बिहार में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर रोक नहीं लगेगी, बहाली नियमावली के खिलाफ याचिकाओं पर हाईकोर्ट का आदेश
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पटना हाईकोर्ट ने पौने दो लाख शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने शिक्षकों नियुक्ति प्रक्रिया और इसके लिए बनाये गए नियमावली को चुनौती देने वाली करीब एक दर्जन याचिकायों पर मंगलवार को एक साथ सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
आवेदकों की ओर से अधिवक्ता दिनु कुमार, अभिनव श्रीवास्तव, बसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट में पक्ष रखा। अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि पौने दो लाख शिक्षकों की बहाली के लिए बिहार राज्य शिक्षक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई व सेवा शर्तें) नियमावली 2023 की वैधता को चुनौती दी गई है। उनका कहना था कि वर्ष 2006 में शिक्षकों की बहाली के लिये नियमावली बनाई गई थी। फिर 2008, 2012 और 2020 में नियमावली लागू की गई। इसी के तहत प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति की गई। इन सभी नियमावली को समाप्त कर नई नियमावली लागू कर दी गई है।
हाईकोर्ट को बताया गया कि पूर्व के नियमों के तहत स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद और नगरपालिका के हाथों में था। अब सरकार बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से बहाली कर रही है। उनका कहना था कि पंचायतों, पंचायत समिति, ज़िला परिषदों व नगरपालिका से शिक्षकों की बहाली का अधिकार वापस लेना स्थानीय स्वायतता के सिद्धांतो का हनन हैं।
नए प्रावधानों के अनुसार पौने दो लाख शिक्षकों की बहाली के लिए परीक्षा के आधार पर नियुक्ति की अनुशंसा करने की जिम्मेदारी बीपीएससी को दी गई है। जबकि इसके पूर्व टीईटी परीक्षा पास उम्मीदवारों को शिक्षक बहाल किया जाता था। वर्ष 2006 नियमावली के तहत नियुक्त शिक्षकों की योग्यता और कार्य नई नियमावली के सामान हैं। नए नियम के अनुसार जो शिक्षक बहाल होंगे उन्हें वेतन दिया जायेगा। यह समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही और शिक्षा विभाग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट वी गिरि ने कोर्ट को बताया कि विभाग एवं सरकार को योग्य शिक्षकों की बहाली के लिए नई नियमावली बनाने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बहाली प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार करते हुए मामले पर अंतिम सुनवाई की तारीख 22 अगस्त तय की।