22 दिसंबर क्यों है साल का सबसे छोटा दिन, जानें इसके पीछे क्या कारण है और क्या कहता है साइंस?
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दिसंबर साल का आखिरी महीना होता है और इस महीनें में कई खास बाते भी होती हैं. ऐसी ही एक खास बात है इस महीने होने वाला साल का सबसे छोटा दिन. हर साल दिसंबर महीने में कभी 21 तारीख को सबसे छोटा दिन होता है तो कभी 22 तारीख को. इस बार यह खास मौका 22 दिसंबर को यानी आज है. दरअसल, सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त होने तक का समय दिन में गिना जाता है और आज सिर्फ 10 घंटे 41 मिनट का दिन होगा.
दूसरी तरफ आज की रात 13 घंटे 19 मिनट की होगी. यही वजह है कि 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन माना जाता है. हालांकि, हर जगह यह लागू नहीं होता. दुनिया में कई ऐसी जगहें भी हैं, जहां चीजें बिलकुल विपरीत हैं. इसके पीछे क्या वजह है और साल के सबसे छोटे दिन के पीछे क्या विज्ञान है आईए आपको बताते हैं.
दरअसल, आज पृथ्वी झुके हुए अक्ष पर ही घूमती है, जिसकी वजह से आज का दिन सबसे छोटा हो जाता है. इसे विंटर सॉल्सटिस भी कहा जाता है. सॉल्सिटिस एक लैटिन शब्द है, जिसके पहले भाग सोल का मतलब है सूर्य, जबकि दूसरे भाग सेस्टेयर का अर्थ है स्थिर खड़े रहना. इन्हीं दो शब्दों को मिलाकर सॉल्सिटिस शब्द बना है, जिसका पूरा मतलब है ‘सूर्य का स्थिर रहना’. यही वह प्राकृतिक बदलाव है, जिसके चलते 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन होता है.
देर तक नहीं पहुंचेगी रोशनी
22 दिसंबर को सूर्य कुछ ऐसी स्थिति में होता है कि सूर्य की रोशनी लम्बे समय तक पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती. पृथ्वी और सूर्य कुछ इस स्थिति में होते हैं कि सूर्य मकर रेखा की सीध में होता है. जिसके चलते नॉर्थन हेमिस्फेयर तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती, ऐसा सिर्फ नॉर्थन हेमिस्फेयर के देशों में ही होता है और इसमें आने वाले देशों में ही 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन होता है.
क्या है इसके पीछे का विज्ञान
दरअसल, 22 दिसंबर को विंटर सॉल्सटिस के समय साउदर्न हेमिस्फेयर (दक्षिणी गोलार्द्ध) में सूर्य की रोशनी ज्यादा समय तक के लिए रहती है. दूसरी तरफ नॉर्थ हेमिस्फेयर में सूर्य की रोशनी कम समय के लिए रहती है. दक्षिणी गोलार्द्ध में सूरज की रोशनी ज्यादा देर तक रहने के चलते यहां दिन लंबा होता है. तभी तो आज से ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और अर्जेंटीना सहित कुछ अन्य देशों में आज से गर्मी की शुरुआत हो जाती है.