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चंद्रयान-3 की लैंडिंग में बिहार के तीन युवा वैज्ञानिक भी रहे सहयोगी, जानिए क्या थी इनकी भूमिका

देश के वैज्ञानिकों के संकल्पित मेहनत के दम पर भारत का चंद्रयान- 3 सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थापित हो गया. यह क्षण संपूर्ण भारतीयों के लिए गर्व का समय है. इस अभियान की सफलता को देखने के लिए लोग टेलीविजन के माध्यम से जुड़े रहे. शहर से लेकर गांव तक लोग इस अभियान को लेकर उत्साहित थे. अब भारत दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने चंद्रमा के दक्षिणी धुरी पर अपना तिरंगा लहराया है. इसरो के चंद्रयान तीन की यह सफलता भारत के लोगों के लिए गर्व की बात तो है ही लेकिन इस मिशन की सफलता से आज बिहार भी गौरवान्वित हो रहा है. दरअसल इस मिशन की सफलता में बिहार के तीन तीन युवा वैज्ञानिकों ने अहम भूमिका निभाई है. समस्तीपुर के अमिताभ, सीतामढ़ी के रवि कुमार और गया के सुधांशु कुमार चंद्रयान 3 मिशन के हिस्सा बने हैं. चंद्रयान 3 मिशन में इन तीनों की क्या भूमिका रही , जानिए इस रिपोर्ट में..

लॉन्च व्हीकल बनाने की टीम में गया के सुधांशु भी शामिल

गया जिले के खरखूरा मोहल्ला के रहने वाले सुधांशु चंद्रयान 3 के लॉन्च व्हीकल बनाने वाली 30 लोगों की टीम का हिस्सा हैं. सुधांशु के पिता घर में ही आटा मिल चलाते हैं. सुधांशु ने सरकारी स्कूल से इंटर तक की पढ़ाई करने के बाद एनआईटी में दाखिल लिया है. यहां उन्होंने सिविल स्ट्रीम से बीटेक की पढ़ाई की. यहां से कैंपस सिलेक्शन होने के बाद वह नौकरी करने चले गए. करीब एक साल नौकरी करने के बाद उन्होंने फिर से पढ़ाई करने के लिए नौकरी छोड़ आईआईटी रुड़की में दाखिला लिया. यहां से उन्होंने एमटेक किया. इसके बाद उन्होंने इसरो की परीक्षा दी. इस परीक्षा में उन्हें सफलता मिली. सुधांशु ने सितंबर 2021 में इसरो इसरो में वैज्ञानिक के रूप में ज्वाइन किया. वर्तमान में वह श्रीहरिकोटा में पदस्थापित हैं.

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ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका में समस्तीपुर के अमिताभ

भारत के अंतरिक्ष मिशन अभियान चंद्रयान तीन की सफल लॉन्चिंग कराने में बिहार के होनहार वैज्ञानिको में से एक अमिताभ की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. वो समस्तीपुर के कुबौलीराम गांव के रहने वाले हैं. अमिताभ चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका में हैं. अमिताभ चंद्रयान एक और दो के भी हिस्सा रहे हैं. चंद्रयान -1 में इन्होंने प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में काम किया था. गांव में पले बढे अमिताभ गांव के सरकारी विद्यालय से प्राइमरी, मिड्ल व हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद अमिताभ ने पटना के एएन कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स से एमएससी की पढ़ाई की और फिर बीआइटी मेसरा से एमटेक किया. एमटेक करने के दौरान ही अमिताभ ने इसरो के तीन केंद्रों पर आवेदन दिया था. अमिताभ 2002 में इसरो से जुड़े.

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नेटवर्क सिक्योरिटी हैंडल कर रहे सीतामढ़ी के रवि

सीतामढ़ी जिले के पुपरी गांव निवासी रवि कुमार की प्रारंभिक शिक्षा सीतामढ़ी से हुई है. रवि कुमार अभी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में सैटेलाइट साइंटिस्ट है. 2012 में बेंगलुरु में उसने ज्वाइन किया था. 2019 में चंद्रयान-2 में भी रवि शामिल थे. रवि ने जवाहर नवोदय विद्यालय, सीतामढ़ी से 2005 में दसवीं व 2007 में 12वीं की परीक्षा पास की थी. 2008 में आइआइटी जेइइ कंप्लीट किया था. 2012 में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) त्रिवेंदरम से एवियोनिक्स में बीटेक पास करने के बाद रवि इसरो से जुड़े. चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग में रवि नेटवर्क सिक्योरिटी हैंडल कर रहे थे.

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देश भर में चंद्रयान 3 की लैंडिंग को देखने के लिए लोग बुधवार को टीवी से चिपके रहे. इस लैंडिंग के गवाह हर उम्र के लोग बनें. क्या बुढ़े, क्या बच्चे और क्या नौजवान हर किसी की आंखें बस स्क्रीन पर टीकी हुई थी कि कब चंद्रयान लैंड करेगा और भारत का नाम विश्व पटल पर छा जायेगा. काउंटडाउन शुरु होते ही हर कोई अपनी सीट पर खड़ा हो गया और जैसे ही लैंडिंग हुई तालियों के गड़गड़ाहट के साथ भारत माता की जय, जिंदाबाद और इंडिया ऑन मून के नारे से पूरा हॉल गुंज उठा. वहां आये लोगों ने कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व का पल है और हम इसका हिस्सा बनें यह हम सभी के लिए गौरव की बात है.

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