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चारा घोटाले में 28 साल बाद रिकवरी, सम्राट चौधरी बोले- लालू यादव हों या कोई और संपत्ति जब्त कर खजाने में भरा जाएगा पैसा

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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार का एक बड़ा बयान आया है. बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा है कि राज्य सरकार चारा घोटाले में डकार गए 950 करोड़ रुपये की राशि दोषियों से रिकवरी करेगी और इसे सरकार के खजाने मे डालेगी. गौरतलब है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव चारा घोटाले में दोषी करार दिए गए हैं.

बिहार के डिप्टी सीएम सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि चारा घोटाला से जुड़े लोगों की संपत्ति जब्त की जाएगी. 950 करोड़ के घोटाले की राशि जब्त कर उसे सरकारी खजाने में डाला जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार का पैसा सरकार के पास लाना है.

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बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहा, “यह निर्णय न्यायालय का था उसी के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. लालू यादव हो या कोई और जिन्होंने घोटाला किया है उनकी संपत्ति जब्त कर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, “ये न्यायालय का फैसला है, सरकार का फैसला नहीं है, कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि इसके खिलाफ कार्रवाई करना है, तो सरकार इस पर कार्रवाई करेगी, अब तो 28 साल हो गए हैं, सु्प्रीम कोर्ट तक से सजा हो गई. कोर्ट ने संपत्ति जब्त की है अब इसे कुर्क करके सरकारी खजाने में पैसा डालने का काम किया जाएगा.”

डिप्टी सीएम ने कहा कि जिस भी परिवार के लोग हैं उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. ये आदेश न्यायालय ने दिया है और न्यायालय के माध्यम से ही सारी चीजें की जाएंगी.

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गौरतलब है कि चारा घोटाला स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े करप्शन कांड में से एक था. ये मामला अविभिजाति बिहार (बिहार+झारखंड) में पशुपालन विभाग से जुड़ा हुआ था. इस घोटाले में पशुओं के चारे और पशुपालन से संबंधित फर्जी दावों के जरिए सरकारी खजाने से बड़ी राशि की हेराफेरी की गई थी.

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इस घोटाले की कुल राशि लगभग 940-950 करोड़ रुपये बताई जाती है. यह घोटाला मुख्य रूप से 1990 के दशक में हुई थी. इस समय लालू प्रसाद यादव बिहार के मु्ख्यमंत्री थे. उस समय के हिसाब से यह बहुत बड़ी रकम थी. इसका खुलासा 1996 में तब हुआ, जब चाईबासा (अब झारखंड में) के उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों पर छापा मारा और फर्जी बिलों के जरिए धन निकासी की गड़बड़ी पकड़ी.

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इस मामले में मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया, और 27 मार्च 1996 को पहली प्राथमिकी दर्ज की गई. जांच के साथ ही इसकी परतें धीरे-धीरे खुलती गईं.

चारा घोटाले में सीबीआई ने कुल 66 मामले दर्ज किए थे, जिनमें 170 से अधिक लोग आरोपी बनाए गए. इनमें से कई प्रमुख लोगों को सजा सुनाई जा चुकी है.

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