समस्तीपुर में अब तक की एलाइजा जांच में सिर्फ एक डेंगू मरीज की पुष्टि, वह भी अस्पताल में नहीं, अपने घर पर ही है इलाजरत
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समस्तीपुर :- समस्तीपुर में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार एलाइजा जांच में डेंगू का मात्र एक मरीज मिला है। वो भी अस्पताल में नहीं, अपने घर पर ही इलाजरत है। जिले का पहला केस पटोरी अनुमंडलीय अस्पताल का है। जहां डेंगू के संदिग्ध मरीज मिलने के बाद उसकी एनएस वन जांच की गयी। जिसमें पॉजिटिव मिलने के बाद उसका ब्लड सैंपल सदर अस्पताल भेजा गया। एलाइजा जांच के बाद डेंगू पॉजिटिव पाया गया। डीएमओ डॉ. विजय कुमार ने कहा कि जिले में अब तक एलाइजा जांच के बाद सिर्फ एक डेंगू का कंफर्म मरीज मिला है। वह भी ठीक है। अभी तक जिले में किसी भी क्षेत्र से कोई अन्य मरीज के होने की जानकारी विभाग को नहीं दी गयी है।
डेंगू कंफर्म के लिए एलाइजा जांच जरूरी:
डीएमओ डॉ.विजय कुमार ने कहा कि हर प्रकार का बुखार डेंगू नहीं होता है। कम से कम तीन दिनों तक बुखार ठीक नहीं होने पर उसे संदिग्ध माना जाता है। फिर उसका एनएस वन जांच किया जाता है। एनएस वन जांच में अगर मरीज पॉजिटिव आता तो उसके ब्लड के सैंपल का एलाइजा टेस्ट किया जाता है। जिसमें पॉजिटिव होने पर डेंगू कंफर्म माना जाएगा।
सदर अस्पताल में पहुंच रहे हैं सात सौ मरीज :
सरकारी अस्पतालों में इन दिनों ओपीडी में मरीजों की संख्या काफी अधिक पहुंचने लगी है। इन दिनों रोज केवल सदर अस्पताल में छह से सात सौ मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं। इसमें सबसे अधिक वायरल बीमारी से संबंधित होता है। जिले के सरकारी अस्पतालों में प्रत्येक दिन 5 हजार मरीज आते हैं।
ओपीडी में एवं छह सौ मरीज आईपीडी में पहुंच रहा है। इसमें अधिक दिनों तक बुखार से पीड़ित होने एवं प्लेटलेट्स की कमी के बाद एनएस वन जांच कराया जा रहा है।
एलाइजा में पॉजिटिव होने पर ही इलाज :
डीएमओ ने बताया कि एलाइजा जांच के बाद पॉजिटिव होने के बाद ही डेंगू कंफर्म माना जाता है। जिसके बाद ही मरीज को डेंगू का इलाज किया जाता है। वायरल बुखार में भी शरीर कमजोर होता है। प्लेटलेटस काउंट में कमी आती है। लेकिन उसको डेंगू नहीं माना जाएगा।
सदर अस्पताल में है दस बेड का वार्ड :
डेंगू से बचाव के लिए सदर अस्पताल में दस बेड का वार्ड तैयार किया गया है। इसके अलावे सभी अनुमंडलीय अस्पताल में पांच-पांच बेड एवं पीएचसी व सीएचसी में दो-दो बेड का वार्ड बनाया गया है। डीएमओ ने बताया कि सभी अस्पतालों के प्रभारियों को सीएस के स्तर से निर्देश दिया गया है। दवा व जांच की व्यवस्था सभी अस्पतालों में उपलब्ध है।