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साइबर ठगी का शिकार होते ही तुरंत करें ये काम, 2.12 करोड़ रुपये साइबर ठगों से वापस ले आई EOU

बिहार के लोग हर दिन साइबर अपराधियों के शिकार हो रहे हैं। झांसे में आकर अपना लाखों रुपया गंवा दे रहे हैं। लेकिन, ठगी के शिकार कई लोगों की किस्मत अच्छी भी रही। उनसे ठगे गए 2.12 करोड़ से अधिक रुपए बचा लिए गए। इनसे रुपए ठगने के लिए साइबर अपराधियों ने अलग-अलग तरीके का झांसा दिया था। फोन पर ही बातचीत के दौरान लोग साइबर अपराधियों के उन्हें कई तरह के झांसे दिए थे।

उन्हें एहसास हुआ कि वो तो साइबर अपराधियों की ठगी के शिकार हो गए हैं। उन्होंने हेल्पलाइन नंबर 1930 की मदद ली। इस नंबर पर कॉल किया। अपने साथ हुए साइबर फ्रॉड की जानकारी दी। जाकर आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की साइबर सेल की टीम एक्टिव हुई। पीड़ित व्यक्ति से फोन पर ही बातचीत कर सारे डिटेल्स लिए। फिर जिस बैंक के अकाउंट में सबसे पहले रुपए ट्रांसफर कराए गए उससे कांटेक्ट किया। तेजी से कार्रवाई कर कई लोगों के रुपयों को बचा लिया गया। पहले अकाउंट से दूसरे अकाउंट में रुपयों के ट्रांसफर किए जाने से पहले ही उस पर रोक लगा दी गई। इस तरह से अकेले मार्च महीने में EOU की टीम ने कुल 2 करोड़ 12 लाख 11 हजार 360 रुपए साइबर अपराधियों के हाथ में जाने से बचा लिया।

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देखिए झांसे में आकर लोगों ने दिए कितने-कितने रुपए

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म साइबर अपराधियों के गढ़ बन गए हैं। पहले तो फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर एक्टिव थे। EOU के अनुसार अब इंस्टाग्राम को भी इन्होंने अपना हथियार बना लिया है। ठगी के शिकार लोगों की पहचान को उजागर किए बगैर EOU की तरफ से बताया गया कि साइबर अपराधी दो तरह से सबसे अधिक लोगों को ठग रहे हैं। पहला प्राइवेट कंपनियों में नौकरी तो दूसरा बड़ी व नामी कंपनियों के फ्रेंचाइजी के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं।

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21 मार्च को एक व्यक्ति ने 7 लाख, 27 मार्च को एक व्यक्ति ने 6.50 लाख, 29 मार्च को एक ने 5 लाख तो दूसरे ने 4.92 लाख और 30 मार्च को एक ने 3.26 लाख रुपए ठगे जाने को लेकर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल किया था। तेजी से कार्रवाई करते हुए इनके रुपयों को संबंधित बैंक से बात कर होल्ड कराया गया।

नए तरीके से ठग लिए 32 लाख

आर्थिक अपराध इकाई की साइबर सेल के पास कुछ केस ऐसे भी आए हैं, जिससे साइबर अपराधियों के एकदम नए तरीके की साजिश का पता चलता है। EOU के अनुसार साइबर अपराधी किसी भी नाम से एक फर्जी वेबसाइट बना ले रहे हैं। जिसके जरिए ऑनलाइन टारगेट वर्क का झांसा देते हैं। इसके लिए वो पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को टारगेट करते हैं। कांटेक्ट में आए युवाओं को साइबर अपराधी सबसे पहले एक हजार रुपए लेकर एक लॉगिन बनाते हैं।

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फिर एक वीडियो दे कर लाइक और फॉरवर्ड का टास्क देते हैं। इंवेस्ट किए गए 1 हजार को डबल करने का झांसा देते हैं। इस नए तरीके के झांसे में B.Tech की पढ़ाई कर चुका पटना के एक इलाके का रहने वाला युवक आ गया। साइबर अपराधियों ने उसके 32 लाख रुपए ठग लिए। इस मामले में EOU की तरफ से कार्रवाई की जा रही है।

