लालू बेचैन, नीतीश को चैन; तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की प्रेशर पॉलिटिक्स पर ब्रेक, RJD ने बदली रणनीति !
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लैंड फॉर जॉब घोटाले को लेकर लालू एंड फैमिली के ठिकानों पर हुई ईडी और सीबीआई की छापेमारी के बाद अब आरजेडी ने नीतीश सरकार से मांग की है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों को बिहार में रेड मारने से पहले सरकार से मंजूरी लेने का प्रावधान बनाया जाए। सीबीआई और ईडी की छापेमारी के बाद आरजेडी ने तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने का एजेंडा ठंडे बस्ते में डाल दिया है। लालू फैमिली के आवासों पर हुई छापेमारी के बाद आरजेडी नेता खामोश हैं, माना जा रहा है कि अभी पार्टी में नीतीश कुमार पर तेजस्वी की ताजपोशी का दबाव बनाने का दम नहीं है।
सूबे के पूर्व डिप्टी सीएम व बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने भी दावा करते हुए कहा था कि नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू परिवार के परिसरों पर एजेंसियों की जांच-पूछताछ की कार्रवाई के कारण तेजस्वी यादव को जल्द मुख्यमंत्री बनाने का आरजेडी का दबाव टल गया है। यह जेडीयू के लिए राहत की बात है। सुशील मोदी ने कहा कि इस छापे पर जेडीयू नेता चाहे जो बयान दें, लेकिन सबसे ज्यादा खुश भी उसी दल के नेता हैं।
अब बात करते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की। कुछ दिनों पहले जब बिहार में फागू चौहान की जगह राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को राज्यपाल बनाया गया था तो नीतीश कुमार ने यह कहकर सभी को चौंका दिया कि सूबे में गर्वनर बदलने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का उनके पास फोन आया था। फिर इसके बाद गलवान में शहीद हुए जवान के के पिता की वैशाली में गिरफ्तारी के बाद भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीतीश कुमार को फोन करके पूरे मामले की जानकारी मांगी थी। वहीं नीतीश कुमार के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने ट्वीट कर उन्हें शुभकामनाएं दी थीं।
वहीं महागठबंधन में फिलहाल सबकुछ ऑल इज वेल नहीं है। अलग-अलग मुद्दों को लेकर जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस आपस में उलझे हुए हैं। जेडीयू की बात करें तो उपेंद्र कुशवाहा के बाद मीना सिंह ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया। उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी बना ली, वहीं मीना सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि तेजस्वी को सीएम बनाने का आरजेडी का एजेंडा फिलहाल ठंडे बस्ते में पड़ गया है।