बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन भी भारी हंगामे की उम्मीद, तेजस्वी के इस्तीफे पर अड़ी BJP
बिहार विधानमंडल का मॉनसून सत्र (Bihar Vidhan Sabha Monsoon Session) का दो दिन हंगामे की भेट चढ़ चुका है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) जमीन के बदले नौकरी (Land for Job) मामले में तेजस्वी यादव से इस्तीफा लेने पर अड़ी हुई है.
हालांकि, राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि उपमुख्यमंत्री पद से तेजस्वी यादव के इस्तीफे का कोई सवाल हीं पैदा नहीं होता. इस बात को सभी जानते हैं कि लैंड फॉर जॉब मामले के एफआइआर में तेजस्वी का नाम नहीं है और न पूर्व में दाखिल चार्जशीट में ही उनके नाम का कोई उल्लेख है. एक साजिश के तहत सीबीआइ की तरफ से पूरक चार्जशीट दाखिल कर उसमें तेजस्वी यादव का नाम जोड़ा गया है. राजद प्रवक्ता ने कहा कि विपक्षी एकता से भाजपा की बौखलाहट काफी बढ़ गई है.
चार्जशीटेड तेजस्वी यादव से सीएम लें इस्तीफा : विजय सिन्हा
विधानसभा में विरोधी दल के नेता विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला. कहा- कहां गया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का क्राप्शन, क्राइम और काम्यूनिलिज्म पर जीरो टॉलरेंस का सिद्धांत? महज एफआइआर दर्ज होने पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम, मेवालाल चौधरी, मंजू वर्मा और कार्तिकेय जैसे मंत्रियों से इस्तीफा लेने वाले नीतीश कुमार आज चार्जशीटेड तेजस्वी यादव से इस्तीफा क्यों नहीं ले रहे हैं. विधानसभा परिसर स्थित अपने कक्ष में पत्रकारों से रूबरू हुए श्री सिन्हा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि जिस मंत्री के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया जा रहा है, वह कैबिनेट का हिस्सा नहीं हो सकता.
भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अब अपने विधायकों पर भी भरोसा नहीं रहा. उन्हें अब डर लगने लगा है कि उनके विधायक भी कभी भी महाराष्ट्र की तरह पाला बदल सकते हैं. उन्होंने कहा कि राजद विधायक दल की बैठक में जिस तरह सभी विधायकों के मोबाइल फोन को बाहर में रखवा लिया गया था, उससे यह समझा जा सकता है कि लालू यादव और तेजस्वी यादव किस तरह अपने विधायकों को लेकर अंदर से डरे हुये हैं और उनका अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं रहा. उन्होंने कहा कि राजद एमएलसी सुनील सिंह पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ फोटो को लेकर जिस प्रकार मुख्यमंत्री ने तंज कसा है, इससे यह साबित हो रहा की महागठबंधन में किसी भी पार्टी को एक दूसरे पर भरोसा नहीं है. उनका मजबूरी का साथ है.