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लालू यादव की बेटी रागिनी यादव से ईडी ने रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले में की पूछताछ

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।नौकरी के बदले जमीन घोटाले के मामले में लालू के बेटे तेजस्वी यादव और बेटी मीसा भारती से ईडी पहले ही पूछताछ कर चुकी है। परंतु अब ईडी ने लालू यादव की एक और बेटी को पूछताछ के लिए बुलाया है।

जानकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद की बेटी रागिनी यादव का रेलवे घोटाले में कथित जमीन के बदले नौकरी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बयान दर्ज किया। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि रागिनी यादव बुधवार को पूछताछ के लिए एजेंसी के सामने पेश हुईं। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनका बयान दर्ज किया गया है। बता दें कि एजेंसी ने इस साल मार्च में रागिनी यादव, उनकी बहनों चंदा यादव और हेमा यादव और पूर्व राजद विधायक अबू दोजाना के पटना, फुलवारीशरीफ, दिल्ली-एनसीआर, रांची और मुंबई स्थित परिसरों पर छापा मारा था।

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इससे पहले ईडी ने सोमवार को इस मामले में रागिनी यादव के भाई और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पूछताछ कर बयान दर्ज किया था। लालू प्रसाद की बेटी और राजद सांसद मीसा भारती से भी ईडी ने 25 मार्च को इस मामले में पूछताछ की थी, उसी दिन तेजस्वी यादव ने सीबीआई के सामने गवाही दी थी।

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दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने हाल ही में मामले में कार्रवाई शुरू की है। सीबीआई ने लालू प्रसाद और उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से पूछताछ की और ईडी ने राजद प्रमुख के परिवार के खिलाफ छापेमारी की थी। ईडी ने छापेमारी के बाद कहा था कि उसने एक करोड़ रुपये की ‘बेहिसाब नकदी’ जब्त की है और 600 करोड़ रुपये के घोटाले का पता लगाया है।

इसमें कहा गया है कि लालू के परिवार और उनके सहयोगियों की ओर से रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई जगहों पर किए गए और अधिक निवेश का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। यह कथित घोटाला उस समय का है, जब लालू प्रसाद यादव यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे।

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आरोप है कि 2004-09 की अवधि के दौरान भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन में ग्रुप डी के पदों पर विभिन्न व्यक्तियों को नियुक्ति दी गई थी। इसके बदले में संबंधित व्यक्तियों ने अपनी जमीन तत्कालीन लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित कर दी थी। इस मामले में रेल मंत्री लालू और उनके परिवार की कंपनी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड का नाम आया था।

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सीबीआई का आरोप है कि नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था।

सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया था कि नौकरी के बदले में उम्मीदवारों ने सीधे तौर पर या अपने करीबी परिवार के सदस्यों के माध्यम से कथित रूप से प्रसाद के परिवार के सदस्यों को अत्यधिक रियायती दरों पर, प्रचलित बाजार दरों के एक-चौथाई से एक-पांचवें सस्ते दामों तक में जमीनें बेच दी थीं। इधर, आरोपों से इनकार करते हुए तेजस्वी यादव ने सीबीआई द्वारा अपने माता-पिता से पूछताछ के बाद संवाददाताओं से कहा था कि तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के पास किसी लाभ के बदले में रोजगार देने के लिए “कोई शक्ति नहीं” थी।

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