‘अखंड भारत’ पर बौखलाए नेपाल ने बिहार और UP पर ठोंका दावा, काठमांडू के मेयर ने अपने ऑफिस में लगाया ग्रेटर-नेपाल का मैप
भारतीय संसद की नई बिल्डिंग में ‘अखंड भारत’ का नक्शा लगाए जाने पर भड़के नेपाल के विपक्षी दलों ने अब नापाक चाल चली है। काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने अखंड भारत के जवाब में अपने ऑफिस में नया ग्रेटर नेपाल का नक्शा लगाया है। इसमें यूपी और बिहार के कई इलाकों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। वहीं नेपाल की सरकार ने अब तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन विपक्षी दल इस पूरे मामले को बेवजह गरमाए हुए हैं। केपी ओली और उनकी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने प्रचंड सरकार से मांग की है कि वे अखंड भारत के भित्तिचित्र के मुद्दे को भारत के साथ उठाएं। इस बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज एक बार फिर से साफ किया है कि यह नक्शा सम्राट अशोक के साम्राज्य को दर्शाता है।
काठमांडू के मेयर इस समय बेंगलुरु में हैं और अपनी पत्नी का इलाज करा रहे हैं। उन्होंने अपने भारत दौरे से पहले इस नक्शे को अपने कार्यालय में लगवाया था। एक समय में नेपाल का साम्राज्य पूर्व में तीस्ता से लेकर पश्चिम में सतलुज नदी तक फैला हुआ था। हालांकि ब्रिटेन के साथ युद्ध के बाद नेपाल को यह बड़ा इलाका गंवाना पड़ा था। इस युद्ध के बाद मेची से लेकर तीस्ता और महाकाली से लेकर सतलुज तक का इलाका हमेशा के लिए भारत का अंग हो गया था। इस नए नक्शे में यूपी का गोरखपुर और उससे लगा इलाका तथा बिहार के कई इलाके नेपाल का हिस्सा दिखाए गए हैं।
नेपाली मेयर के कार्यालय में लगे ग्रेटर नेपाल के नक्शे में पूर्व में तीस्ता और पश्चिम में कांगड़ा तक का भारतीय इलाका दिखाया गया है। यही नहीं नेपाल में अब यह मांग उठ रही है कि इन इलाकों को नेपाल को वापस किया जाए। भारत समर्थक कही जाने वाली नेपाली कांग्रेस पार्टी के नेता गगन थापा ने गुरुवार को कहा कि नेपाल सरकार को आधिकारिक रूप से ‘ग्रेटर नेपाल’ का नक्शा प्रकाशित करना चाहिए। थापा ने कहा, ‘यदि एक देश सांस्कृतिक नक्शा प्रकाशित करता है और आगे बढ़ता है तो नेपाल को भी ग्रेटर नेपाल का नक्शा प्रकाशित करने का अधिकार है।’
थापा ने कहा कि यदि नेपाल नया नक्शा प्रकाशित करता है तो भारत को इस पर आपत्ति नहीं जताना चाहिए। इसकी बजाय भारत को इसे स्वीकार करना चाहिए।’ इस पूरे अखंड भारत विवाद में हाल ही में नई दिल्ली की यात्रा पर आए नेपाल के पीएम प्रचंड ने भारत का बचाव किया है। उन्होंन कहा कि हमने इस मुद्दे को भारत के साथ उठाया है लेकिन इसकी डिटेल हम मीडिया में प्रकाशित नहीं कर सकते हैं। इसके जवाब में भारत ने कहा था कि यह एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नक्शा है न कि राजनीतिक नक्शा। इसे राजनीतिक तरीके से नहीं देखना चाहिए। इस नक्शे के अध्ययन की जरूरत है लेकिन मैंने इस मुद्दे को भारत के साथ उठाया था।’
बाबूराम भट्टाराई ने भारत को दी थी चेतावनी
इससे पहले अखंड भारत नक्शे के मामले में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने भारत को चेतावनी दी थी। भारत और नेपाल के बीच इस समय कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को लेकर सीमा विवाद है। ये सभी इलाके अभी भारतीय नियंत्रण में हैं और नेपाल इन पर अपना दावा जताता है। साल 2020 में चीन के इशारे पर नाचने वाले केपी ओली ने इन इलाकों को नेपाल का हिस्सा बताते हुए नया नक्शा जारी किया था। इसके बाद दोनों के बीच रिश्ते रसातल में चले गए थे।