उपेंद्र कुशवाहा को NDA मीटिंग का क्यों नहीं मिला न्योता? सम्राट चौधरी व नागमणि तो वजह नहीं?
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लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के साथ बीजेपी ने एनडीए को मजबूती और विस्तार देना शुरू कर दिया है। मंगलवार 18 जुलाई को दिल्ली में होने वाली एनडीए की बैठक के लिए सहयोगी दलों के नेताओं को पत्र लिखे जाने लगे हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के लोजपा सांसद चिराग पासवान को लिखे पत्र के बाद उनकी एनडीए में वापसी हो गई है।
साथ ही हाल में एनडीए में आए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी एनडीए की बैठक के हिस्सा होंगे। अब सवाल यह उठता है कि उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए की ओर से अभी तक न्योता कहीं नहीं मिला है? कहीं बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी या हाल ही में अमित शाह से मुलाकात के बाद एनडीए में शामिल हुए नागमणि तो इसकी वजह नहीं हैं?
उपेंद्र कुशवाहा ने अप्रैल महीने में दिल्ली में जाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। केंद्रीय मंत्री से मुलाकात के बाद कुशवाहा ने अपनी पार्टी के नेताओं को बताया था कि तीन सीटों को लेकर अमित शाह से बात हो चुकी है। इस बीच बिहार में कुशवाहा वोटरों को साधने के लिए बीजेपी ने राज्य का प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को बना दिया है। सम्राट चौधरी खुद कुशवाहा जाति के हैं।
अब बड़ा सवाल उठता है कि जब राज्य के कुशवाहा वोटरों एकजुट करने की जिम्मेदारी बीजेपी ने खुद पार्टी अध्यक्ष सम्राट चौधरी को सौंप दी है तो उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए में शामिल होने का भाजपा को क्या फायदा मिलेगा? एक और गौर करने वाली बात है कि कुछ दिन पहले ही नागमणि ने अमित शाह से मुलाकात की और वो भी एनडीए में शामिल हो गएं। नागमणि भी कुशवाहा जाति के ही हैं।
उपेंद्र कुशवाहा काराकाट (बिक्रमगंज) लोकसभा सीट से लड़ते हैं और नागमणि ने भी इसी सीट पर दावा ठोका है। यह एनडीए की सीट रही है, मतलब उपेंद्र भी 2014 में इसी सीट पर एनडीए से जीते थे और महागठबंधन में जाकर 2019 में यहीं से हारे थे। नागमणि भी कुशवाहा हैं और उनके इस सीट पर दावा ठोकते ही कुशवाहा-बनाम-कुशवाहा की पंचायत तय हो गई है। उपेंद्र कुशवाहा ने शाह से मुलाकात अप्रैल में की, लेकिन औपचारिक रूप से एनडीए में शामिल अबतक नहीं हुए। इस मामले में नागमणि तेज निकले और मुलाकात के साथ ही घोषणा भी कर दी।
इस बीच एनडीए का कुनबा भी बढ़ गया है। चिराग पासवान के बाद जीतनराम मांझी भी अब बिहार में एनडीए का हिस्सा होंगे। पशुपति पारस एनडीए में पहले से ही शामिल हैं। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी कतार में हैं ही। चर्चा है कि बिहार की 40 में से 30 सीटों पर बीजेपी खुद लड़ेगी। बाकी बची 10 सीटें एनडीए में शामिल पार्टियों को देने की तैयारी की गई है। चिराग पासवान ने भी 6 लोकसभा सीटों की मांग रखी है। पशुपति पारस ने भी हाजीपुर सीट को लेकर ताल ठोंक रखी है।
वहीं जीतनराम मांझी की पार्टी की ओर से अभी कुछ आधिकारिक रूप से तो नहीं कहा गया है लेकिन माना जा रहा है कि 2 सीटों की मांग वो भी रख सकते हैं। उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए की होने वाली मीटिंग में न्योता नहीं का बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि बीजेपी प्रेशर पॉलिटिक्स का गेम खेल रही हो। एनडीए की मीटिंग 18 जुलाई को होने जा रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दो दिनों में उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से बुलावा आता है या नहीं।