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बिहार में शराबबंदी कानून में नीतीश सरकार ने किया बदलाव, जानिए नए नियम

बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून में बड़ी संख्या में शराब की तस्करी या अन्य सामान के साथ छिपाकर शराब ढोने के मामले में वाहन पकड़े जाते हैं। इन वाहन मालिकों पर सीधे एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई कर दी जाती है। लेकिन अब इस प्रावधान में बदलाव किया गया है। अब शराब के साथ पकड़े गए वाहन मालिकों की जांच और सत्यापन के बाद ही अभियुक्त बनाया जाएगा या एफआईआर में नाम डाला जाएगा।

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने इस बाबत नया निर्देश जारी किया है। विभाग ने सभी सहायक आयुक्त और अधीक्षकों को पत्र लिखा है। इसमें जांच और सत्यापन के बिना वाहन मालिक को आरोपित बनाने से बचने की सलाह दी गई है। उत्पाद अधिकारियों को पहले शराब के साथ पकड़े गए वाहन के असली मालिक और दोषी तक पहुंचने की कोशिश करने को कहा गया है। क्योंकि शराब तस्करी में पकड़े जाने वाले वाहनों के 60 से 70 प्रतिशत मामलों में यह देखा जाता है कि जिस वाहन मालिक का नाम मुकदमा दर्ज होता है, उसकी संलिप्तता नहीं पाई जाती।

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इन मामलों में ऐसे वाहन मालिक चाहे अपने वाहन को कुछ समय पहले ही बेच चुके होते हैं या किसी समझौते के तहत वे इसे किराए पर दे रखे होते हैं या कई मामलों में उनके वाहन के चोरी होने की बात भी सामने आती है। चोरी के वाहनों में इस तरह की तस्करी काफी होती है। चोरी की शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति पर ही एफआईआर हो जाती है। इस परिस्थिति से बचने के लिए विभाग ने यह निर्देश दिया है।

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विभाग के संयुक्त आयुक्त कृष्ण पासवान के हवाले से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कई बार बगैर जांच एवं सत्यापन के ही वाहन मालिक को अभियुक्त बना दिया जाता है। फिर अभियोग दर्ज करने के बाद कार्रवाई शुरू की जाती है। छानबीन के बाद जानकारी मिलती है कि संबंधित मालिक ने वाहन किसी अन्य को बेच दिया था। इससे विभाग को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए यह व्यवस्था की गई है।

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