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अंजान ग्रुप में मोबाइल नंबर जुड़े तो हो जाएं अलर्ट

बिटकॉइन का प्रचलन बढ़ने के बाद साइबर अपराधियों ने इसे भी ठगी का एक जरिया बना लिया है। पटना में एक केस ऐसा आया, जिसे जानकार आपके होश उड़ जाएंगे। एक प्राइवेट बैंक के बड़े अधिकारी ने बिटकॉइन में लाखों रुपए इंवेस्ट कर रखे थे। इसमें 8 लाख उन्होंने लोन लिया था। जबकि, 2 लाख रुपया उनकी पत्नी के सेविंग के थे। किसी तरह से साइबर अपराधियों के हाथ उनका मोबाइल नंबर लग गया। फिर उसे व्हाट्सएप ग्रुप में खुद से जोड़ लिया। ग्रुप में पहले से कई लोग जुड़े थे। जो एक-दूसरे की तारीफ करने और बधाई देने में लगे थे।

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ग्रुप के अंदर ऐसा दिखाया जा रहा था कि लोगों के इन्वेस्ट किए गए रुपए डबल और ट्रिपल हो रहे हैं। इसी तरह से बैंक अधिकारी झांसे में आ गए। बिटकॉइन में जो 12 लाख रुपए उन्होंने इन्वेस्ट कर रखा था, उसकी ‘बिशप’ ऐप के जरिए वॉलेट बना कॉपी करा लिया। इसके बाद 4 दिनों मे ही ऐप पर शो करने लगा कि बैंक अधिकारी का 12 लाख रुपया 45 लाख हो गया है। जब वो रुपए निकालने की कोशिश करने लगे तो झटका उन्हें तब लगा, जब उनका आईडी और पासवर्ड बदला हुआ मिला। उनका रुपया साइबर अपराधियों के कब्जे में जा चुका था।

इस तरीके से भी हो रही है ठगी

लोगों को झांसा देकर उनसे मोटी रकम ठगने के लिए साइबर अपराधियों ने और भी कई तरीकों को इजाद कर रखा है। इसमें फिशरिंग भी एक अलग तरीका है। इसके लिए साइबर अपराधी SEO (Search Engine Optimisation) का सहारा ले रहे हैं। अपनी फर्जी वेबसाइट को बनाकर गूगल पर सबसे ऊपर रखते हैं।

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ज्वेलरी कंपनी कल्याण ज्वेलर्स की फ्रेंचाइजी के नाम पर बगहा के एक युवक से 22 लाख रुपए ठग लिए गए। लग्जरी फोर व्हीलर गाड़ी बनाने वाली कंपनी KIA के शो रूम के फ्रेंचाइजी के नाम पर 22 लाख रुपए ठग लिए गए। इसी तरह दरभंगा के ही एक युवक से बिसलेरी की फ्रंचाइजी के नाम पर 12 लाख रुपए की ठगी की गई है। इन सभी केसों की जांच EOU की साइबर सेल कर रही है।

ठगी होने के 3 घंटे के अंदर जानकारी देनी जरूरी

इस पूरे मामले पर आर्थिक अपराध इकाई के साइबर सेल के डीएसपी भास्कर रंजन से बात की गई। इन्होंने बताया कि साइबर अपराधियों के जाल में फंस चुके लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 काम कर रही है। यह एक कॉल सेंटर है। यहां 24 घंटे ठगी के शिकार लोगों की शिकायत सुनी जाती है।

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ठगी के शिकार लोग खुद भी चाहें तो नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं। नहीं तो 1930 पर कॉल करने वालों से हमारी टीम उनका नाम, पता पूछती है। घटना किस तरह की है? उसके बारे में पूछते हैं। साइबर फ्रॉड होने पर तुरंत फॉर्म भरते हैं। बैंक से बात करते हैं। ठगी होने के 3 घंटे के अंदर जानकारी देने पर रुपए बचाने का चांस अधिक बन जाता है।

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