दिया जाता है। लेकिन अगले बार से मालभोग, चीनिया, बतीसा केले का पौधा देने का प्रयास किया जाएगा। ताकि लोकल किस्म के केले को भी संरक्षित किया जा सकता है।
केले की खेती करने के लिए किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण :
समस्तीपुर जिले में अब किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर केले की खेती पर जोड़ दे रहे है। इससे उनको मुनाफा भी अच्छा खासा होने की संभावना दिख रही है। इसके लिए सरकार ने किसानों को अनुदान भी दे रही है। वहीं टीशू कल्चर केले के साथ-साथ अब किसान लोकल केला का भी खेती कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को आत्मा विभाग के प्रशिक्षण भी मुहैया कराया जा रहा है। बड़ी संख्या में किसान इसका प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रहे हैं।
जिले के कई प्रखंडों में किसान इसकी खेती भी कर रहे हैं। इसके लिए उद्यान विभाग भी तैयारी शुरू कर दी है। वहीं विभाग वर्ष 2024-25 में 250 हेक्टेयर में केले की खेती का लक्ष्य रखने का प्रयास कर रहा है। केले की खेती में प्रति हेक्टेयर करीब 1 लाख 25 हजार रुपये की लागत आती है। प्रति हेक्टेयर करीब 3 हजार पौध लगते हैं।
प्रति हेक्टेयर की खेती पर सवा लाख खर्च :
11 से 16 माह के इस फसल में यदि तीन हजार पौधे भी तैयार हुए तो प्रति पेड़ से मिलने वाले ढाई सौ से तीन सौ रुपये के केले के हिसाब से साढ़े सात से आठ लाख रुपये का उत्पादन होगा। वहीं, दूसरे व तीसरे वर्ष में केले में पौध आदि नहीं लगाने पड़ेगा और उपज हासिल होगी।प्रति हेक्टेयर केले की खेती पर आने वाली लागत पर 62 हजार 5 सौ अनुदान तय किया गया है। एक हेक्टेयर में रोपे जाने वाले केले के पौधे सहित उर्वरक, दवा, सिंचाई आदि को लेकर 1 लाख 25 हजार रुपये की खर्च होते हैं। जबकि अनुदान का प्रथम किस्त 46 हजार 875 रूपया पौधा प्रदान करने वाली कंपनी को दी जाती है।
बाइट :
250 हेक्टेयर का लक्ष्य रखने का प्रयास है। किसानों को पौध का वितरण भी किया जा रहा है। किसानों से आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। ग्रेड-9 टीशू कल्चर का पौधा के अलावा लोकल केले पौधा देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लाभ के लिए किसानों का पंजीकरण होना अनिवार्य है।
-प्रशांत कुमार, सहायक निदेशक, उद्यान समस्तीपुर