चिराग पासवान की पार्टी में मची भगदड़, एक साथ 22 नेताओं ने दिया इस्तीफा; समस्तीपुर समेत अन्य सीट बेचने का लगाया आरोप
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बिहार में एनडीए के घटक दल लोजपा (रामविलास) को पांच सीटें मिली हैं और इन सभी सीटों पर पार्टी प्रमुख चिराग पासवान की ओर से उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया गया है। हाजीपुर से खुद चिराग पासवान मैदान में हैं। वहीं वैशाली से मौजूदा सांसद वीणा सिंह, जमुई से अरुण भारती, समस्तीपुर से शांभवी चौधरी और खगड़िया से राजेश वर्मा को टिकट मिला है।
इस बीच बुधवार को चिराग पासवान पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए पार्टी के 22 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया। संगठन सचिव रवींद्र सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु कुशवाहा, राष्ट्रीय महासचिव सतीश कुमार, मुख्य विस्तारक अजय कुशवाहा समेत अन्य नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद पत्रकारों से बात करते हुए इन नेताओं ने चिराग पासवान पर लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट बेचने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि परिवार से लेकर पार्टी और सहयोगी दल भाजपा के साथ छोड़ देने के बाद भी हम लोगों के जैसे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने खून-पसीने से इस पार्टी को सींचा। हमने चिराग पासवान के विजन पर भरोसा कर दिन-रात अपनी पार्टी को आगे बढ़ाया।
इन नेताओं ने कहा कि कार्यकर्ताओं के ही मेहनत का फल था कि लोजपा (रा) को पांच सीटें मिलीं। लेकिन, टिकट वितरण में जिस तरह से पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं, उनके खून-पसीने के मेहनत को रौंद दिया गया, वह हतप्रद कर देने वाला है। पार्टी के किसी कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिया गया। पार्टी तोड़ने में सबसे अहम भूमिका सांसद वीणा देवी ने निभायी थी। पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में जिन पांच सांसदों ने पार्टी तोड़ा था, उनकी सारी बैठकें वीणा देवी के आवास पर होती थी। लेकिन उन्हें फिर से टिकट दे दिया गया। अन्य सीटों पर भी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गयी।
इस्तीफा देने वाले अन्य नेता:
प्रदेश महासचिव राजेश डांगी, कला संस्कृति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. सुधीर यादव, प्रदेश सचिव संजय लाल, प्रदेश महासचिव चितरंजन कुमार, क्लेश कुमार यादव, दीपक कुमार, अविनव चंद्र।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही लोजपा (रामविलास) के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद अरुण कुमार ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। अरुण कुमार नवादा या जहानाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। इस्तीफा देने के बार अरुण कुमार ने भी चिराग पासवान पर कई गंभीर आरोप भी लगाए थे। उन्होंने कहा था कि संकट के समय में हमने उनका साथ दिया। अपनी पार्टी का विलय तक कर दिया। लेकिन, परिणाम प्रतिकूल ही रहा।
ऐसी स्थिति में उनके साथ रहने का कोई औचित्य ही नहीं है। अरुण कुमार ने कहा था कि उन्हें जहानाबाद या नवादा से चुनाव लड़ने को लेकर बार-बार आश्वस्त कर धोखे में रखा गया। अब मैं हिमालय के तपस्वी की तरह माला जपने वाला तो नहीं हूं, लिहाजा खुद को चिराग पासवान से अलग कर रहा हूं। जल्द ही अपने समर्थकों के साथ अगली रणनीति पर विचार करूंगा।