जातिगत गणना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, जस्टिस संजय करोल ने खुद को बेंच से अलग किया
बिहार में जातिगत गणना पर लगी अंतरिम रोक हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार को टल गई। शीर्ष अदालत के जस्टिस संजय करोल ने इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच से खुद को अलग कर दिया है। वे पहले पटना HC के जज रह चुके हैं और जातीय गणना से जुड़े मामले की सुनवाई भी कर चुके हैं। इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने का फैसला लिया है। अब शीर्ष अदालत नई बेंच का गठन करेगी। नीतीश सरकार ने पटना हाईकोर्ट के जातीय गणना पर रोक लगाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
जस्टिस संजय करोल द्वारा जातिगत गणना के मामले को देख रही बेंच से खुद को अलग करने के चलते बुधवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी। बिहार सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त की है कि उनकी अपील को तुरंत सुना जाए। इसलिए नई बेंच का गठन करके कल यानी गुरुवार को ही मामले की सुनवाई की जाए। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर समहति दी है। हालांकि, नई बेंच का गठन होने के बाद ही सुनवाई की तारीख तय होगी। मगर माना जा रहा है कि गुरुवार को शीर्ष अदालत में बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई हो सकती है।
पटना हाईकोर्ट ने बीते 4 मई को अंतरिम आदेश जारी कर जातिगत गणना पर रोक लगा दी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर जातिगत गणना से रोक हटाने की मांग की है। पिछले दिनों पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होनी है। इस आदेश के बाद राज्य में जातिगत गणना का काम रुक गया।
इसके बाद नीतीश सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जी डालकर जातीय गणना के मामले की जल्द सुनवाई करने की मांग की। हालांकि, अदालत ने उससे भी इनकार कर दिया और कहा कि अगली सुनवाई 3 जुलाई को ही होगी। अब बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। अगर सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को राहत मिलती है, बिहार में जातिगत गणना का काम फिर से शुरू हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में पहले तीन बार जातिगत गणना का मामला आ चुका है। इस साल की शुरुआत में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर जातीय गणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी, जिन्हें SC ने खारिज कर दिया था। पिछले महीने भी दोबारा ऐसी ही याचिका दायर की गई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकार्ताओं को पटना हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था। पटना HC ने उन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जातीय गणना पर रोक लगाई थी।